भड़ास ब्लाग पर प्रकाशित टीआरपी और पाखंड चेहराआलेख बेहद समयानुकूल लगा किंतु टी आर पी के लिये मीडिया की हथकण्डे बाज़ी के लिये पाठक /दर्शक भी सनसनाहट पसंद करतें हैं.१० फ़ीसदी लोग ही सही मायने में सच्चे पाठक या दर्शक हैं और इसी बात का फ़ायदा उठाता है "मीडिया" . मीडिया ही क्यों मनोरंजन जगत भी इसी का उदाहरण है. सबको चाहिये सनसनाहट रूमानी बातैं, अधनंगे चित्र गनीमत है कि बेडरूम तक इनका बस नहीं चलता. वरना खैर छोड़िये एक दौर था पति-पत्नि भी मनोहर कहानियों टाइप की किताबें घर में छिप कर बांचते थे. किंतु अब सारे विषय कथानकों में लपेट कर सामान्य रूप से टी०वी० पर परोसे जा रहे हैं. टी आर पी के लिये भागते मीडिया की दुर्दशा की ज़वाब देही हमारी भी तो उतनी ही है भाई . अब तो ब्लाग भी अछूते नहीं. रीडरशिप पाने के लिये जिन विषयों का चयन होता है उनमें पूर्वोक्त विषय अवश्य शामिल होते हैं. सभी उसी दौड़ में हैं. इस आलेख का शीर्षक सामान्य होगा तो कौन आयेगा देखने लेकिन ज़रा भी सनसनाहट वाला हुआ तो पक्का रीडरशिप दो शौ क्या पांच सौ तक निकल जावेगी. पिछले चार दिन मैने एक प्रयोग किया और साबित हुआ कि ब्लागर बिरादरी क्या चाहती है :-
भारत ब्रिगेड जिसका पेज रेंक तीन है के पाठक आध्यात्मिक पोस्ट लगाने के बाद लगभग "71" थे जबकि मिसफ़िट पर"दो सुन्दरीयों के साथ : उडनतश्तरी दिल्ली में उतरी..!!""दो नहीं..... समीरलाल जी के साथ आईं थीं छै: तरुणियां !!"जैसी पोस्ट के पाठक दो सौ के आस पास रहे . आज भी शीर्षक जन रुचि का लगाया है. देखिये ब्लाग की टी.आर.पी. एकाएक बढ़ जावेगी. यह मेरे ब्लाग के लिये भले अच्छी बात है किंतु मेरी नज़र में ठीक नहीं.
गैर अकादमिक पठन-पाठन में यौन,राजनीति, ज्योतिष, विवाहेत्तर-सम्बंधों, फ़िल्म, फ़िल्मी-सेलीब्रिटीज़ पर गाशिप, सनसनीखेज विषयों पर केंद्रित आलेख में पाठकों की सर्वप्रथम अभिरुचि होती है, फ़िर भी हिन्दी ब्लागिंग के बारे में स्पष्ट करना ज़रूरी सार्थक लेखन के धनी लोगों की उपस्थिति की वज़ह से तथा एग्रीगेटर की आचार सहिंता के चलते फ़िर भी लोग धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करते इधर नज़र आ ही रहे हैं . बहरहाल केवल एक याचना है कि हम हिन्दी ब्लागिंग को हैप्पी-हिन्दी-ब्लागिंग के रूप में बनाएं रखें मुम्बई,जबलपुर,वर्धा,दिल्ली और अब रोहतक सभी जगह इस बात पर एक मत था जानकर खुशी है .
16 टिप्पणियां:
समयानूकूल,सटीक आलेख.....आभार....हैप्पी ब्लॉगिंग....
आज तो गजब ही हैडिंग लगायें हैं आप, टी.आर.पी. बड़ेगी ही।
सटीक आलेख
विचारणीय बात कही है ....सार्थक ...
Kya kahane. Is farmule ka nitya prayog kare.:)
यह आइडिया वाकई बहुत धांसू है।
bahut badhiya
सभी का आभार
वैसे भैया आईडिया स्तिथिजन्य आत्म-चिंतन है
nice
सुन्दर आलेख. आभार.
I agree with you
Chat ki dukaan to hamesha hot hai
गिरीश जी बहुत सही बात कही आपने... दुनिया जलवे के पीछे दीवानी है. हम टी वी को टी आर पी के लिए कोसते है. एहा भी तो नंबर की ही लड़ाई देखने को मिल रही है. उम्मीद है की हिंदी ब्लॉग जगत सार्थकता के साथ अपनी पहचान बनाएगा.
सही है सनसनी का कोई अंत नही है इस पतिस्पर्धा के युग मे ।
बिलकुल सही कहा आपने....
lekin main to yahan hamesha aata hoon...
हा हा शेखर भैया
मज़ेदार बात
कह दी
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