Ad

चील लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
चील लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, फ़रवरी 25, 2011

"कौआ ,चील ,गदहा ,बिल्ली ,कुत्ते

 एक सरकारी बना
"बहुत  असरकारी" 
 होशियार था
कौए की तरह  
और जा बैठा
वहीं जहां
अक्सर 
होशियार कौआ बैठता है.!!

*************************
                                                                 चील:-
 चीखती चील ने 
मुर्दाखोर साथियों को पुकारा
एक बेबस जीवित देह  नौंचने  
 सच है
घायल होना
सबसे बड़ा अपराध है. 
मित्र मेरे, बीते पलों का 
यही एहसास आज़ मेरे 
तो कल तुम्हारे साथ है.

****************************
गधा 
जो अचानक रैंकने लगता है 
सड़क पर
मुहल्ले के नुक्कड़ पर
लगता है कि :- "मैं अपने दफ़्तर आ गया ?"
वहां जहां मैं और मेरा गधा 
एक ही सिक्के  के दो पहलू हैं.
मुझे इसी लिये प्रिय है
मेरा गधा..
सर्वथा मेरा
अपना "अंतरंग-मित्र "
*****************************
बिल्ली
सुना है
बिल्लियों का भाग से भरोसा 
उठ गया !
बताओ
दोस्त क्यों है ये मंज़र नया ?
जी सही 
अब आदमी छीकें तोड़ रहें हैं
*****************************

कुत्ते पर
इंसानी नस्ल का रंगत  
चढ़ गई
ये जानकर
अपनी वफ़ादारी का
. यशगान कर
एक बुज़ुर्ग कुत्ता
इन दिनों 
कुत्ता सुधार अभियान 
चला रहा है !!
नई पौध को आदमियत से 
बचना सिखा रहा है..?
 
  इस पोस्ट के समस्त फोटो गूगल पर उपलब्ध हैं यदि किसी  भी पाठक को कोई आपत्ती हो तो अवगत कराएं  

Ad

यह ब्लॉग खोजें

मिसफिट : हिंदी के श्रेष्ठ ब्लॉगस में