इन दिनों हमारे नेता सक्षम जी खूब मज़े ले रहे हैं सियासत के भी सियासियों के भी पेशे से तो सक्षम जी मस्ती के थोक व्यापारी हैं.. पए इनका बिज़नस अन्य से अलहदा है.कल की ही बात है... माइक मिला तो बस लगे हाथ में लेके कुछ कुछ बोलने .. मानो बोल रहे हों -" प्यार कैसे किया जा सकता है इस अंटी से पूछो ...!" बेचारे सक्षम जी क्या जाने ये क्या सभी ऐसेइच्च तो करतीं हैं.. हम सारे पति टाइप के लोगों की औक़ात इससे ज़्यादा कहां..? बताओ भला .. आप पार्टी के बाद ऐसा असर हुआ कि झाड़ू इकदम स्टार बन गई.. आव देखा देखा न ताव वो तो एक दिन हम पे ही तन गई.
फ़िर एकाएक चुप हो गये वे टी.वी. देख देख के जान चुके हैं कि - हिंदुस्तान में सारे फ़साद की जड़ में माइक का बड़ा भारी योगदान है.. ! अस्तु सक्षम जी माइक को कच्चा चबा जाने के गुंताड़े में लग गये एन वक़्त पे सामाजिक संस्था के कर्ताधर्ता ने सक्षम जी को समझाया-"न बेटे ऐसा नहीं करते लो सौंफ़ खाओ.. !!"
सौंफ़ के शौकीन भाई सक्षम ने सौंफ़ मुट्ठी भरी और मुंह में दस पच्चीस दाने मुंह में गये होंगे बाक़ी केज़री कक्का वाली दिल्ली सरकार सरीखे बिखर गए ज़मीन पर . और कोई होता तो ज़मीन से उठा के खाने लगता पर अपने सक्षम जी सरकार ओह सारी सौंफ़ का एक भी दाना ज़मीन से उठाया नहीं फ़िर डब्बे में हाथ घुसेड़ा और एक मुट्ठी फ़िर .. फ़िर वही हुआ तब तक किसी ने उनको ढोलक दिखा दी.. भाई ने पास पड़े काडलैस माइक से बज़ाने का असफ़ल प्रयास किया किसी ने टोका-"बेटे, हाथ से बजाओ.."
ढोलक बजी पर उत्ती तेज़ नहीं.. बच्चे का हाथ बच्चे का ही होता है.. आप रोजिन्ना अखबारों समाचारों में देख ही रहे हैं .. राहुल बाबा के हाल.. ढुलकिया बज़ा ही नईं पा रए .. बताओ.. भला बच्चों से ढोलक बजी है कभी.
अर्र ये क्या कहानी बताते बताते हम राहुल बाबा तक आ गए .. माफ़ करना भाई ग़लती से गलती हो गई.. कोई सियासी लेख थोड़े न लिख रहे हैं हम पर आज़ कल उपमाओं की तलाश में हमने खबरिया उर्फ़ ज़बरिया चैनल’स पर खबरों की बौछार की वज़ह से मिली निकटतम उपमाओं का स्तेमाल कर लिया माफ़ करना सुधि पाठको..
हां तो हम कह रए थे कि-" अर्र, भूल गये क्या कह रए थे.. ?".. हां याद आया सक्षम जी ने ढोलक बजाई.. फ़िर क्या हुआ... किस्सा गो... अरे भाई फ़िर क्या कुछ नहीं हम सब वापस आ गए ... अपने अपने घर मस्तीखोरी के होलसेल डीलर सक्षम से मिल के .. अभी तक उसकी शैतानियां याद आ रहीं हैं.. सक्षम मेरे भांजे अमित जोशी का बेटा है.. चिरंजीवी भव:
फ़िर एकाएक चुप हो गये वे टी.वी. देख देख के जान चुके हैं कि - हिंदुस्तान में सारे फ़साद की जड़ में माइक का बड़ा भारी योगदान है.. ! अस्तु सक्षम जी माइक को कच्चा चबा जाने के गुंताड़े में लग गये एन वक़्त पे सामाजिक संस्था के कर्ताधर्ता ने सक्षम जी को समझाया-"न बेटे ऐसा नहीं करते लो सौंफ़ खाओ.. !!"
सौंफ़ के शौकीन भाई सक्षम ने सौंफ़ मुट्ठी भरी और मुंह में दस पच्चीस दाने मुंह में गये होंगे बाक़ी केज़री कक्का वाली दिल्ली सरकार सरीखे बिखर गए ज़मीन पर . और कोई होता तो ज़मीन से उठा के खाने लगता पर अपने सक्षम जी सरकार ओह सारी सौंफ़ का एक भी दाना ज़मीन से उठाया नहीं फ़िर डब्बे में हाथ घुसेड़ा और एक मुट्ठी फ़िर .. फ़िर वही हुआ तब तक किसी ने उनको ढोलक दिखा दी.. भाई ने पास पड़े काडलैस माइक से बज़ाने का असफ़ल प्रयास किया किसी ने टोका-"बेटे, हाथ से बजाओ.."
ढोलक बजी पर उत्ती तेज़ नहीं.. बच्चे का हाथ बच्चे का ही होता है.. आप रोजिन्ना अखबारों समाचारों में देख ही रहे हैं .. राहुल बाबा के हाल.. ढुलकिया बज़ा ही नईं पा रए .. बताओ.. भला बच्चों से ढोलक बजी है कभी.
अर्र ये क्या कहानी बताते बताते हम राहुल बाबा तक आ गए .. माफ़ करना भाई ग़लती से गलती हो गई.. कोई सियासी लेख थोड़े न लिख रहे हैं हम पर आज़ कल उपमाओं की तलाश में हमने खबरिया उर्फ़ ज़बरिया चैनल’स पर खबरों की बौछार की वज़ह से मिली निकटतम उपमाओं का स्तेमाल कर लिया माफ़ करना सुधि पाठको..
हां तो हम कह रए थे कि-" अर्र, भूल गये क्या कह रए थे.. ?".. हां याद आया सक्षम जी ने ढोलक बजाई.. फ़िर क्या हुआ... किस्सा गो... अरे भाई फ़िर क्या कुछ नहीं हम सब वापस आ गए ... अपने अपने घर मस्तीखोरी के होलसेल डीलर सक्षम से मिल के .. अभी तक उसकी शैतानियां याद आ रहीं हैं.. सक्षम मेरे भांजे अमित जोशी का बेटा है.. चिरंजीवी भव: