13.11.10

"दो नहीं..... समीरलाल जी के साथ आईं थीं छै: तरुणियां !!"

                   जी सच है दिल्ली से प्राप्त जानकारी के अनुसार समीर लाल जी के साथ जिनको देखा गया था दो नहीं पूरी छै: थीं छै: वे सभी कौन हैं उनका परिचय क्या है ? अपने  मिसफ़िट पर कल किये वादे के मुताबिक आपको बताना ज़रूरी था सो बता देता हूं सूची परिचय सहित पेश-ए-नज़र  है:-
  1. धैर्या =  यह कन्या समीर लाल उर्फ़ उड़नतश्तरी के साथ बरसों से रह रही है इनके गहरे अंतर्संबंध हैं. समीर का जीवन-दर्शन भी इसी से सुस्पष्ट होता है जो इनको जानतें हैं. समीर की रगों में बसती है धैर्या जिसे पुरुष वादी लोग  धीरज कहते हैं .
  2. कामना:- पंद्रह-सोलह के थे तबसे इनके उर जा बसी  खूब झेला दुनियादारी का रंग फ़िर भी सबके लिये कामना के हाथों  "मंगल" ही बांटते रहे
  3. क्षमा:- इस ने तो इनको बहुत बेकाम का इन्सान साबित करा दिया कई बार तो मैने भी कहा आप इग्नोर कर देते हो आप भी पलटवारी बनो भाई, हंस देते हैं कहते हैं ये क्षमा है न पलटवार करने से मना करती है
  4. स्नेहा:- यह युवती समीर को ब्लागिंग के समय मदद करती है. जाने-अनजाने. ब्लागर्स के हर पोस्ट पर स्नेह बिखेर आती है. 
  5. श्वेता:- समीर के  के व्यक्तित्व  से स्वच्छ श्वेत व्यक्तित्व का आभास देने में सहायक यह इनकी सबसे प्रिय है 
  6. गंभीरा:- सारी दुनिया के सारी खलबलियां एक साथ भी आभासित हों समीर का गम्भीरपना न जा पाये है 
                अब बताओ पूज्या भाभी को इन आभासी   बालाओं से काहे डाह होगी डाह भले ही भगवान ने शरीर-रचना के समय डाल भी दी हो तो भी कोई नर या मादा इन सुंदरी बालाओं से "डाह" नहीं कर सकता जो धैर्या,कामना,कामना,क्षमा,श्वेता,गंभीरा हों तथा व्यक्तित्व को निखारती हो कहो भाई कैसी रही ?
नोट:- इन बालाओं के सेल फ़ोन से लिये फ़ोटो आप मुझे मेल कीजिये ताकि़ पोस्ट के साथ लगा सकूं. सादर शुभ कामनाओं सहित आपका ही-गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"  
तुरंत रपट :- यूरेका पर  

 

                              (श्रीयुत एम. वर्मा साहब के सबसे तेज़ ब्लाग"यूयेका से " साभार ) 
कुछ और ताज़ा तस्वीरें अजय भैया के पास है "यहां"
अविनाश वाचस्पति की पोस्ट की प्रतीक्षा सब कर रहे हैं   

33 टिप्‍पणियां:

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

Bahut Khoob...

chankya ने कहा…

मज़ा आ गया पड़ कर ... वो कहते है मज़ा नहीं आये तो पैसे वापिस ...पर आप ना तो पैसे मांग रहे पर दे रहे हो उम्मीद से दोगुना;... क्या बात है ?
दिवाली का उपहार !!

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

आप सुधि जनों का दास हूं

सुनीता शानू ने कहा…

वाह क्या बात है गिरीश भाई आपने समीर भाई के गुणो का बखान अनोखे ढँग से किया बहुत अच्छा लगा।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

:) गज़ब प्रस्तुति.....

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

सुनीता जी
जबलपुर का लम्ब्रेटा नामक फ़टफ़टी पर मिलने वाला व्यक्तित्व हमारा हीरा है हीरा उसकी तारीफ़ कम ही की है

Darshan Lal Baweja ने कहा…

:) गज़ब की प्रस्तुति.....

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

आभार दर्शन भैया

ZEAL ने कहा…

sabhi khoobsurat hain !

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना ने कहा…

bhai बिल्लौरे जी ! क्या सनसनीखेज़ गुणों का बखान किया है आपने समीर जी का / मज़ा आ गया

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर और कलात्मक प्रस्तुति।

रानीविशाल ने कहा…

बहुत जबरजस्त रही :)
दुआएँ भी दर्द देती है

Swarajya karun ने कहा…

आपने किया उड़न तश्तरी का अनोखा स्वागत,
हम भी करते हैं अभिनन्दन हे अभ्यागत !

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

मैं वहां उपस्थित न था मानसिक उपस्थिति के लिये बेहतर विकल्प क्या होगा सोचकर कल रात से आज तक इसी गुंताड़े में था.... कि कैसे प्रिय जन का स्वागत करूं. मां शारदा की कृपा का असर आप सबका स्नेह इसकी बुनियाद में है
आभार तो आपका सबका है जी
नत-मस्तक हूं

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बहुत खूब दादा ......सारी अन्दर की बाते बाहर कर दी आपने !

Archana Chaoji ने कहा…

वाह,बहुत खूब रही...स्वागत हो तो ऐसा...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

क्या खूब कही...

naresh singh ने कहा…

बहुत सुन्दर |

Arvind Mishra ने कहा…

लगता है आपकी कल्पना ने यह सब बताया ...

Taarkeshwar Giri ने कहा…

Kya bat hai

Unknown ने कहा…

lekhani ka ek alag namuna sunder laga padh kar.

Asha Joglekar ने कहा…

क्या लपेटा है समीर लाला जी को । पर आपके स्पष्टीकरण ने सारी पोल खोल दी ।

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

चलिए यह तो सिद्ध हुआ कि नारी का दूसरा नाम गुण हैं। बधाई समीरजी आपके गुणों को जानकर।

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

नारी कय परिभाषा आखर
ना बोलय न बोओ झाखर
री बोलय आवेश न राखो
नारी गुन कय खान

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) ने कहा…

बहुत खूब.. ये सारी तरुणियां अगर किसी एक के साथ हैं, तो वे समीरलाल जी ही हैं..

हैपी ब्लॉगिंग

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

जी आशीष जी ये छोटे छोटे हाथों वाला आदमी बड़ा इसी लिये है . मुझे तो वो लम्ब्रेटा नाम की फ़टफ़टी वाला ही नज़र आता है शहर-जबलपुर की शान ... दोस्ती की मशहूर दुकान

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

खूब याद आया सदर तब चिकने चुपड़े बाईकर्स बाय’स के तफ़रीह का अड्डा न था तब बड़े बाप की औलादें बिगडैल न होतीं थीं

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत अच्छी पोस्ट ..गिरीश जी ,
हर पत्नि चाहेगी की यह सब बालाएं उनके पति के साथ भी हों :):)

किलर झपाटा ने कहा…

कितने बदमाश हो गिरीश भैया। हाँ नहीं तो। हा हा। बहुत मजा आ गया।

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Mr. Jhapata
Sahee kaha
This is just for joy

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर है!
--
बाल दिवस की शुभकामनाएँ!

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही बढ़िया पोस्ट

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

देर से ही सही , शानदार पोस्ट पढ़ने को तो मिली …
आभार !

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