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गुरुवार, जुलाई 24, 2014

टमाटर के नाम खुला खत

डिंडोरी 24.072014
फ़्रीज़ की तस्वीर भेज रहा हूं.. ताकि आप को यक़ीन आ जाए...
प्रिय टमाटर
                “असीम-स्नेह” 
                 मैं डिंडोरी में तुम्हारे बिना जी रहा हूँ तुम्हारी कीमत यहां रुपये 80/- है..
मुम्बई दिल्ली मद्रास भोपाल यानी आएं-बाएं की  खबरें खूब सुनी हैं बाकी सब ठीक ठाक है  तुम महंगे हमारी क्षमता तुमको घर लाने की नहीं है तुम और प्याज भैया मिल के  कुछ नीचे आ जाओ  हमें तुम्हारी लज़ीज़ चटनी खाए बहुत दिन बीत गए आलू भैया को स्नेह कहिये  जहां रहिये  ज़रा सस्ते रहिये  आप तीनों और  नमक दादा सबका ध्यान रखेंगें ... आम आदमी ( केजरिया नहीं ) प्रजाति के लोग बेहद चिंतित है.. मोदी भैया को भी "प्रथम ग्रासे- मक्षिका पाते" के संकट से निज़ात दिलाइये.. हम जानते हैं आप सभी अर्थात- आप, आलू भैया, प्याज भैया,, नमक जी  के मन में हम सबके प्रति दुरभाव नहीं.. बशीर चचा ने कहा ही है कि
"कुछ तो मज़बूरियां रहीं होंगी- यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता" 

हमाई कही सुनी माफ़ करिये.. आपकी वज़ह से हमाए चेहरों पे रौनक  रहती है... आप रूठे तो हमाई हालत न घर की होगी न घाट की..देखो दादा देखिये न आप के बिना हमारा-फ़्रीज़ कित्ता खाली हो गया है.     
  आप जल्दी सस्ते हो जाओ दादा लोग..
फ़ेसबुकर माननीय  जगमीत सिंह जाली
की ओर से आपका सम्मान 
          हां.. एक बात और टमाटर भैया.. आप नहीं जानते आप इत्ते चर्चित हो जित्ते की डालर दादा .. फ़ेसबुकर  जगमीत सिंह जाली  ने आपको डालर से महान प्रतिपादित किया है. ...आप को चाहिये कि अमेरिका के खरीददारों.. के लिये अस्सी डालर में भले बिकें.. पर हम अकिंचनों के लिये.. अट्ठन्नी ओह सारी पांच-दस रुपैया.. किलो से आगे न जाना  सच्ची भैया..जी.. झूठ नई कह रहे हैं हम .  
    भैया टमाटर जी.. हम कवि हैं हमने तय कर रक्खा है कि इत्ती बोर कविता सुनाएंगे सब्जी मंडी के सामने कि आप आदतन हम पर बरसेंगें और दुनिया हमको अचरज़ से और श्रीमति जी गर्व  महसूस कर देखेंगी... जो भी हो.. आपको कवियों एवम कविताओं से गहरे अंतर्संबंधन का वास्ता .. आप नीचे आ जाएं.. सच हमारी करुण याचना पर ध्यान अवश्य दीजिये भैया जी.. 


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