मन:स्थितियां
अति महत्वाकांक्षाएं हिलोरे लेतीं हैं.. व्यग्रता के वायु-संवेग से ऊपर और ऊपर उठतीं अचानक धराशायी हो जातीं लहरें और मै भी गिर पड़ता हूं.. उसी आघात से.. पर फ़िर तलाशता हूं किसी सर को जिस पर मढ़ देना चाहता हूं.. अपकृत्य की ज़वाबदेही.. ॑॑॑॑॑॑॑॑################# एक अदद देवता की तलाश में पूरी उम्र बिता दी कदाचित आत्मचिंतन करता तो शायद देवत्व का सामीप्य अवश्य मिलता पर भीड़ का हिस्सा हूं उसका मान ज़रूर रखूंगा.. आपसे विदा लेते लेते किसी देवता की आखिरी सांस तक ... तलाश में... ####################