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सोमवार, जुलाई 10, 2017

ताऊ के हांके से ब्लॉगर जागे

गुरू ताऊ रामपुरिया  उर्फ़ ताऊ हरियाणवी उर्फ़ होलसेल ब्लॉग प्रमोटर उर्फ़  हरियाणवी ठिलुआ संघ के मुक्कदम्म उर्फ़ ब्लॉग-पटवारी के ऐलान पर ब्लागर्स जागे परन्तु ललित शर्मा पानी की टंकी पे ऐसे जमे कि एक लाइन भी न लिक्खे ... कुछ लिंक जे रहे आप टिपिया दो 
शेष शुभ 
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
आपका
शुभाकांक्षी गिरीश बिल्लोरे मुकुल


मेरी रूहानी यात्रा ... ब्लॉग से फेसबुक शैलजा पाठक

ब्लॉग बुलेटिनर रश्मि प्रभा... - 4 घंटे पहले
रूहानी यात्रा जगह जगह विश्राम लेती रही, उसीमें अचानक एक दोराहा दिखा कई ब्लॉग सूने , कई चलायमान लेकिन लिंक दोराहे पर ... राह बदलने की कितनी आलोचना करें ! अब है, तो है और दोराहा यानी फेसबुक सुबह से रात तक चलता है, नशा कहो या रास्ता सब यहाँ मिल जाते हैं, जो ब्लॉग पर हैं वे भी, जो यहीं हैं वे भी - मित्रता करो, और पढ़ते जाओ कुछ नगीने यहाँ से उठाती हूँ, क्या पता आप मित्र न हों, तो मित्र हो जाएँ *शैलजा पाठक * ----------------- *तुम जादूगरनी थी क्या* एक छोटे बच्चे की हथेली में तेल से अम्मा एक गोल बनाती कहती इ लो लड्डू भैया दूसरी हथेली बढ़ा देता अब दूसरी में पेडा भैया देर तक मुस... अधिक »
varsha singhपरDr Varsha Singh - 6 घंटे पहले

वर्षा का गीत - डॉ. वर्षा सिंह गरमी के झुलसाते दिन तो गए बीत मौसम ने गाया है वर्षा का गीत वर्षा का गीत, वर्षा का गीत। कितना भी सूखे ने कहर यहां ढाया अब तो है कजरारे बादल की छाया रिमझिम से सजती है पौधों की काया इसको ही कहते हैं ऋतुओं की माया दुनिया ये न्यारी है परिवर्तन जारी है दुख के हज़ार दंश एक खुशी भारी है रहती हर हार में छुपी हुई जीत मौसम ने गाया है वर्षा का गीत वर्षा का गीत, वर्षा का गीत। गूंथ रहा मनवा भी सपनों की माला पुरवा ने लहरा कर जादू ये डाला भीगी-सी रागिनी, स्वर में मधुशाला हृदय के भावों को छंदों में ढाला बारिश की लगी झड़ी सरगम की जुड़ी क... अधिक »
ताऊ डाट इनपरताऊ रामपुरिया - 7 घंटे पहले
भाईयों, ताई के अलावा सभी भहणों, भतीजे, भतीजियों और काका बाबा जो भी हों, आप सबनै गुरू पूर्णिमा की घणी रामराम. आज इस पावन पर्व पर "*हरियाणवी ठिलुआ संघ"* द्वारा आयोजित गजल संध्या में आप सबका स्वागत करणै म्ह घणी खुशी का स्वाद आरया सै. ऐं मौका पै पर म्हारी यो पुराणी गजल सुणाते हुये मन्नै घणी खुशी होरी सै. खुशी का ठिकाणा कोनी......बस नू समझ लो कि ताई के लठ्ठ खाणै तैं भी ज्यादा आनंद आरया सै. इब मैं अपणी यों पुराणी और ताजा (दोनों एक साथ) गजल आपको सुणा रह्या सूं.....जरा कसकै तालियां मारणा.... तालियां ना मारो तो कोई बात नही.....टमाटर भी मार सको हो....टमाटर घणे महंगे हो राखें सैं....घर ले ज... अधिक »
उड़न तश्तरी ....परUdan Tashtari - 17 घंटे पहले
जूते पर १८ प्रतिशत जीएसटी..मगर जूते अगर ५०० रुपये से कम के हैं तो ५ प्रतिशत जीएसटी..इसका क्या अर्थ निकाला जाये? ५०० से कम का जूता पैरों में पहनने के लिए हैं इसलिए कम टैक्स और महँगा जूता शिरोधार्य...इसलिए अधिक टैक्स? एक देश एक टैक्स के जुमले की बरसात में एक वस्तु अनेक टैक्स टिका गये और लोग जान ही न पाये.. एक देश एक टैक्स का छाता और उसमें से बरसात की बूँदों की तरह बाजू बाजू से सरकती अनेकों टैक्स स्लैबों की बूँदें..आम जन समझ ही नहीं पा रहा है कि ये कैसा एक टैक्स है? अनेकता में एकता टाईप... आमजन को सरल भाषा में समझाने के लिए कुछ यूं समझाना होगा कि जैसे सरकार का कहना है कि अब तक का पूरा व... अधिक »
ExpressionपरRajni Chhabra - 13 घंटे पहले
दिल का तो मालूम नहीं, ज़हन अभी जवान है या खुदा! तेरी रहमत से इसकी शान है/
computer tips & tricksपरFaiyaz Ahmad - 17 घंटे पहले

