नरेंद्र मोदी जी और उनकी टीम को अग्रिम शुभकामनाऎं.
प्रधान मंत्री के रूप में श्री नरेंद्र दामोदर मोदी जी का व्यक्तित्व मानो उदघोषित कर रहा है कि शून्य का विस्फ़ोट हूं..!! एक शानदार व्यक्तित्व जब भारत में सत्तानशीं होगा ही तो फ़िर यह तय है कि अपेक्षाएं और आकांक्षाएं उनको सोने न देंगीं. यानी कुल मिलाकर एक प्रधानमंत्री के रूप में सबसे पहले सबसे पीछे वाले को देखना और उसके बारे में कुछ कर देने के गुंताड़े में मशरूफ़ रहना ... बेशक सबसे जोखिम भरा काम होगा. बहुतेरे तिलिस्म और ऎन्द्रजालिक परिस्थितियां निर्मित होंगी. जो सत्ता को अपने इशारों पर चलने के लिये बाध्य करेंगी. परंतु भाव से भरा व्यक्तित्व अप्रभावित रहेगा इन सबसे ऐसा मेरा मानना है. शपथ-ग्रहण समारोह में आमंत्रण को लेकर मचे कोहराम के सियासी नज़रिये से हटकर देखा जावे तो साफ़ हो जाता है कि - दक्षेस राष्ट्रों में अपनी प्रभावी आमद को पहले ही झटके में दर्ज़ कराना सबसे बड़ी कूटनीति है. विश्व को भारत की मज़बूत स्थिति का संदेश देना भी तो बेहद आवश्यक था जो कर दिखाया नमो ने. सोचिये न वाज़ साहब को पड़ोसी के महत्व का अर्थ समझाना भी तो आवश्यक था य