चलो इश्क की इक कहानी बुनें
हंसी आपकी आपका बालपन देख के दुनिया पशीमान क्यो...? रूप भी आपका,रंग भी आपका फ़िर दिल हमारा पशीमान क्यों। निगाहों की ताकत तुम्हारी ही है इस पे मेरी ये आँखें निगाहबान क्यों..? तुम यकीनन मेरी हो शाम-ए-ग़ज़ल इस हकीकत पे इतने अनुमान क्यों ? चलो इश्क की इक कहानी बुनें जान के एक दूजे को अंजान क्यों ?