पहाड़ पर लालटेन थे मंगलेश डबराल
आजादी के 1 साल बाद 16 मई 1948 को जन्मे मंगलेश डबराल का जन्म टिहरी गढ़वाल प्ले हुआ और आज 9 दिसंबर 2020 को मंगलेश जी परम यात्रा पर निकल गए। मंगलेश डबराल को भाषित करने के लिए यह वक्त नहीं है लेकिन उनके मोटे तौर पर किए गए कार्य की चर्चा करना जरूरी है। उनके 1981 में कविता संग्रह पहाड़ पर लालटेन घर का रास्ता 1988 तथा हम जो दिखते हैं 1995 आवाज भी एक जगह है नए युग में शत्रु यह । मंगलेश डबराल जी को ओमप्रकाश स्मृति सम्मान 1982 श्रीकांत वर्मा सम्मान 1989 साहित्य अकादमी का पुरस्कार 2000 प्राप्त हुआ है खास यह बात थी कि ऐसी कोई खबर इनके जीवन वृत्त में दर्ज नहीं है कि उन्होंने असहिष्णुता पूर्व सम्मान को लौटाया हो। मंगलेश डबराल के एक कविता संग्रह है आवाज भी एक जगह है का इटली भाषा में अनुवाद अनखीला वह चाहिए उन लोगों को तथा अंग्रेजी में 20 नंबर डज नॉट एक्जिस्ट प्रकाशित हुई डबराल जी के दो कविता संग्रह 2 भाषाओं में अनुवाद किए गए किंतु खुद डबराल जी ने पाब्लो नेरुदा के अलावा आधे दर्जन से अधिक लोगों की कविताएं अनुवादित की आइए आज हम उनकी कृति पहाड़ पर लालटेन की कविता लेते हैं अत्याचारी की थक