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अभिव्यक्ति ने छापा मेरा व्यंग्य : उफ ! ये चुगलखोरियाँ

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अभिव्यक्ति ने यहाँ छापा मेरा व्यंग्य : उफ ! ये चुगलखोरियाँ मुझे उन चुगली पसन्द लोगों से भले वो जानवर लगतें हैं ,  जो चुगलखोरी के शगल से खुद को बचा लेते हैं। इसके बदले वे जुगाली करते हैं। अपने आप को श्रेष्ठ साबित करने वालों को आप किसी तरह की सजा दें न दें कृपया उनके सामने केवल ऐसे जानवरों की तारीफ जरूर कीजिये। कम-से-कम इंसानी नस्ल किसी बहाने तो सुधर जाए। आप सोच रहे होंगें ,  मैं भी किसी की चुगली कर रहा हूँ ,  सो सच है परन्तु अर्ध-सत्य है ! मैं तो ये चुगली करने वालों की नस्ल से चुगली के समूल विनिष्टीकरण की दिशा में किया गया एक प्रयास करने में जुटा हूँ। अगर मैं किसी का नाम लेकर कुछ कहूँ तो चुगली समझिये। यहाँ उन कान से देखने वाले लोगों को भी जीते जी श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहूँगा जो गांधारी बन पति धृतराष्ट्र का अनुकरण करते हुए आज भी अपनी आँखे पट्टी से बांध के कौरवों का पालन-पोषण कर रहें हैं। सचमुच उनकी   '' चतुरी जिन्दगी ``  में मेरा कोई हस्तक्षेप कतई नहीं है और होना भी नहीं चाहिए ! पर एक फिल्म की कल्पना कीजिए ,  जिसमें विलेन नहीं हो ,  हुजूर फिल्म को कौन फिल्म मानेगा   ?  अपने

अंतरजाल के ज़रिये एलियन्स से मेरे रिश्ते हैं..?

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"मेरा मित्र एलियन के साथ कानाफ़ूसीरत "            पिछले कई दिनों से अंतर्ज़ाल पर सक्रियता के कारण मेरी पृथ्वी से बाहर ग्रहों के लोगों से दोस्ती हो गई है.  अंतरजाल पर मेरा बाह्य सौर मण्डल के गृहों पर बढ़ते सम्पर्क को देख कर मेरे सहकर्मीं मित्रों छठी इन्द्री  में हलचल हुई. तो उसने विस्परिंग शुरु कर दी कुत्ते की तरह इधर उधर से मेरे बारे में जानकारीयां सूंघता सूंघता एक बार जब वो एक जगह घुस  जहां एलियन मित्र- "कारकून " अपना रूप बदल के बैठा था . चुगली न कर पाने की वज़ह से दुनिया जहांन की बात करते करते भाई के दक्षिणावर्त्य में गोया  दरद महसूस होने लगा . चुगल खोरी जिस गृह की सांस्कृतिक  विरासत में वहां के संविधान में, धर्म में शुमार है से आया था यह जंतु सो मेरे मित्र के मानस में उभरी तरंगों  को पकड़ लिया. सो मित्र से मित्रता गांठ ली और कुछ खिला पिला के अपना साथी बना लिया. और निकल पड़ा उसे लेकर तफ़रीह के बहाने. चलते-चलते भाई लोग कम   आवाजाही  वाले क्षेत्र में पहुंच गये. एलियन ने कुछ और तरंगे पकड़ मित्र के दिमाग की सो बस लगा मेरे मुतल्लिक बात करने -’भई, ककऊ ज