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सोमवार, नवंबर 03, 2014

कलेक्टर श्री रूपला ने मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार की राशि कैंसर ग्रस्त मरीजों की मदद के लिये दी

रीवा जिले में कृषि उत्पादन में वृद्धि के प्रयासों में मिली जबरदस्त कामयाबी के लिए कलेक्टर शिवनारायण रूपला को आज भोपाल के लाल परेड ग्राउण्ड पर आयोजित मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार से नवाजा गया है । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस समारोह में श्री रूपला को यह पुरस्कार प्रदान किया ।  पुरस्कार के रूप में उन्हें प्रशस्ति पत्र और पचास हजार रूपए की राशि का चेक प्रदान किया गया ।
                ज्ञात हो कि श्री रूपला ने रीवा जिले का कलेक्टर रहते हुए कृषि के क्षेत्र में कई ऐसे अनूठे प्रयोग किये थे जिनकी वजह से इस जिले के कृषि उत्पादन में महज तीन साल में साढ़े तीन गुना की वृद्धि दर्ज की गई । रीवा जिला जो खाद्यान्न की अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए दूसरे जिलों पर निर्भर रहा करता था वह महाराष्ट्र को भी गेहूं और चांवल की आपूर्ति करने लगा ।
                कृषि के क्षेत्र में रीवा जिले के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए श्री रूपला ने कृषि विभाग के अमले और कृषि वैज्ञानिकों को साथ लेकर अपने प्रयासों की शुरूआत वर्ष 2011-12 से की ।  उन्होंने पिछड़ेपन के कारणों का पता लगाने के लिए न केवल गांवों का सर्वे किया बल्कि खेत-खलिहानों तक पहुंचकर किसानों से सीधे संवाद कायम किया और उनकी समस्यायें जानी । श्री रूपला ने किसानों को कृषि की नवीनतम तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया और अच्छी किस्म के बीजों, उन्नत कृषि यंत्रों एवं संतुलित खाद का उपयोग करने की सलाह दी ।
                श्री रूपला ने अपने प्रयासों को केवल यहां पर ही विराम नहीं दिया । बल्कि उन्होंने गांव-गांव में कृषक संगोष्ठियों एवं कृषक प्रशिक्षण के कार्यक्रमों का आयोजन किया ।  उन्होंने रीवा जिले के कृषकों को मालवा जैसे उन क्षेत्रों के भ्रमण पर भी भेजा जो कृषि की दृष्टि से उन्नत माने जाते हैं । श्री रूपला ने रीवा जिले में सिंचाई के साधनों से विकास की कार्ययोजना तैयार की और उसका क्रियान्वयन भी किया । बड़ी संख्या में किसानों के क्रेडिट कार्ड बनवाये और उन्हें शासन की नीतियों के तहत कृषि ऋण उपलब्ध कराया । मिट्टी का परीक्षण कराकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाये और किसानों को बीज एवं उर्वरकों का संतुलित उपयोग करना सिखाया ।
श्री रूपला ने गांव-गांव में कृषकों की कार्यशाला कराई और किसानों को छिटकवा पद्धति की जगह कतार से बुआई करने, देर से नहीं समय पर बोनी करने, खेत को पड़ती नहीं रखने, गहरी जुताई करने, अंतरवर्ती फसल लेने, समय पर फसल की कटाई करने, बुआई के लिए रिज-फरो एवं एस.आर.आई. पद्धति अपनाने, मंूग उड़द की खेती खरीफ में नहीं करके जायद में करने, परंपरागत खेती की जगह खेती की वैज्ञानिक पद्धति अपनाने, जैविक खेती अपनाने, बीज उपचार करने एवं फसलों को रोग मुक्त रखने, वर्षा जल का संचय करने, नलकूप और नहरों के पानी को व्यर्थ न जाने देने, सूक्ष्म सिंचाई पद्धति को अपनाने और गेहूं एवं धान की फसल को उपार्जन केन्द्रों पर ही बेचने जैसे कई संकल्प दिलवाये ।
कलेक्टर के इन सब प्रयासों का परिणाम यह निकला कि रीवा जिले ने वर्ष 2010-11 की तुलना में वर्ष 2013-14 तक खरीफ फसलों में 313 और रबी फसलों के उत्पादन में 195 फीसदी की वृद्धि दर्ज की । कीमत के रूप में देखा जाये तो इस जिले का कृषि उत्पादन जो वर्ष 2010-11 में 676 करोड़ रूपये का हुआ करता था वह 330 फीसदी बढ़कर वर्ष 2013-14 में बढ़कर 2 हजार 231 करोड़ रूपये का हो गया ।  धान की उत्पादकता में 175 फीसदी और गेहूं की उत्पादकता में 122 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई । रीवा जिले में पहली बार 2012-13 से ग्रीष्मकालीन मूंग और मक्का की खेती प्रारंभ की गई ।

