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बॉस इज़ आलवेज़ राइट .. प्लीज़ डोंट फ़ाइट ...

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सर्वशक्तिवान  बॉस    की वक्र-दृष्टि से स्वयम  बॉस   ही बचाते हैं.                                 सरकारी गैर-सरकारी दफ़्तरों, संस्थानों के प्रोटोकाल में कौन ऊपर हो कौन नीचे ये तय करना आलमाईटी यानी सर्व-शक्तिवान  बॉस नाम के जीवट जीव का कर्म  है. इस कर्म पर किसी अन्य के अधिकार को अधिकारिता से बाहर जाकर अतिचार का दोष देना अनुचित नहीं माना जा सकता. एक दफ़्तर का   बॉस   जो भी तय करता है वो उसके सर्वश्रेष्ठ चिंतन का परिणाम ही कहा जाना चाहिये.उसके किये पर अंगुली उठाना सर्वथा अनाधिकृत रूप से किये गये कार्य यानी "अनुशासनहीनता" को क़तई बर्दाश्त नहीं  करना चाहिये.   हमारे एक मित्र हैं गिलबिले  एक दिन बोले- बॉस सामान्य आदमी से भिन्न होता है ..! हमने कहा -भई, आप ऐसा कैसे कह सकते हैं ? प्रूव कीजिये ..   गिलबिले :- उनके कान देखते हैं.. हम आपकी आंखे देखतीं हैं.  हम:-"भैये तो फ़िर आंख ?" गिलबिले:- आंख तो तिरछी करने के लिये होतीं हैं.. सर्वशक्तिवान    बॉस    की वक्र-दृष्टि से स्वयम   बॉस   ही बचाते हैं.दूजा कोई नहीं.  गिलबिले जी के ब्रह्म ज्ञान के हम दीवाने हो गए बताया