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फूल तुमने जो कभी मुझको दिए थे ख़त में वो किताबों में सुलगते हैं सवालों की तरह

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डायरी से अर्चना चावजी की  आवाज़ में सुनिए... ग़ज़ल चांदनी रात में कुछ भीगे ख्यालों की तरह    मैंने चाहा है तुम्हें दिन के उजालों की तरह   साथ तेरे जो गुज़ारे थे कभी कुछ लम्हें मेरी यादों में चमकते हैं मशालों की तरह इक तेरा साथ क्या छूटा हयातभर के लिए मैं भटकती रही बेचैन गज़ालों की तरह फूल तुमने जो कभी मुझको दिए थे ख़त में वो किताबों में सुलगते हैं सवालों की तरह तेरे आने की ख़बर लाई हवा जब भी कभी धूप छाई मेरे आंगन में दुशालों की तरह कोई सहरा भी नहीं, कोई समंदर भी नहीं अश्क आंखों में हैं वीरान शिवालों की तरह पलटे औराक़ कभी हमने गुज़श्ता पल के दूर होते गए ख़्वाबों से मिसालों की तरह                                                                          -फ़िरदौस ख़ान