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रविवार, जुलाई 27, 2008

अनिल अम्बानी की नज़र में "केदारनाथ हो या....!!"


आपके इस चिन्ह को सब याद रखतें हैं चाहे सहवाग की माताजी हों या तीर्थ करने निकले बेटा बहू जिन्हें

जिस सत्य यानी सच का दर्शन आपके विज्ञापनों के ज़रिए हुआ वो चारों वेदों अट्ठारह पुरानों से सम्भव नहीं था


आदरणीय अनिल भाई सत्य दर्शन करानें के लिए मध्यम-वर्गीय दंपत्तियों
की ओर से आपको आभार का ट्रक कहाँ भेजना है ज़रूर बताइए भैया
अनिल भाई आपने सच माँ-की-ममता को अपने ब्रांड के साथ जोड़ कर कर जो विज्ञापन बनवाए बेजोड़ हैं।आप ने सहवाग की माताजी वाले विज्ञापन के बाद आज मातृभक्त पुत्रों और उनकी पत्नियों को जो शिक्षा दी सच कितनी उपयोगी साबित हो रही है आप इस बिन्दु से अनभिज्ञ हैं ...शायद ...!!

बूढ़ी माताजी ने रमेश को कई बार कहा था की बेटे मुझे तीरथ वरत करा करा दे बेटा । उधर रमेश की बीवी उषा ने कहा: "क्यों जी अम्मा को कहाँ बदरी नाथ ,केदार नाथ, ले जाओ गे ।"
''फ़िर मना थोड़े करूंगा ...?"
"कर सकते हो दिमाग तो लगाओ , अम्मा को समझाओ !"
"सुभगे,कैसे समझाऊं....?"
तभी स्टार प्लस पे आपका विज्ञापन दिखाया जिसमें बद्रीनाथ,के मन्दिर के द्वार पे लगे घंटे की आवाज़ आपके पवित्र फोन के ज़रिए पुत्र अपनी माता जी को सुनवाता है।
''सुनते हो अनिल भैया की कंपनी का फोन खरीदो,और "अम्माजी के लिए भी एक फोन ज़रूर ले आना,इसी कंपनी का"रमेश के ज्ञानचक्षु खुल गए अरे माताजी की तुलना में अनिल भैया की कंपनी वाला सेलफोन ले जाना सरल होगा । और रमेश चल पडा क्रेडिट कार्ड लेकर फोन खरीदने.

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