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ताल लय सुर की देवी लता जी कुछ तथ्य

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शहीद-स्मारक जबलपुर में प्रतिभा-पर्व के रूप में लता जी का जन्मोत्सव  मनाया गया जन्म दिवस के पूर्व  २३ सितम्बर को आज़ का दौर गीत-संगीत के लिये बेशक उकताहट का दौर है. यह दौर न तो संगीत के लिये न  गीत के लिये और न ही सुरों के लिये माकूल है. कोलावरी डी और चिकनी चमेलियों वाले दौर में कोई भी गला जो शारदा से वर प्राप्त हो जोखिम उठाना नहीं चाहेगा.  वास्तव में लोगों की रुचि में अज़ीबो ग़रीब स्थिति दिखाई दे रही है. लोगों के ज़ेहन में कोई ऐसा कैनवास ही नहीं बचा जिस पर वे संगीत के रथ पर आरुढ़ भावों की अनुकृति अपने एहसासों के ज़रिये उकेर सकें. संगीत क्या हल्ला-गुल्ला.. बस और क्या...? अब तो कोई भी  ऐसा  गीत नहीं बनता जिसे कोई गुनगुनाए.. बस शोर ही शोर . लता जी भी आहत हुईं हैं, इस तरह के वातावरण से.  आइये जानें लता जी के बारे में कुछ तथ्य -        28 सितम्बर 1929 को इंदौर में जन्मी लता जी ने अब तक 3000 से अधिक गीत गाए हैं.   फिल्म फेयर पुरस्कार ( 1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994) , राष्ट्रीय पुरस्कार ( 1972, 1975 and 1990) ,महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार ( 1966 and 1967)1969 - पद्म भूषण, 1974