27 नवम्बर
2014 को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के 26वें कुलपति प्रोफेसर गिरीशचंद्र त्रिपाठी ने गुरुवार को
अपना पदभार ग्रहण करते हुए कहा था- "बीएचयू
में प्रवेश करते ही महामना की मूर्ति स्मरण हो गई और ऐसा लगा कि मेरे कंधों पर
उनकी कल्पना को मूर्त रूप देने की ज़िम्मेदारी का पूरा भार है जिसे मैं पूरी
निष्पक्षता के साथ पूरा करूंगा ।"
उनकी
शब्दावली में उम्रदराज शिक्षा शास्त्री होने के कारण सभी को सहज विश्वास हो सकता
है किन्तु उनका व्यक्तित्व इतना कठोर सा क्यों नज़र आ रहा है 22 सितम्बर 17 से आज
तक यानी 24 सितम्बर 2017 तक के घटना क्रम में . जबकि वे कार्यभार ग्रहण करते समय ही चुकें थे कि - " परिसर में प्रवेश करते समय जब मैंने छात्रों के भाव देखे
तो उनकी आंखों में दिखाई देने वाली उम्मीद से मैं भाव विभोर हो उठा ।
विश्वविद्यालय में वे सभी प्रयास किये जायेंगे जिससे ये विश्व के सभी
विश्वविद्यालयों में अग्रणी हो सके । यहां शिक्षा के हर आयाम पर ज़ोर दिया जाएगा
जिससे नवीन तकनीक से जुड़कर छात्रों का मनोबल और दृढ़ हो सके।"
नवागत वी
सी ने तीन साल पूरे होते होते बेटियों से बात करने आने में अपनी बेइज्जती महसूस की
. कारण जो भी हो नारी सम्मान की रक्षा के लिए अगर कुर्बानी भी देना पड़े तो मुझे
नहीं लगता कि वो गलत कदम होगा .
1916 में
महामना के प्रयासों से स्थापित बनारस हिन्दू वि. वि. की प्रतिष्ठा उससे जुड़े इन
नामों से भी आकर्षित करती है शांति स्वरूप भटनागर, बीरबल साहनी के पुरावनस्पति वैज्ञानिक, जयन्त विष्णु नार्लीकर, भारत रत्न वैज्ञानिक, सी एन आर राव, हरिवंश राय बच्चन,भूपेन हजारिका, प्रोफ़ेसर टी आर अनंतरमन, अहमद हसन दानी, पुरातत्व विद्वान एवं इतिहासकार, लालमणि मिश्र संगीतकार ,प्रकाश वीर शास्त्री, ,आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, चित्रकार रामचन्द्र शुक्ल, एम एन दस्तूरी, धातुकर्म , नरला टाटा राव, अभिनेता सुजीत कुमार, गीतकार समीर, मनोज तिवारी , माधव सदाशिव गोलवलकर बाबू जगजीवन राम अशोक सिंघल आदि ये वो नाम हैं
जो इस वि.वि. के इतिहास में सम्मान सहित
दर्ज हैं .
इस वि.वि.
से 35 हज़ार छात्र छात्राएं अध्ययन कर डिग्री हासिल करने आते हैं . इनमें से एक
छात्रा ने अपने साथ हुए अश्लील आचरण पर वि.वि. से बात की तो विश्वविद्यालय के
प्रॉक्टर ने प्रधानमंत्री जी की आसन्न यात्रा हवाला देते ये कह दिया कि आप अपने कमरे में जाएं , क्या
आपको बलात्कार का इंतज़ार है . चलें जाएं ... यदि ये सत्य है तो एक जिम्मेदार
छात्राएं क्या मांग रहीं थीं |
छात्रावास के नियम |
प्रसारित समाचारों सूचनाओं और वीडियो क्लिप्स
से लगता है धरना दे रहे बच्चों के समर्थन
में कोई सियासी न थे बहरहाल जो भी हो अगर बेटियों से बात करने की तमीज प्रॉक्टर
में न हो और कुलपति महोदय हठयोग पर जा बैठें हों तो उदय प्रकाश की टिप्पणी से मुझे भी असहमति न होगी जो जो ये कहते हैं कि- इतना डर
छात्र-छात्राओं से कि बी एचयू का हॉस्टल ख़ाली करवा रहे हैं और बनारस के सारे कॉलेज
बंद कर दिये गये । लग रहा है कि देश के सभी
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को बंद करने से बस एक-दो क़दम की दूरी बची है
।
यह स्त्री है, जो जाग गयी है ।
काशी करवट ले रहा है ।
बच्चों की सही मांगें जो महामना के कल्पनालोक वाले परिसर को पावन बनाए रखने की उम्मीद से कीं जा रहीं तीन के लिए वीसी साहब की कथित हठधर्मिता से विवाद के आकार तक पहुंच गई. शायद उचित प्रबंधन से इसे रोका जा सकता थी .
मित्रो यहाँ परिस्थितियां जाधवपुर ,जे एन यू , जैसी नहीं प्रतीत हो रही है . केवल कुप्रबंधन जन्य विवाद है. अत: बजाए मीडिया मंथन कराने का अवसर देने एवं अन्य किसी को दोषी कहने के पूर्व कुलपति महोदय एवं प्रॉक्टर जी को स्वयमेव अंतरआत्मा से संवाद की ज़रूरत था और है भी .
काशी करवट ले रहा है ।
बच्चों की सही मांगें जो महामना के कल्पनालोक वाले परिसर को पावन बनाए रखने की उम्मीद से कीं जा रहीं तीन के लिए वीसी साहब की कथित हठधर्मिता से विवाद के आकार तक पहुंच गई. शायद उचित प्रबंधन से इसे रोका जा सकता थी .
मित्रो यहाँ परिस्थितियां जाधवपुर ,जे एन यू , जैसी नहीं प्रतीत हो रही है . केवल कुप्रबंधन जन्य विवाद है. अत: बजाए मीडिया मंथन कराने का अवसर देने एवं अन्य किसी को दोषी कहने के पूर्व कुलपति महोदय एवं प्रॉक्टर जी को स्वयमेव अंतरआत्मा से संवाद की ज़रूरत था और है भी .