आज कल शायद ही कोई ऐसा Mobile user होगा जो व्हाट्सएप्प का इस्तेमाल नही करता हो,यूज़र्स के WhatsApp में रोज़ बहुत सारे मैसेज आते हैं जिन्हें यूज़र्स के दोस्त या रिश्तेदार भेजते रहते हैं,कुछ व्हाट्सएप्प यूज़र्स तो इतने सारे ग्रुप में Activate रहते हैं कि उनके पास रोज़ हज़ारों मैसेज आते हैं. वैसे तो WhatsApp में यूज़र्स की सुविधा के लिए रोज़ New updates आ रहे हैं जिनके मदद से यूज़र्स के बहुत सारे काम दिन प्रतिदिन आसान होते जा रहें हैं. अगर आप व्हाट्सएप्प को और easy ,convenient और useful बनाना चाहते हैं तो आप Third party app का इस्तेमाल कर सकते हैं.Third party app के इस्तेमाल से व्हाट्स एप में ... अधिक »
देशनामापरKhushdeep Sehgal - 1 दिन पहले
*तारीख- 18 जून 1983* *जगह- टर्नब्रिज, वेल्स* ये तारीख और जगह बहुत खास है...या यूं कहिए कि भारत के क्रिकेट की टर्निंग प्वाइंट है ये तारीख...इस दिन एक शख्स ने अकेले दम पर भारतीय क्रिकेट का वो आधार तैयार किया जिसने उस टूर्नामेंट में ना सिर्फ भारत को पहला वर्ल्ड कप दिलाया बल्कि देश में क्रिकेट के सुनहरे काल की बुनियाद रख दी...ये शख्स और कोई नहीं भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव हैं...उस तारीख को भारत का मैच जिम्बाब्वे जैसी अपेक्षाकृत नौसिखिया टीम से था...भारत पहले बैटिंग कर रहा था...लेकिन ये क्या एक के बाद एक भारत के दिग्गज बैट्समैन पवेलियन लौटने लगे...17 रन बनते बनते भारत के पाँच विकेट ... अधिक »
झा जी कहिनपरअजय कुमार झा - 1 दिन पहले
बहती नदी के संग तू बहता जा , मन तू अपने मन की कहता जा , न रोक किसी को ,न टोक किसी को, थोडा वो झेल रहे ,थोडा तू भी सहता जा .. वर्तमान में सोशल नेट्वर्किंग साईट्स पर ,उपस्थति बनाए रखने , किसी भी वाद विवाद में पड़ने , तर्क कुतर्क के फेर में समय खराब करने से बहुत बेहतर यही है , कि हम आप जिस भी विषय अपर लिखें , वैसे , जैसा कि मित्र और तकनीक गुरु पाबला जी अक्सर कहा करते थे कि , धर्म और राजनीति दो ऐसे विषय हैं जिनपर वे लिखना कभी नहीं पसंद करते , इन दोनों ही विषय का यूं तो हमेशा से ही विमर्श में विवाद का लाजिमी होना जैसा है , किन्तु वर्तमान में तो स्थति इतनी विकट हो चुकी है कि लगता है मानो... अधिक »
ब्लॉग बुलेटिनपररश्मि प्रभा... - 1 दिन पहले
