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"भारतीय मानव सभ्यता एवं संस्कृति के प्रवेशद्वार 16000 ईसा-पूर्व" .......... क्यों लिखी गई

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  1.      प्राचीन इतिहास केवल मिथक हो गया तथा मध्यकाल और उसके बाद का इतिहास तो मुगलिया इतिहास बन के रहा गया। अतएव आत्मप्रेरणा से यह कृति लिखने का प्रयास किया है। इस कृति की सफलता पूर्वक पूर्णता के लिए गणनायक बुद्धि दाता श्री गणेश को सर्वप्रथम नमन करता हूं: 2.      तीर्थंकरों का उल्लेख अवश्य है पर यहाँ दो तीर्थंकरों का उल्लेख नहीं किया जो महाभारत कालीन श्रीकृष्ण के समकालीन थे। ऋषभदेव एवं अरिष्टनेमि या नेमिनाथ के नामों का उल्लेख ' ऋग्वेद ' में मिलता है। अरिष्टनेमि को भगवान श्रीकृष्ण का निकट संबंधी माना जाता है। उपरोक्त विवरण से श्रीकृष्ण को इतिहास से  विलोपित रखे जाने के उद्देश्य से नेमीनाथ जी का विस्तृत विवरण विलुप्त किया गया। 3.      महात्मा बुद्ध एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं , फिर भी इतिहास वेत्ताओं ने उसी कुलवंश इक्ष्वाकु वंश के बुद्ध के पूर्वज को काल्पनिक निरूपित किया है .... है न हास्यास्पद