छै: नारे चऊअन...या नौ छक्के चऊअन....?
कोई न उठा था उस दिन इस बच्चे को एसी कोच में सफ़ाई करते रोकने से .. ? टी. वी. वाले सियासी विषय इससे अधिक गम्भीर हैं क्या.. सैपुरा ( शहपुरा-भिटौनी ) में मन्नू सिंग मास्साब की हैड मास्टरी वाले बालक प्राथमिक स्कूल में एडमीशन लिया था तबई से हम चिंतनशील जीव हूं. रेल्वे स्टेशन से तांगे से थाने के पीछे वाले स्कूल में टाट पट्टी पर बैठ पढ़ना लिखना सीखते सीखते हम चिंतन करना सीख गए. पहली दूसरी क्लास से ही हमारे दिमाग में चिंतन-कीट ने प्रवेश कर लिया था. चिंतनशील होने की मुख्य वज़ह हम आगे बताएंगे पहले एक किस्सा सुन लीजिये एक दिन रजक मास्साब हमसे पूछा - कै छक्के चौअन....? चिंतन की बीमारी चिंतनशील होने के कारण हम एक घटना पर चिंतनरत थे इसी वज़ह उस वक़्त दूनिया (पहाड़ा) दिमाग़ में न था . पाकिस्तान से युद्ध का समय था पड़ौसी कल्याण सिंह मामाजी ने मामी को डाटा - ब्लेक आउट आडर है तू है कि लालटेन तेज़ जला रई है गंवार .. बस उसी सोच में थे कि कमरे के भीतर जल रहे लालटेन और ब्लेकआऊट का क्या रिश्ता हो सकता है.. कि मामा जी ने मामी की भद्रा उतार दी . म