भावनाओं के घने वृक्ष और मैं सारी थकान मिट जाती है दूर दूर तक फैली ज़िन्दगी दिखाई देती है ज़िन्दगी को सुनती हूँ आँखों में भरती हूँ इस संजीवनी के बारे में जितना कहूँ कम ही होगा ... एक वटवृक्ष फेसबुक से - https://www.facebook.com/krishna.kalpit *बुरे दिन * जब अच्छे दिन आ जायेंगे तब बुरे दिन कहाँ जायेंगे क्या वे किसानों की तरह पेड़ों से लटककर आत्महत्या कर लेंगे या किसी नदी में डूब जायेंगे या रेल की पटरियों पर कट जायेंगे नहीं, बुरे दिन कहीं नहीं जायेंगे यहीं रहेंगे हमारे आसपास अच्छे दिनों के इन्तिज़ार में नुक्कड़ पर ताश खेलते हुये बुरे दिन ज़िंदा रहेंगे पताका बीड़ी पीते हुये बुरे दिनो... अधिक »
छींटे और बौछारेंपरRavishankar Shrivastava - 1 दिन पहले
फिर तो, कोई वांदा नई!
उच्चारणपररूपचन्द्र शास्त्री मयंक - 1 दिन पहले
*यज्ञ-हवन करके करो, गुरूदेव का ध्यान।* *जग में मिलता है नहीं**, **बिना गुरू के ज्ञान।।* *भूल गया है आदमी, ऋषियों के सन्देश।* *अचरज से हैं देखते, ब्रह्मा-विष्णु-महेश।* *गुरू-शिष्य में हो सदा, श्रद्धा-प्यार अपार।* *गुरू पूर्णिमा पर्व को, करो आज साकार।* *गुरु की महिमा का करूँ, कैसे आज बखान* *जग में मिलता है नहीं**, **बिना गुरू के ज्ञान।**(१)**।* *संस्कार देता गुरू**, **पाता सिख अमिताभ।* *बिना दीक्षा के नहीं**, **शिक्षा का कुछ लाभ।* *अन्तस को दे रौशनी**, **गुरू ज्योति का पुंज।* *गुरु के शुभ आशीष से**, **सुरभित होय निकुंज।* *सद्गुरु अपने शिष्य को, देता हरदम ज्ञान।* *जग में मिलता है नहीं**, **बि... अधिक »
computer tips & tricksपरFaiyaz Ahmad - 2 दिन पहले
Darvaar दरबारपरdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } - 3 दिन पहले
ब्लॉग बुलेटिनपरराजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर - 3 दिन पहले
चलते -चलते...!परकेवल राम - 4 दिन पहले
जरा उन दिनों को याद करते हैं जब हम हर दिन अपना ब्लॉग देखा करते थे. कोई पोस्ट लिखने के बाद उस पर आई हर टिप्पणी को बड़े ध्यान से पढ़ते थे. साथ ही यह भी प्रयास होता था कि जिसने पोस्ट पर टिप्पणी की है, बदले में उसके पोस्ट पर जाकर भी टिप्पणी कर आयें. हम कोई पोस्ट लिखें या न लिखें, लेकिन ब्लॉगरों के ब्लॉग पोस्ट पर टिप्पणियों का सिलसिला अनवरत जारी रहता था. उन दिनों यह भी होता था कि ब्लॉगिंग हमारी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा था. सुबह उठते ही सबसे पहले ब्लॉग की हलचल को देख लिया जाता था, वरना ऐसा लगता था कि आज जिन्दगी का अहम् समय बेकार चला गया. जीमेल की बत्ती देखकर अंदाजा लगाया जाता कि सामने वाला... अधिक »



