17.11.10

सटायर : कृष्ण--क्यों जनम लेते हो तुम

हे कॄष्ण ------

सुनिये एक व्यंग रचना---अरविंद झा जी के ब्लॉग क्रांतिदूत से ---


 


                 अब कौन सी देवकी इतना रिस्क लेकर तुम्हे जनम देगी ? जिस मां लक्ष्मी से तुम्हें जन्म के साथ ही एक्सचेंज किया गया था उसे भ्रुण में ही मार नहीं दिया गया होगा..?. अब तो गायों के चारे लोग खुलकर खाने लगे हैं. क्या खिलाओगे अपनी गैया को ? राधा जैसी हजारो गोपियों के साथ जात और उम्र की परवाह किये बगैर इश्क करने पर चौराहे पर टांगकर जिंदा नहीं जला दिये जाओगे?. आज की औरतें जो फ़िगर के लिये अपने बच्चों को भी अपना दूध नहीं पिलाती , मक्खन चोरी करने पर तुम्हारा फ़िगर नहीं बिगार देंगी....? उपर से मक्खन आइ एस ओ सर्टिफ़ाइड तो होगा नहीं.मिलावट भी हो सकती है...यदि जहरीला निकला तो...? सुदामा जैसे जो छोकङा लोग तुम्हारे साथ गायें चराया करते थे..आज के डेट में चाइल्ड लेबर बने हुए हैं, जो अच्छे घर के थे ईंगलिश स्कूल में पढ रहे हैं. किसके साथ खेलोगे..? तुम्हीं बताओ तुम्हारा एडुकेशन कैसे होगा..? तुम्हारे पापा बसुदेव के पास कोई खजाना तो है नहीं कि लाखो रुपये डोनेशन दे देंगे..रही बात नन्दराज की तो सुन लो आजकल पूरे भारत में राजा कंस की चलती है.(आगे इधर से )

16.11.10

गनीमत है कि बेडरूम तक इनका बस नहीं चलता. वरना ?

              भड़ास ब्लाग पर प्रकाशित   टीआरपी और पाखंड चेहराआलेख बेहद समयानुकूल लगा किंतु   टी आर पी के लिये मीडिया की हथकण्डे बाज़ी के लिये पाठक /दर्शक  भी सनसनाहट पसंद करतें हैं.१० फ़ीसदी लोग ही सही मायने में सच्चे पाठक या दर्शक हैं और इसी बात का फ़ायदा उठाता है "मीडिया" . मीडिया ही क्यों मनोरंजन जगत भी इसी का उदाहरण है. सबको चाहिये सनसनाहट रूमानी बातैं, अधनंगे चित्र गनीमत है कि बेडरूम तक इनका बस नहीं चलता. वरना खैर छोड़िये एक दौर था पति-पत्नि भी मनोहर कहानियों टाइप की किताबें घर में छिप कर बांचते थे. किंतु अब सारे विषय कथानकों में लपेट कर सामान्य रूप से टी०वी० पर परोसे जा रहे हैं. टी आर पी के लिये भागते मीडिया की दुर्दशा की ज़वाब देही हमारी भी तो उतनी ही है भाई . अब तो ब्लाग भी अछूते नहीं. रीडरशिप पाने के लिये जिन विषयों का चयन होता है उनमें पूर्वोक्त विषय अवश्य शामिल होते हैं. सभी उसी दौड़ में हैं. इस आलेख का शीर्षक सामान्य होगा तो कौन आयेगा देखने लेकिन ज़रा भी सनसनाहट वाला हुआ तो पक्का रीडरशिप दो शौ क्या पांच सौ तक निकल जावेगी.  पिछले चार दिन   मैने एक प्रयोग किया और साबित हुआ कि ब्लागर बिरादरी क्या चाहती है :- 
भारत ब्रिगेड जिसका पेज रेंक तीन है के पाठक आध्यात्मिक पोस्ट लगाने के बाद लगभग "71" थे जबकि मिसफ़िट पर"दो सुन्दरीयों के साथ : उडनतश्तरी दिल्ली में उतरी..!!""दो नहीं..... समीरलाल जी के साथ आईं थीं छै: तरुणियां !!"जैसी पोस्ट के पाठक दो सौ के आस पास रहे . आज भी शीर्षक जन रुचि का लगाया है. देखिये ब्लाग की टी.आर.पी. एकाएक बढ़ जावेगी. यह मेरे ब्लाग के लिये भले अच्छी बात है किंतु मेरी नज़र में ठीक नहीं.
   गैर अकादमिक पठन-पाठन  में यौन,राजनीति, ज्योतिष, विवाहेत्तर-सम्बंधों, फ़िल्म, फ़िल्मी-सेलीब्रिटीज़ पर गाशिप, सनसनीखेज विषयों पर केंद्रित   आलेख में पाठकों की सर्वप्रथम  अभिरुचि होती है, फ़िर भी हिन्दी ब्लागिंग के बारे में स्पष्ट करना ज़रूरी सार्थक लेखन के धनी लोगों की उपस्थिति की वज़ह से तथा एग्रीगेटर की आचार सहिंता के चलते फ़िर भी लोग धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करते इधर नज़र आ ही रहे हैं . बहरहाल केवल एक याचना है कि हम हिन्दी ब्लागिंग को हैप्पी-हिन्दी-ब्लागिंग के रूप में बनाएं रखें मुम्बई,जबलपुर,वर्धा,दिल्ली और अब रोहतक सभी जगह इस बात पर एक मत था जानकर खुशी है .  

