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श्रृद्धांजली : मित्र अलबेला यानी टीकम चंद जी खत्री को

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मेरा स्नेहाभिननन्दन अंगीकृत किया यह समाचार हम सबके लिये दु:खद और क्षति का समाचार है कि भाई अलबेला जी अब हमारे बीच नहीं हैं. अलबेला जी यानी टीकमचंद खत्री एक ऐसा व्यक्तित्व लेकर अपने सार्वजनिक  जीवन को जी रहे थे जो आम आदमी को क़तई मय्यसर नहीं. जी हां वे खास थे .. जिससे भी एक बार मिले उसके अभिन्न हो गये . चाहे योगेन्द्र मौद्गिल हों अथवा आशुतोष असर  , ललित शर्मा, पाबला जी, राज भाटिया जी सबके दिल में बसी शख्सियत को कौन भुला पाएगा भला. भाटिया जी के भारत प्रवास के दौरान आयोजित ब्लागर्स मीट अविस्मरणीय थी. जबलपुर में एल.एन. सी.टी कालेज़ में आयोजित एक कार्यक्रम में भाई अलबेला आमंत्रित थे  किंतु कुमार विश्वास ने अपनी प्रस्तुति के बाद मंच पर स्वयम कार्यक्रम के समापन की घोषणा की जबकि आयोजकों के मुताबिक ऐसा करने का उनको कोई हक़ न था जब कि अलबेला भी मौज़ूद थे ... जिनकी उपस्थिति का ज़िक्र भी किया था कुमार ने.. पर जब हमने पीढ़ा व्यक्त की तो उन्हौने कहा था-"गिरीश भाई, मंच पर अब सियासी रंग तारी है.. हटाओ छोड़ो.. ! "                            जब भी जबलपुर से गुज़रते तो वक़्त हुआ त