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डाक्टर विजय तिवारी "किसलय"

कवि हैं मित्र हैं अच्छे आदमी हैं । HINDI SAHITYA SANGAM JABALPUR INDIA के मालिक हैं । हिन्दी में लिखने की आदत नही लिंक नही है इनके पास सो रचना लेकर आ गए मेरे पास बसंत मिश्रा जी के साथ। इनसे मेरी खूब नौक-झौंक होती है। मेरी इनसे कम ही पटती है। किन्तु ये मुझे प्रिय हैं ऐसा क्यों है मुझे नहीं मालूम......शायद इस लिए कि ये इतने अच्छे हैं कि जब मैं संकट में होता हूँ तो ये हनुमान जैसे आ खडे होते हैं......या इस लिए कि ये ये ही वो अकेले हैं तब मुझसे मिलने अकेले नागपुर पहुंचे थे.... बीमार काया मानो नीरोग हों गई थी ...... या इस लिए कि इनसे मेरा कोई पारिवारिक नाता तो नहीं फिर भी अंतस के संबंध हैं । राजशेखर की राजधानी "तेवर " जबलपुर शहर के १३ किलो मीटर दूर है वहीं पैदा हुए हैं ये भाई साहब ..... तीखे पनागर की हरी-मिर्च जैसे मीठे कटंगी के रसगुल्ले जैसे काम काज में कैसे हैं इसका निर्णय किसलय जी के बॉस कर सकतें हैं अथवा घर में सुमन दीदी...।? मैं कौन होता हूँ निर्णय करने वाला....! खैर छोड़िए मुझे तो माँ की याद में लिखी उनकी इस कविता ने भावुक कर दिया है आप भी देखें ममता के आँचल में मुझे फिर से स