15.11.10

फ़ोटो-प्रदर्शनी :मुकुल यादव


संगमरमरी सौन्दर्यानुभूति का संकेत
फ़ोटो ग्राफ़्स कैमरे से नहीं दृष्टि से लिये गये
मेरे ही नहीं पूरे शहर के दिल में बसतें हैं रजनीकांत,अरविन्द,मुकुल,
साभार:नई दुनिया
और बसें भी क्यों न शशिनजी ने फ़ोटो-ग्राफ़ी  एक साधना के रूप करते थे जिसका प्रभाव घर परिवार पर पड़ना ही था. सपाट बात है कि प्रकृति को हर हाल में बचाना ज़रूरी है. प्रदर्शनी का उद्देश्य भी इससे इतर नहीं. "मिफ़ोसो"मिलन-फ़ोटो-ग्राफ़ी सोसायटी , जबलपुर के तत्वावधान में आयोजित इस प्रदर्शनी के रानी दुर्गावती संग्रहालय में आयोजि परिसंवाद में "भेड़ाघाट, पर्यटन एवम संरक्षण " विषय पर कुल कर चर्चा भी हुई. सभी वक्ता इस बात पर जोर दे रहे थे कि पर्यटन-विकास के नाम पर अब कोई विद्रूपण स्वीकार्य न होगा. अमृतलाल वेगड़ जी इस बात को लेकर खासे चिंतित लगे. उनका कथन था :- "ये चित्र जितनी खूब सूरती से लिये गये हैं उसके लिये मुकुल यादव को आशीर्वाद .क्योंकि फ़ोटो यह भी संकेत दे रहें हैं कि इस नैसर्गिक सुन्दरता को बचाना भी है "श्रीयुत श्याम कटारे जी, श्री रामेश्वर नीखरा, भूगर्भ-शास्त्री डा०विजय खन्ना,डा० अजित वर्मा, सहित सभी ने आस्था-सरिता को प्रदूषण से मुक्त रखने की अपेक्षा अपने अपने शब्दों में की.डा०राजकुमार तिवारी"सुमित्र",पं०मदन तिवारी,राजेन्द चंद्रकांत राय,डा०गोविंद बरसैंया, और रजनीकांत यादव जी ने विमर्श में हिस्सा लिया. आज़ दिनांक १५ नवम्बर २०१० को एक डाक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की जावेगी . 