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कलेक्टर श्री  रूपला ने मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार की राशि  कैंसर ग्रस्त मरीजों की मदद के लिये दी 
                                                 कलेक्टर श्री शिवनारायण रूपला ने आज यहां मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार के रूप में उन्हें प्राप्तपूरी राशि कैंसर पीड़ितों के इलाज और देख-रेख के पुनीत कार्य के लिए समर्पित की। वे अपनी धर्मपत्नी एवं बेटी के साथ कैंसर पीड़ितों के इलाज के लिए ख्यात विराट हास्पिस पहुंचे थे । श्री रूपला ने ब्राहृर्षि मिशनसमिति द्वारा रामपुर तिराहा के समीप दीक्षित इन्क्लेव में संचालित विराट हास्पिस के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अखिलेश गुमाश्ता को 27 हजार 727 रूपए की पुरस्कार राशि का चेक प्रदान किया। उल्लेखनीय है किगत 1 नवम्बर को राज्य स्तरीय मध्यप्रदेश स्थापना दिवस समारोह में मुख्यमंत्री ने कलेक्टर श्री रूपला को मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किया था ।


साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी द्वारा स्थापित इस चिकित्सा संस्थान में मुख्यत: ऐसे कैंसर पीड़ितों की चिकित्सा और देख-रेख की जाती है जो हर दृष्टि से निराश और निरूपाय हो जाते हैं। यहां मरीजों को भोजन  एवं रहवास की नि:शुल्क सुविधा मुहैया कराई जाती है । यही नहीं संस्थान द्वारा मरीजों को रेडियोथेरेपी एवं अन्य इलाज के लिए संस्थान के खर्च पर नाम-चीन चिकित्सालयों को भी भेजा जाता है । आठ बिस्तरों से आरंभ हुए इस संस्थान में बीते डेढ़ वर्षों में बिस्तरों की संख्या दोगुनी हो गई है । जाहिर है गंभीर रूप से कैंसर ग्रस्त मरीजों की मदद का जज्बा दूसरों के लिए भी प्रेरक बनता है । निश्चय ही कलेक्टर श्री रूपला द्वारा अपने जन्मदिन पर कैंसर पीड़ितों को राशि समर्पित करना समाज के अन्य संवेदनशील लोगों को भी प्रेरित करेगा ।

रविवार, जनवरी 15, 2012

तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी उत्सव का सम्मान समारोह के साथ समापन


तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी उत्सव का दिनांक 12 जनवरी को सम्मान समारोह के साथ समापन हुआ जिसमें प्रसिद्द साहित्यकार कुंवर नारायण द्वारा देश – विदेश के हिंदी साहित्यकारों , विद्वानों को सम्मानित किया गया । इनमें भारत मे बल्गारिया के राजदूत श्री  कोस्तोव, प्रसिद्ध लेखिका चित्रा मुद्गल, प्रसिद्ध शायर शीन काफ निज़ाम, इटली के प्रो. श्याम मनोहर पांडेय,  प्रवासी साहित्यकार  उषा राजे सक्सेना, ( ब्रिटेन) शैल अग्रवाल,( ब्रिटेन) अनिता कपूर ( अमरीका), दीपक मशाल, ( उतरी आयरलेंड) स्नेह ठाकुर ( कनाडा) कैलाश पंत, महेश शर्मा, विमला सहदेव को पुरस्कार प्रदान किया गया।
सम्मान प्रदान करते हुए श्री कुंवर नारायण ने कहा कि भाषा और साहित्य के क्षेत्र में गहन अध्ध्यन और शोध की आवश्यकता है। उन्होंने मध्यकाल में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा भारतीय ज्ञान को एशिया और दूरस्थ देशों में ले जाने को प्रेरणा का स्रोत बताया। उन्होंने  पुस्तकें ले जाते बोद्ध भिक्षुओं को  संस्कृति का वाहक बताया। उन्होने सम्मान विजेताओं को पुरस्कार देते हुए कहा कि उनकी हिदी के प्रति निष्ठा और समर्पण की सराहना की । रत्नाकर पांडेय ने इस अवसर पर आयोजकों प्रवासी दुनिया , अक्षरम और हंसराज कालेज की सराहना करते हुए कि हिंदी का विकास केवल सरकार के माध्यम से संभव नहीं है।
सम्मान समारोह के तुरंत पश्चात अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । यह सम्मेलन इस बार बाल स्वरूप राही जी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में था। इस कवि सम्मेलन में देश के प्रमुख कवियों उदय प्रताप सिंह, सुरेन्द्र शर्मा, शेरजंग गर्ग कुंवर बैचेन, नरेश शांडिल्य , सर्वेश चंदोसवी,आलोक श्रीवास्तव, अल्का सिन्हा और विदेश से उषा राजे सक्सेना, दिव्या माथुर, स्नेह ठाकुर, अनिता कपूर, दीपक मशाल आदि  काव्य पाठ का सैंकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं ने देर रात तक आनंद लिया। इस अवसर पर बालस्वरूप राही के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाशित स्मारिका और उनकी ओर पुष्पा राही की पुस्तकों का लोकार्पण किया गया।
इससे पूर्व सुबह के सत्रों में वर्ष 2050 में हिंदी और भारतीय भाषाएं विषय में हिंदी के भविष्य के संबंध में व्यापक विचार –विमर्श किया गया। असगर वजाहत ने चर्चा की शुरूआत  करते हुए। विश्वविद्यालयों, अकादमियों. राजभाषा और गैर –सरकारी क्षेत्र में हिंदी की दुर्दशा का विश्लेषण किया। अभय दुबे ने हिंदी और भारतीय भाषाओं को पारिभाषात करते हुए कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा और राजभाषा नहीं अपितु संपर्क भाषा है। प्रभु जोशी ने हिंदी की दुर्दशा के लिए एक गहरे षड्यंत्र का उल्लेख किया । उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकारी अधिकारी, मीडिया और मैकालेपुत्र जिम्मेदार हैं। कैलाश पंत ने हिंदी के संबंध में सकारात्मक पक्षों की ओर ध्यान दिलाया। राहुल देव ने विचारोत्तेजक भाषण में सूत्र दिया अपनी भाषा में अपना भविष्य और युवकों को भाषा के संबंध में बड़े बदलाव का आह्वान किया। बहुत से युवाओं ने इस अभियान से जुड़ने के लिए स्वयं को प्रस्तुत किया । अनिल जोशी ने इसके लिए संयोजित और संगठित प्रयास करने पर बल दिया । उन्होंने कहा कि हिंदी का संस्थागत फ्रेमवर्क बहुत कमजोर है।
तीन दिन का यह कार्यक्रम प्रवासी दुनिया , अक्षरम और हंसराज कालेज की ओर से किया गया था।
विदेशों में हिंदी शिक्षण विषय पर विचार व्यक्त करते हुए केन्द्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अशोक चक्रधर ने विदेशों में हिंदी शिक्षण की चुनौतियों पर सिलसिलेवार बात की और एकरूपता और मानकीकरण के संबंध मे किए जा रहे उपायों के संबंध में बताया। डा विमलेश कांति वर्मा ने अपनी सूरीनाम और त्रिनिडाड की यात्रा में आए अनुभव बांटे । डा  श्याम मनोहर पांडेय ने इटली में 30 वर्षों के सुदीर्घ अनुभव के आधार पर शिक्षण की प्रविधियों की चर्चा की। वीरेन्द्र भारद्वाज ने दक्षिण कोरिया के अपने अनुभवों का ब्यौरा दिया।
रिपोर्ट-स्रोत :- प्रवासी दुनिया     http://www.pravasiduniya.com

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