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लावण्या शाह जी से मुलाक़ात और जबलपुर में हुई ''प्रेस-ब्लागर्स-भेंट''

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जबलपुर में हुई ब्लागर्स-मीडिया कर्मियों की मेल मुलाकात की रिपोर्ट ऊपर है   अब सुनिए लावण्या शाह जी से हुई बातचीत के दौरान  लावण्या जी ने पंडित नरेद्र शर्मा जी के संस्मरण एवं लता जी के बारे में खूब और खुल के बातचीत की फ्रीज़ वाला संस्मरण खुर्जा के संत की दिव्यता को उजागर करता है . फिल्म सत्यम सुन्दरम के कालजयी गीत 'सत्यम-शिवम् सुन्दरम' लावण्या जी रिकार्ड होते सुना  है लावण्या जी ने बताया कि यह गीत लता जी ने एक ही बार में लगाता रिकार्ड करा दिया था बिना किसी संशोधन के . इस गीत का अध्यात्मिक पहलू भी है जिसका ज़िक्र भी इस चर्चा में उजागर हुआ. तो सुनिए यह मेरे लिए ऐतिहासिक पाडकास्ट  एक गीत जो रेडियोनामा से साभार लिया गया पेश है नाच रे मयूरा! खोल कर सहस्त्र नयन, देख सघन गगन मगन देख सरस स्वप्न, जो कि आज हुआ पूरा ! नाच रे मयूरा ! गूँजे दिशि-दिशि मृदंग, प्रतिपल नव राग-रंग, रिमझिम के सरगम पर छिड़े तानपूरा ! नाच रे मयूरा ! सम पर सम, सा पर सा, उमड़-घुमड़ घन बरसा, सागर का सजल गान

लावण्यम्` ~अन्तर्मन्` पर लता जी का जन्म दिन

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<=स्वर्गीय इश्मित सिंह और लता मंगेशकर जी भारत रत्न लता जी : लावण्यम्` ~अन्तर्मन्` पर प्रकाशित पोस्ट ,सुश्री लता मंगेशकर जी , , के ७९ वें जन्म दिन पर बेहद भावपूर्ण,सूचना प्रद,संस्मरण,सा मनोहारी बन पड़ी है। दीदी लता जी के प्रति आपकी भावनाएं एक करोड़ भारतीयों की भावनाएं हैं आपको सादर नमन मेरी और से स्वर साधिका को समर्पित कविता सुर सरगम से संयोजित युग तुम बिन कैसे संभव होता ? कोई कवि क्यों कर लिखता फिर कोयल का क्यों अनुभव होता...? **************** विनत भाव से जब हिय पूरन करना चाहे प्रभु का अर्चन. ह्रदय-सिन्धु में सुर की लहरें - प्रभु के सन्मुख पूर्ण समर्पण .. सुर बिन नवदा-भक्ति अधूरी - कैसे पूजन संभव होता ? ********************* नव-रस की सुर देवी ने आके सप्तक का सत्कार किया ! गीत नहीं गाये हैं तुमने धरा पे नित उपकार किया!! तुम बिन धरा अधूरी होती किसे ब्रह्म का अनुभव होता ..? **गिरीश बिल्लोरे मुकुल