नोट:- मुकुल से वार्ता एवम उनके फ़ोटो कुछ दिनों बाद"मिसफ़िट" पर ही 

14.11.10

मिसफ़िट बालसभा :अर्चना चावजी द्वारा

                           बच्चो आज़ का दिन आपको मुबारक़ हो . हम बचपन से इस दिन पर चाचा नेहरू को याद करते हैं. पर हम ये नहीं सोच पाते की आज़कल कितने ही बच्चे पैसे के अभाव में न तो स्कूल जा पाते न ही कुछ सीख पाते. कुछ बच्चे तो जन्म से कुछ अन्य कारणों से अपाहिज़ हो जाते हैं. उन्हीं बच्चों में से एक बच्चा जिसे दिखाई नही देता जबलपुर के पास एक गांव सोहड़ में रहता था. अपने गिरीश अंकल है न वो अपनी पर्यवेक्षक बहन माया मिश्रा जी के साथ गांव के दौरे पर गए मंगल से मिले मंगल इतना कुपोषित था कि बस कभी भी उसकी जीवन की कहानी खतम हो सकती थी. क्या खतम हो सकती थी
बच्चे: दीदी,जीवन की कहानी याने दीदी?
 दीदी:-यानी मंगल को कोई बीमारी घेरती तो वह सह न पाता और मर जाता.
बच्चे:फ़िर क्या हुआ अर्चना दीदी ?
 हुआ ये कि मंगल की मम्मी जो खेत पर मज़दूरी करती को समझाया गया. आंगनवाड़ी वाली दीदी प्रीता पटेल ने,माया मिश्रा ने गिरीश अंकल ने भी
बच्चे:-अच्छा..फ़िर...?
दीदी:-फ़िर क्या उसी दिन जबलपुर के सरकारी अस्पताल रानी दुर्गावती अस्पताल में "पोषण-पुनर्वास-केंद्र" में बच्चे को भर्ती किया पंद्रह दिन में मंगल की मम्मी ने सीखा कैसे सस्ते अनाज़ से बाल आहार को पौष्टिक बना के किस तरह बच्चे को खिला जाता है .
बच्चे:-अब कैसा है मंगल.....?
दीदी:-मंगल जून महीने में अंकल ने बता था था कि वो अब इतना भारी हो गया कि उसे उठाना मुश्किल.
बच्चे:-तो मंगल स्कूल जाता है क्या..?
दीदी:-न गांव में प्रीता दीदी आंगनवाड़ी है न वही आता है.स्कूल जाएगा पढ़ेगा भी. पता है गिरीश अंकल एक एलबम बनवा रहे हैं "जीभ-पलट गीतों का" जिसे गायेंगे आभास जोशी और बहुत सारे बच्चे शायद मैं भी..?. उसकी आमदनी से जो पैसा मिलेगा उसका एक हिस्सा जाएगा मंगल के खाते में
बच्चे:-दीदी  आप गाती भी हो?
दीदी:-हां कभी कभी
बच्चे:-तो सुनाओ न सुनाओ न सुनाओ न......(शोर इतना बढ़ा कि मुझे झुकना पड़ा और सुना दिये मैने उनके गिरीश अंकल के लिखे ये गीत) ---

