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परोपदेशकुशलाः दृश्यन्ते बहवो जनाः ....

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पद्मसिंह जी  एक साधु नदी मे स्नान कर रहा था, उसने देखा एक बिच्छू पानी मे डूब रहा था और जीवन के लिए संघर्ष कर रहा था। साधु ने उसे अपनी हथेली पर उठा कर बाहर निकालना चाहा...लेकिन बिच्छू ने साधु के हाथ मे डंक मारा, जिससे साधु का हाथ हिल गया और बिच्छू फिर पानी मे गिर गया... साधु बार बार उसे बचाने का प्रयत्न करता रहा और जैसे ही साधु हथेली पर बिच्छू को उठाता बिच्छू डंक मारता...लेकिन अंततः साधु ने बिच्छू को बचा लिया.... घाट पर खड़े लोग इस घटना को देख रहे थे... किसी ने पूछा... बिच्छू आपको बार बार डंक मार रहा था फिर भी आप उसे बचाने के लिए तत्पर थे... ऐसा क्यों... साधु मुस्कराया और बोला... बिच्छू अपना धर्म निभा रहा था... और मै अपना... वो अपना स्वभाव नहीं छोड़ सकता तो एक साधु अपना स्वभाव क्यों छोड़े... फर्क इतना है कि उसे नहीं पता कि उसे क्या करना चाहिए... जब कि मुझे पता है मुझे क्या करना चाहिए... अरे माफ़ कीजिये इसे अब सुनना है आपको    इसे पढ़िए ---- पद्मसिंह जी के ब्लॉग ढीबरी पर यहाँ पद्म सिंह जी एक प्रतिभावान ब्लागर ही नहीं वरन एक नेक-हृदय इंसान भी हैं.  उनका सभी ब्लागर्स के बीच अलग

नीरज जी के नाम खुला ख़त

नीरज जी शुक्रिया आप के आलेख भी जबरदस्त होते हैं मधुबाला की तस्वीर को परिभाषित करतीं आपकी ये पंक्तियाँ जो मधुबाला को मोनालिसा से तौलतीं हैं मुझे आपसे जोड़े रखने का मुख्य कारण है:- जो बात गीता में अन्जील और कुरान में है उसी तरह की सदाकत तेरी मुस्कान में है और ये तो कमाल है भीगती "नीरज" किसी की याद में आँख को सबसे छुपाना सीखिए यायावर जी को और विस्तार पथ प्रशस्त करने आपने जो पोस्ट लिखी वहीं से ये दोहे तुम साँसों में बस गयीं,बन बंसी अभिराम तन वृन्दावन हो गया,पागल मन घनश्याम ज्ञानी,ध्यानी,संयमी,जोगी,जती,प्रवीण फागुन के दरबार में,सब कौडी के तीन आपकी चयन प्रकृति का परिचय है फ़िर जिस लज़ीज तरीके से "बेक्ड-समोसे" परोसे उसके लिए सुबह-सुबह शुक्रिया बेहतरीन ब्लॉग के लिए बधाइयों के ट्रक मुंबई में इस पते पर भेज दूँ नीरज गोस्वामी मुम्बई, महाराष्ट्र, इंडिया किंतु पूरा पता मिलता तो उम्दा होता खैर कोई गल नहीं आपके पूरे ब्लॉग में ये बात मुझे सटीक नहीं लगती जिंदगी भाग दौड़ की "नीरज" यूँ लगे नीम पर करेला है ये मेरी सोच है बुरा मत मानिए आप जैसा मुम्बइया-भाषा:"बिंदास" व्यक