श्री जब्बार ढाकवाला की सदारत में कवि-गोष्ठी
______________________________________________________________________________________________ अपने आप में ज़माने की पीर को समोने से शायरों कवियों का वज़ूद है . शायर का दिल तो होता है उस बच्चे के उन हाथों की मानिंद जो हाथ में अम्मी-अब्बू,खाला,ताया,ताऊ,यानी बड़े बुजुर्गों से मिली ईदी से भरे होते हैं . इसी रेज़गारी की साल-सम्हाल में लगा बच्चा जब उसे सम्हाल नहीं पाता और यकायक बिखर जाती है रेज़गारी ठीक उसी तरह शायर-कवि-फनकार भी बिखर हर्फ़-हर्फ़ जाता है गीत में ग़ज़ल में नज़्म में जिसकी आवाज़ से सारे आलम में एक सनाका सा खिंच जाता है ..... कहीं कोई नयन नीर भरा होता है तो कहीं कोई दिल ही दिल में खुद-ब-खुद सही रास्ते की कसम खा लेता है. ______________________________________________________________________________________________ जबलपुर में 25/09/09 को ज़नाब :श्री जब्बार ढाकवाला आयुक्त,आदिम जाति कल्याण विभाग ,मध्य-प्रदेश की सदारत में एक गोष्ठी का आयोजन "सव्यसाची-कला-ग्रुप'' की और से किया गया . श्री बर्नवाल,आ