कुछ ऊँट उँचा--


पीतल के पतीले में--



अपर रोलर लोअर रोलर---

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चलिये मिलते हैं छै: साल के छोकरे मास्टर निकुंज त्यागी से
नाम - निकुंज त्यागी उम्र - ६ साल
क्लास - पहली ग्रेड पर क्लास टीचर के हिसाब से तीसरी ग्रेड से भी ज्यादा की जानकारी पढ़ने में और गणित में
रूचि - किताबें पढ़ना , और जर्नल लिखना अपने अनुभवों के बारे में, स्टार वार्स और पॉवर रेंजर का दीवाना है, साथ ही क्यूंकि उसका नाम का एक अर्थ कृष्ण भगवान् भी होता है तो कृष्ण जी के बाल रूप का दीवाना है ! डांस में विशेष रूचि है !
टेनिस, soccer, और तैराकी में अभी तक तो अव्वल है ! साथ ही पिछली साल उसकी एक पेंटिंग का प्रदर्शन स्कूल की और से एक जिला स्तरीय प्रदर्शनी में हो चुका है
यू ट्यूब पर देखिये क्या ला ज़वाब वाह भई वा




http://www.youtube.com/watch?v=hghS1ZV3yQc
http://www.youtube.com/watch?v=V3vVOWTdE9M
http://www.youtube.com/watch?v=5UmIGS-fpUM
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13.11.10

"दो नहीं..... समीरलाल जी के साथ आईं थीं छै: तरुणियां !!"

                   जी सच है दिल्ली से प्राप्त जानकारी के अनुसार समीर लाल जी के साथ जिनको देखा गया था दो नहीं पूरी छै: थीं छै: वे सभी कौन हैं उनका परिचय क्या है ? अपने  मिसफ़िट पर कल किये वादे के मुताबिक आपको बताना ज़रूरी था सो बता देता हूं सूची परिचय सहित पेश-ए-नज़र  है:-
  1. धैर्या =  यह कन्या समीर लाल उर्फ़ उड़नतश्तरी के साथ बरसों से रह रही है इनके गहरे अंतर्संबंध हैं. समीर का जीवन-दर्शन भी इसी से सुस्पष्ट होता है जो इनको जानतें हैं. समीर की रगों में बसती है धैर्या जिसे पुरुष वादी लोग  धीरज कहते हैं .
  2. कामना:- पंद्रह-सोलह के थे तबसे इनके उर जा बसी  खूब झेला दुनियादारी का रंग फ़िर भी सबके लिये कामना के हाथों  "मंगल" ही बांटते रहे
  3. क्षमा:- इस ने तो इनको बहुत बेकाम का इन्सान साबित करा दिया कई बार तो मैने भी कहा आप इग्नोर कर देते हो आप भी पलटवारी बनो भाई, हंस देते हैं कहते हैं ये क्षमा है न पलटवार करने से मना करती है
  4. स्नेहा:- यह युवती समीर को ब्लागिंग के समय मदद करती है. जाने-अनजाने. ब्लागर्स के हर पोस्ट पर स्नेह बिखेर आती है. 
  5. श्वेता:- समीर के  के व्यक्तित्व  से स्वच्छ श्वेत व्यक्तित्व का आभास देने में सहायक यह इनकी सबसे प्रिय है 
  6. गंभीरा:- सारी दुनिया के सारी खलबलियां एक साथ भी आभासित हों समीर का गम्भीरपना न जा पाये है 
                अब बताओ पूज्या भाभी को इन आभासी   बालाओं से काहे डाह होगी डाह भले ही भगवान ने शरीर-रचना के समय डाल भी दी हो तो भी कोई नर या मादा इन सुंदरी बालाओं से "डाह" नहीं कर सकता जो धैर्या,कामना,कामना,क्षमा,श्वेता,गंभीरा हों तथा व्यक्तित्व को निखारती हो कहो भाई कैसी रही ?
नोट:- इन बालाओं के सेल फ़ोन से लिये फ़ोटो आप मुझे मेल कीजिये ताकि़ पोस्ट के साथ लगा सकूं. सादर शुभ कामनाओं सहित आपका ही-गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"  
तुरंत रपट :- यूरेका पर  

 

                              (श्रीयुत एम. वर्मा साहब के सबसे तेज़ ब्लाग"यूयेका से " साभार ) 
कुछ और ताज़ा तस्वीरें अजय भैया के पास है "यहां"
अविनाश वाचस्पति की पोस्ट की प्रतीक्षा सब कर रहे हैं   

"दो सुन्दरीयों के साथ : उडनतश्तरी दिल्ली में उतरी..!!"


