श्रीमति रचना बजाज के सौंजन्य से प्राप्त श्री विनोद श्रीवास्तव जी की एक रचना --
सुनिए
उनकी ही आवाज में ---
जैसे तुम सोच रहे साथी
जैसे तुम सोच रहे साथी,वैसे आजाद नहीं हैं हम, जैसे तुम सोच रहे साथी,वैसे आजाद नहीं हैं हम।
पिंजरे जैसी इस दुनिया में, पंछी जैसा ही रहना है, भर पेट मिले दाना-पानी,लेकिन मन ही मन दहना है। जैसे तुम सोच रहे साथी, वैसे संवाद नहीं हैं हम, जैसे तुम सोच रहे साथी, वैसे आजाद नहीं हैं हम।
आगे बढ़नें की कोशिश में ,रिश्ते-नाते सब छूट गये, तन को जितना गढ़ना चाहा,मन से उतना ही टूट गये। जैसे तुम सोच रहे साथी,वैसे आबाद नहीं हैं हम, जैसे तुम सोच रहे साथी,वैसे आजाद नहीं हैं हम।
पलकों ने लौटाये सपने, आंखे बोली अब मत आना, आना ही तो सच में आना,आकर फिर लौट नहीं जाना। जितना तुम सोच रहे साथी,उतना बरबाद नहीं हैं हम, जैसे तुम सोच रहे साथी,वैसे आजाद नहीं हैं हम।
आओ भी साथ चलें हम-तुम,मिल-जुल कर ढूंढें राह नई, संघर्ष भरा पथ है तो क्या, है संग हमारे चाह नई। जैसी तुम सोच रहे साथी,वैसी फरियाद नहीं हैं हम, जैसे तुम सोच रहे साथी,वैसे आजाद नहीं हैं हम।
विनोद श्रीवास्तव जी की रचना की सस्वर प्रस्तुति मुझे भी कुछ कहना है ब्लाग की स्वामिनि रचना बज़ाज द्वारा
नमस्कार र्मै अर्चना चावजी मिसफ़िट-सीधीबात पर आप सभी का स्वागत करती हूँ, आइये आज आपकी मुलाकात जिस ब्लॉगर से करवा रही हूँ सुनिए उन्हीं की एक रचना उन्हीं की आवाज में ---
मै आभारी हूँ रचना बजाज जी की जिन्होंने मिसफ़िट-सीधीबात के लिए अपना अमूल्य समय दिया। रचना जी का ब्लाग "मुझे भी कुछ कहना है "की ब्लागर रचना बजाज…मूलत: मध्यप्रदेश की हैं. अभी नासिक (महा.) मे रहती हैं. जीवन के उतार चड़ाव के बीच दुनिया भर के दर्द को समझने और शब्दों में उतारने वाली रचना जी की लेखनी की बानगी पेश है...
रोटी -२ इसलिये कि एक बार पहले भी मै रोटी की बात कर चुकी हूं…. आज फ़िर करना पड़ रही है……
बात वही पुरानी है,
गरीबों की कहानी है,
मुझे तो बस दोहरानी है..
इन दिनो दुनिया भर मे भारत के विकास की तूती बोलती है,
लेकिन देश के गरीबों की हालत हमारी पोल खोलती है….
विकास के लिये हमारे देश का मजदूर वर्ग अपना पसीना बहाता है,
लेकिन देश का विकास उसे छुए बगैर, दूर से निकल जाता है…
भारत आजादी के बाद हर क्षेत्र मे आगे बढ़ा है,
लेकिन उसका गरीब आदमी अब भी जहां का तहां खडा है….ं
हमारे देश मे अमीरी और गरीबी के हमेशा ही दो धड़ रहे हैं,
अमीर सरकार के गोदामों मे अनाज के कई सौ बोरे सड़ रहे हैं……
सरकारी नीतियां बहुत ही अनसुलझी हैं,
गरीब की रोटी उसकी नीतियों मे ही उलझी है…..
गांव के किसान गरीब नत्था को आमिर खान की ’पीपली लाइव” मे
सिर्फ़ एक्टिंग भर नही करना है,
बल्कि अपनी जान देकर उसे सचमुच मे मरना है…
सभी गुरूजनों के सादर चरण-स्पर्श करते हुए......आज समर्पित करती हूँ एक प्रार्थना----जो हम अपने घर में करते हैं --------------यह प्रार्थना किसी एक गुरू के लिये नहीं है -----------इसमें सभी धर्मों के गुरूओं द्वारा दी जाने वाली शिक्षा का निचोड /सार है ------------------इसे रचना और उसकी बेटी निशी ने नासिक से रिकार्ड करके भेजा और बाद मे मैने अपनी भाभी उर्मिला पाठक के साथ इन्दौर से स्वर मिलाया-----------
आज गुरूपूर्णिमा पर नमन किजीये अपने सभी उन गुरूओं को जिनसे आपने अपने जीवन में कभी भी कुछ अच्छा सीखा हो----------साथ ही सुनिये---रचना,निशी,अर्चना व उर्मिला के स्वर में ये प्रार्थना---------
आज ज्यादा कुछ नहीं बस एक गीत ----------------बोल बहुत पसन्द हैं मुझे...................पहले मैने गाया इंदौर मे...........
और फ़िर रचना ने युगल बनाया नासिक से .(125 बार साथ मे ..प्रयास करके )...............
प्रयोग सफ़ल रहा या नही ये तो आप ही बता पायेंगे--------------------------(ध्यान रहे----- हमने गाना सीखा नही है और कोई तकनिकी ज्ञान भी नहीं है हमें,पर प्रयोग करने में पीछे नहीं हटते)