शनिवार, जुलाई 01, 2017

यह (जीएसटी) किसी एक सरकार की उपलब्धि नहीं है, बल्कि हम सबके प्रयासों का परिणाम है: प्रधान सेवक


#हिन्दी_ब्लॉगिंग
29 और 30 जुलाई 2015 की मध्यरात्रि याकूब मेनन को बचाने न्याय पालिका की सर्वोच्च इकाई को बैठना पड़ा था. श्री प्रशांत भूषण साहब की अगुआई में वकीलों के समूह ने राष्ट्रद्रोह के आरोपी याकूब मेनन  को बचाने की भरसक कोशिश भी की थी.  
कार्यपालिका व्यवस्थापिका और प्रेस सभी देर रात तक देश के लिए ही कार्य करते हैं . यही खूबसूरती है इस देश की इसी क्रम में आज भारत ने आज एकीकृत टेक्स व्यवस्था को सहज स्वीकारा है.
मध्यरात्री तक कामकाज प्रजातंत्र के सभी स्तम्भ करतें हैं कुछ कामकाज अदालतें खुलवा कर कराने की कोशिश की जातीं हैं तो GST पर कोहराम क्यों..?
 इस सवाल ने मेरे दिमाग में हलचल पैदा अवश्य कर दी थी किन्तु सियासी मसला न मानकर मैंने अर्थशास्त्र के विद्यार्थी के रूप में इस बदलाव को समझने की कोशिशें की हैं उस बदलाव के दृश्य का साक्षात्कार करना मेरी भारतीय नागरिक के तौर पर आत्मिक-ज़वाबदारी भी थी. अत: मैं  टीवी चैनलों पर जी एस टी के संसद के केन्द्रीय कक्ष से  सीधे प्रसारण को देखता रहा .
सुधि पाठको 14 वर्ष से जिस जी एस टी की प्रतीक्षा सम्पूर्ण भारत को थी उसके लिए बनी कौंसिल ने 18 बैठकें कर इसे अंतिम रूप दिया . राज्य सरकारें इस पर पूर्व से ही सहमति दे चुकीं हैं यह सर्व विदित तथ्य है .    
 “वस्तु-सेवा-कर” में बकौल प्रधान सेवक – 500 प्रकार के करों को समाप्त करते हुए वस्तुओं / सेवाओं   के मूल्यों  में एकरूपता का अभाव देशी विदेशी सभी को कन्फ्यूज़ करता रहा  है जो GST के आने के बाद एकरूपता, सहज एवं पारदर्शिता का वातावरण निर्मित होगा. प्रधान सेवक ने इसे मुक्ति का मार्ग निरूपित किया तथा बताया कि इससे भ्रष्टाचार एवं ब्लैक-मनी क्रिएशन पर रोक लगेगी . अगर वे ऐसा सोचते हैं तो ठीक है पर उन वस्तुओं का क्या जो इस परिधि में नहीं ।
प्रधान सेवक की अभिव्यक्ति से साफ़ होता है भारत को जिस मोर्चे पर सर्वाधिक कमजोर माना जाता था विश्व के इन्वेस्टर्स भारत को पूंजी निवेश अब अनुकूलता  महसूस कर रहें होंगे.
टैक्स का आधिक्य अथवा अनिश्चितता से व्यक्तिगत-क्षेत्र को पूंजी निर्माण करने से रोकता है. जी एस टी के लागू होने के बाद स्थिति में अचानक बदलाव आने की पूरी-पूरी संभावना से इंकार नहीं हो किया जा सकता है. आपको याद होगा कि प्रधान सेवक ने अर्थव्यवस्था के  जिस नये सेक्टर  “पर्सनल सैक्टर” की चर्चा की थी उस पर्सनलसेक्टर को पूंजी निर्माण में सहायता मिले. (http://sanskaardhani.blogspot.in/2015/10/blog-post_25.html)
किंतु ऐसा न हो सका । कुछ बिंदुओं पर GST व्यवस्था  मिलाकर असफल हो सकती है ।

महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी साहब  ( जो जी एस टी से वित्तमंत्री के रूप में जुड़े रहे हैं ) ने अपनी अभिव्यक्ति परिवर्तन के विरोध को सामान्य-घटना निरूपित करते हुए कहा कि – भविष्य में सर्वाधिक कारगर क़ानून होगा.
आज जी एस टी को दिनांक 30 जून 2017 की  मध्य-रात्रि 12 बजकर 01  मिनिट अर्थात 01 जुलाई 2017  इस अवसर पर मौजूद सभी राजनैतिक दलों, उनके सांसदों एवं  आफिशियल्स एवं मीडिया घरानों के प्रतिनिधि-गण प्रसन्न थे. समारोह से गायब रहने  मुंह मोड़ने वालों के अपने तर्क हो सकतें हैं .
रहा 14 साल से लम्बित इस व्यवस्था के लागू हो जाने के बाद अब मशीनरी का दायित्व बढ़ जाता है. मशीनरी को पूरी दक्षता और ईमानदारी से इसे लागू करने से आर्थिक रिफार्म के लक्ष्य को शीघ्र मिल सकता है.
जी एस टी  लागू हो जाने के बाद करो और कठिनाइयां पहचान कर उसे निराकृत करने की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता . सरकार ने ऐसी व्यवस्था अवश्य सुनिश्चित कर ही ली होगी.

चलते चलते “एक राष्ट्र : एक टैक्स”  का आम नागरिक के रूप में  पुन: स्वागत करते हुए  “एक राष्ट्र : एक क़ानून” की व्यवस्था के प्रति एक बार फिर आशान्वित हूँ
 शायद आप भी ..! परिणाम जो भी हो ।

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