सारा ब्लाग जगत में कौतुक भरी नज़र से अविनाश वाचश्पति के ब्लागों पर क्लिक पे क्लिक मारे जा रहा था कि उडनतश्तरी के लैण्ड होने की क्या खबर है  कैमरे स्टिल-फ़्लैश सब चल पड़े थे कवरेज़ को पर पता चला कि एयर-पोर्ट पर सेन्सर-शिप लागू है. रक्षा मंत्रालय के सूत बताते हैं कि सुरक्षा कारणों से देश हित में ज़रूरी था. असल में  माज़ारा क्या है इस पर कोई न बोला ताऊ महाराज भी सुन्न दबा के बैठ गये , दिल्ली के अजय भाई ने भी चुप्पी ही रखी , जबलपुर के महेन भैया बवाल साब सब चुप्प यानी "गड़ा गुप्प चिड़ा चुप्प..!!" अब मेरे दिमाग में चैन कहां. तमाम भोपाली टांगे वालों ने अब मरियल घोड़ों को काला खिज़ाब लगवा लिया जबलपुर में भी खूब बिक रहा है गार्नियर भी दिल्ली में तो कनाट प्लेश की दुकान लुट गई इस चक्कर में इस वीकेण्ड हेयर कलर ब्लैक में भी मुश्किल है लोग बुढ़ापा कैसे छिपाएंगें ...दुनिया भर में खबर है उडनतश्तरी को काले घोड़े के दाएं अरे नहीं बाएं पैर की अपने आप निकली नाल चाहिये  सारे घोड़े काले कर दिये बूढ़े-खूसट सईसों ने. घोड़ियां हैं कि लत्ती मार मार कर अपने पति को दुत्त्कार रहीं हैं. धन्नो ने तो  भोपाल में सचिवालय के सामने धरना दे दिया कि हमारे पति बदल दिये गये हैं सरकार चुपचाप सो रही है. सी जी के  ललित शर्मा ने बयान जारी करना पड़ा  कि:-"कोई भी पत्नी जिस स्वरूप में पति का वरण करनी है उससे विलग छवि को स्वीकारना धर्म के विरुद्ध है घोड़ों को तलाक देने को बाध्य हैं घोड़ियां सतीत्व की रक्षार्थ न्यायोचित है." घोड़ा मालिकों की गिरफ़्तारी के आश्वासन के बाद धन्नो ने मोर्चा खुर्द-बुर्द किया.खैर अब रही बात कि कल के कार्यक्रम की तो तय शुदा वक़्त पर पूरे इत्मीनान से होगा . उडन तश्तरी के साथ जिन दो तारिकाओं का फ़ोटू छपा है इनके आने से वातावरण कैसा होगा कहना मुश्किल है  अत: मध्य-प्रदेश से आफ़िसियल रिपोर्ट तक फ़िलहाल दिल्ली प्रशासन ने इस बात की मंजूरी इन्तज़ाम अली एवम ब्लाग जगत के सूचना-प्रसारण मंत्री ज़नाब अविनाश वाचश्पति को  नहीं दी है.इतर जानकारी के लिये चौखट इधर है=>; {{([])}}
                                                      दिल्ली-ब्लागर्स-मीटिंग का एजेण्डा 
     "दिल्ली से जबलपुर तक समर जी की सत्रह घंटे की यात्रा के लिये आवश्यक सुझाव का मसौदा तैयार किया जावेगा जिसे रोहतक में अंतिम स्वीकृति मिलेगी "

