संदेश

सरकारी मेला . लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कल्लू दादा स्मृति समारोह : संदर्भ एक सरकारी मेला

चित्र
इस कहानी में पूरी पूरी सच्चाई है  यह एक सत्य कथा पर आधारित किंतु रूपांतरित कहानी है  इसके सभी पात्र वास्तविक हैं बस उनका नाम बदल दिया है    जो भी स्वयम को इस आलेख में खोजना चाहे खोज सकता है..!!                                                     सरकारी महकमों  में अफ़सरों  को काम करने से ज़्यादा कामकाज करते दिखना बहुत ज़रूरी होता है जिसकी बाक़ायदा ट्रेनिंग की कोई ज़रूरत तो होती नहीं गोया अभिमन्यु की मानिंद गर्भ से इस  विषय    की का प्रशिक्षण उनको हासिल हुआ हो.               अब कल्लू को ही लीजिये जिसकी ड्यूटी चतुर सेन सा’ब  ने “वृक्षारोपण-दिवस” पर गड्ढे के वास्ते  खोदने के लिये लगाई थी मुंह लगे हरीराम की पेड़ लगाने में झल्ले को पेड़ लगने के बाद गड्डॆ में मिट्टी डालना था पानी डालने का काम भगवान भरोसे था.. हरीराम किसी की चुगली में व्यस्तता थी सो वे उस सुबह  “वृक्षारोपण-स्थल” अवतरित न हो सके जानतें हैं क्या हुआ..? हुआ यूं कि सबने अपना-अपना काम काज किया कल्लू ने (गड्डा खोदा अमूमन यह काम उसके सा’ब चतुर सेन किया करते थे), झल्ले ने मिट्टी डाली, पर पेड़ एकौ न लगा देख चतुर सेन चिल्लाया-