🦋 *अनकही* 🦋
*वह कहता था*
*वह सुनती थी*
*जारी था एक खेल*
*कहने सुनने का*
*खेल में थी दो पर्चियाँ*
*एक में लिखा था ‘कहो’*
*एक में लिखा था ‘सुनो’*
*अब यह नियति थी*
शरद कोकास |
*या महज़ संयोग*
*उसके हाथ लगती रही*
*वही पर्ची*
*जिस पर लिखा था ‘सुनो’*
*वह सुनती रही*
*उसने सुने आदेश*
*उसने सुने उपदेश*
*बन्दिशें उसके लिए थीं*
*उसके लिए थीं वर्जनाए*
*वह जानती थी*
*कहना सुनना नहीं हैं*
*केवल हिंदी की क्रियाएं*
*राजा ने कहा ज़हर पियो*
*वह मीरा हो गई*
*ऋषि ने कहा पत्थर बनो*
*वह अहिल्या हो गई*
*प्रभु ने कहा घर से निकल जाओ*
*वह सीता हो गई*
*चिता से निकली चीख*
*किन्हीं कानों ने नहीं सुनी*
*वह सती हो गई*
*घुटती रही उसकी फरियाद*
*अटके रहे उसके शब्द*
*सिले रहे उसके होंठ*
*रुन्धा रहा उसका गला*
*उसके हाथ कभी नहीं लगी*
*वह पर्ची*
*जिस पर लिखा था - ‘ कहो* ’
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