बेटी बचाओ अभियान :गिरीश का गीत
साभार आईबीएन मधुर सुर न सुनाई दें जिस घर से वो घर कैसा न माडी जाए रंगोली जिस दर पे वो दर कैसा ? ******************** बिना बेटी के घर लगते अमावस की घुप रातें न रुन झुन पायलें बजतीं न होती हैं मृदुल बातें न दीवारों पे रौनक और देहरी से चमक गायब- देखता जो भी सोचे ये घर तो है मगर कैसा .. ? मधुर सुर न सुनाई दें जिस घर से वो घर कैसा ******************** वो बेटी ही तो होती है कुलों को जोड़ लेती है अगर अवसर मिले तो वो मुहाने मोड़ देती है युगों से बेटियों को तुम परखते हो न जाने क्यूं.. ? जनम लेने तो दो उसको जनम-लेने से डर कैसा.. ? मधुर सुर न सुनाई दें जिस घर से वो घर कैसा मधुर सुर न सुनाई दें जिस घर से वो घर कैसा ******************** पालने से पालकी तक की चिंता छोड़ के आना वो बेटों से भी बेहतर है ये चिंतन जोड़ ते लाना उसे तुमने जो अब मारा धरा दरकेगी ये तय है- उसे ताक़त बनाओगे जमाने से डर कैसा ? मधुर सुर न सुनाई दें जिस घर से वो घर कैसा