डिस्क्लेमर
मित्रो:- यह आलेख केवल मनोविनोदन के लिये है
अत: आप  से  ठिलठिला के  हंसने की गुज़ारिश है
मिसफ़िट के लिये दिल्ली में अविनाश वाचस्पति, छत्तीसगढ में ललित शर्मा के साथ गिरीश बिल्लोरे मुकुल 
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  • विशेष सूचना :- अभी अभी पता चला है कि वे सुंदरियां कौन हैं उनका नाम क्या है आदि-आदि इस बारे में हमारी  टीम से आधिकारिक रिपोर्ट मिलते ही खुलासा कर दिया जावेगा
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12.11.10

बच्चन के बच्चा हुआ, नाम हो बच्चू सूर मां और बाप के नाम की छाप रहे भरपूर

बेहद विचित्रताओं भरा जीवन किंतु सपाट और तीखा-व्यंग करने वाले स्वर्गीय हरिशंकर परसाई जी का अनूठा और दुर्लभ चित्र प्रस्तुत करते हुए बेहद रोमांचित होता जा रहा हूं. आज लिखना चाह रहा हूं "दशद्वार से सोपान" पर किंतु उसी क़िताब में क्षेपक से छिपी इस तस्वीर को आप सबके सामने लाकर मन रोमांच से भर आया. यह करामात स्वर्गीय शशिन यादव की है, "करामात" शब्द का प्रयोग  क्यों कर रहा हूं इस विषय पर बाद में बात करूंगा. अभी बच्चनजी की कृति पर चर्चा ही करूंगा. अव्वल तो यह साफ़ कर देना चाहता हूं कि मैं कुछ भी नहीं पढ़ता और जब पढ़ता हूं तो उसे ही जो जीवनोपयोगी हो ..
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                             दशद्वार से सोपान तक  
"यह कृति की समीक्षा नहीं बल्कि सार्वकालिक कहने की कोशिश है"
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"तेज़ी जी  से शादी करने का अर्थ  अपमान से ज़्यादा उस युग में आंकना भी गलत था.  बच्चन जी का तेजि जी से विवाह एक पाप के तुल्य मानी गई सामान्य रूप से जीवन में आप देखें तो पाएंगे कि यदि आप पर ऐसा कोई आरोप झूठा ही सही लग जाए तो सबसे पहले रिश्तेदारी की गांठ जो कस के लगाई होती है जिसे मान-मनुहार से जोड़ा जाता है सबसे पहले "फ़्रीज़र में जमे बर्फ़ की तरह " रिसने लगती है. एकाध बार कोई मित्र मण्डली आपके संग साथ बैठी तो बैठी वरना जितना ज़ल्द से ज़ल्द  हो सके कन्नी काटने की कोशिश भी करती है और तो और काट भी लेती  है.मैं भी बच्चन जी की इस पीर को उस समय समझ पाया था जब परिवार के एक रिश्तेदार की पुत्र वधू ने उनको दहेज़ प्रताड़ना के मामले में जेल भिजवा दिया हम नार्मदेय-ब्राह्मणों में दहेज न तो मांगा जाता और न ही दिया जाता. बात फ़ैलते ही लोगों ने उनसे दू्री बनानी शुरु कर दी  . मेरे घर में बड़े भैया की शादी होने वाली थी... मेरी मां तो सच सव्यसाची थीं उन्हैं  सबसे स्नेह था जानतें हैं घर में बिराजे गणेश जी  सहित  पूजा-कक्ष से सारे आराध्यों को आमंत्रित कर सब से पहला कार्ड देने उसी  उपेक्षित परिवार में  गईं थी बाबूजी को साथ लेकर गईं. लौटने पर कौतुहल वश मैने पूछा :- क्या ज़रूरी था  उधर सबसे पहले जाना पहले अमुक को न्योता देते इस घर में तो बाद में भी जा सकते थे हम बच्चों मे से कोई दे आता (तब मैं बाईस बरस का बच्चा था) इस पर मां बाबूजी मेरी बात सुन कर मंद मंद मुस्कुराए मां ने कहा था:-"पप्पू,कैसा कवि है तू..?"
