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बुधवार, दिसंबर 10, 2008
निंदा की निंदा
निंदा ,निंदा-की अगर की जाए तो उसका अपना मज़ा है इस में कोई नुकसान नहीं होता करना भी चाहिए किंतु भैया जी सचाई तो ये है कि एक सुधारात्मक सोच को यदि आप नकारात्मक द्रष्टिकोण से देखेंगे तो तय है कि सुरक्षापर आंच आ सकती है । मेरा मत यह है किसी भी स्थिति में देश की सुरक्षा से खिलवाड़ नहो न ही देश में मुंबई काण्ड की पुनरावृत्ति हो । बाबजूद इसके कोई भीव्यक्ति कला साधना संस्कृति के नाम पे देश की गरिमा का ख़याल रखे बिना कुछ भी मांग करे ग़लत होगा । आपको याद होगा ग़ज़ल के बादशाह जगजीत सिंह ने तक सज़ा भोगी ।
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