जीत लें अपने अस्तित्व पर भारी अहंकार को
आज तुम मैं हम सब जीत लें अपने अस्तित्व पर भारी अहंकार को जो कर देता है किसी भी दिन को कभी भी घोषित "काला-दिन" हाँ वही अहंकार आज के दिन को फिर कलुषित न कर दे कहीं ? आज छोटे बड़े अपने पराये किसी को भी किसी के भी दिल को तोड़ने की सख्त मनाही है कसम बुल्ले शाह की जिसकी आवाज़ आज भी गूंजती हमारे दिलो दिमाग में