मेरे सवाल का ज़वाब मुझे मिला और आत्मकथा के इस भाग ने उसकी व्याख्या की . किसी ने  कुंठा वश  दो पंक्तियां लिखीं थी तब  शिशु अमिताभ को देखते हुए:-
बच्चन के बच्चा हुआ, नाम हो बच्चू सूर
मां और बाप के नाम की छाप रहे भरपूर
अपमानित करने लिखी गईं पंक्तियाँ सटीक थीं अमित जी आज सबसे महत्वपूर्ण ज़रूरी और लोक प्रिय हैं इसमें कोई शक नहीं 
मधुशाला को लेकर हंगामे से सभी परिचित हैं  अब आप ही देखिये इस चतुष्पदी को कहां है मादकता -
क्षीण, क्षुद्र, क्षणभंगुर, दुर्बल मानव मिटटी का प्याला,
भरी हुई है जिसके अंदर कटु-मधु जीवन की हाला,
मृत्यु बनी है निर्दय साकी अपने शत-शत कर फैला,
काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है यह मधुशाला।(कविता कोष से समीक्षार्थ साभार)
मेरी नज़र में कोई गंदगी नहीं विशुद्ध अध्यात्म है मधुशाला मैं पीने वालों में से नहीं फ़िर भी साबित कर सकता हूं कि बच्चन हाला-के कवि न थे .बच्चन समग्र इधर  मिलेगा ० =>;"कविता-कोष में"
                 यहां एक बात साफ़ तौर पर कहना है कि किसी भी विक्टिम को अपराधी की तरह ट्रीट किया जाने से बड़ा अपराध और कोई नहीं  न तो आप-हम स्रजक और नियंता हैं न ही किसी के न्यायाधीश ही स्वयम प्रभू होने का दावा करना सत्ता का अहंकार मात्र होता है.
"एक बार एक एक धूर्त राजा जो चापलूसी पसंद अपने मंत्री को आईना देखने की सलाह दे रहा था  सउदाहरण   उसने धूर्त राजा ने बताया कि मंत्री तुम्हारे कितने अपराध हैं लोग तुमको राज्य में सबसे ज़्यादा नापसंद करतें हैं तुम्हारी छवि ठीक नहीं खुद का सुधार करो . मंत्री को समझ में आ गया कि राजा का अब अंत निकट है सो उसे बचाना भी ज़रूरी है. वरना पराधीनता भी तय है. सो उसने राजा से रात को जन रुचि परखने चला जावे वेष बदल कर. यदि सच हुआ तो मुझे देश निकाला दे दीजिये .
धूर्त राज़ा ने सोचा मंत्री उसे चुनौती दे रहा है फ़ौरन सूर्यास्त के पूर्व देश से प्रस्थान  के आदेश दे दिये. सुविज्ञ ज्ञानवान के राजा का छोटा भाई खुश हुआ. बस भाई को नज़र बंद कर अगले ही दिन मुकुट हथिया लिया . आशय साफ़ है कानों से मूर्ख और धूर्त देखते हैं आँखों से पढ़े-लिखे किंतु  सत्यान्वेषी अंतस-के नेत्रों से देखते हैं .
आज के परिदृश्य में उस राजा की तरह देखने वालों की संख्या सर्वाधिक है.
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                           अभी-अभी 
पोस्ट यथा संभव जटिल नहीं है . मुझे यकीन है किन्तु
अरविन्द  मिश्र जी के सर के ऊपर से सर्र से निकलना
यानी मुझे कुछ और सरल प्रवाह में लिखना होगा ताकि ...?
      बच्चन जी की आत्म-कथा चार भाग में

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विश्व का सबसे खतरनाक बुजुर्ग : जॉर्ज सोरोस

                जॉर्ज सोरोस (जॉर्ज सोरस पर आरोप है कि वह भारत में धार्मिक वैमनस्यता फैलाने में सबसे आगे है इसके लिए उसने कुछ फंड...