24.10.10

विश्व कवि मुक्तिबोध का स्मरण

गजानन माधव 'मुक्तिबोध',मुक्तिबोध की रचनाएँ कविता कोश में,भूरी-भूरि खाक धूलितो अंतर जाल पर उपलब्ध हैं उससे हटके मेरी नज़र में गजानन माधव "मुक्तिबोध" सदकवियों, विचारकों सामान्य-पाठकों , शोधार्थियों के लिए अनवरत ज़रूरी है.  मुझे जो रचनाएं  बेहद पसंद है वे ये रहीं जो विकी से साभार लीं जाकर सुधि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है,
http://4.bp.blogspot.com/_lxzqs1Yxoss/SYA04D-9m_I/AAAAAAAAAjg/Vc7FpWIDHD8/s200/gajanan_madhav_muktibodh.jpg
मुक्ति बोध का य चित्र जबलपुर में शशिन जी ने उतारा था
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg3_TWTGM8U5lr0iScgo5rFbvEkYyiEuQofss4ucM1L0gGYLkZf4BJ6E2n1RdN6H8c_LmpH4orH7D4UQZGTVYAxXNrtgEH5s5GYBNy4UMmna1me_pcCFNjXnjbc3wWmMlDsgfekN-1sueU/s320/jayprakash.jpgरायपुर की संस्था प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, छत्तीसगढ़ का आभार ज़रूरी है जो  अ. भा. रचना शिविर मुक्तिबोध की कर्मस्थली में आयोजित कर रहा है इस विस्तृत विवरण यहां और सृजनगाथा के इस पन्ने पर उपलब्ध है.साथ ही अपना मेल बाक्स खोलिये शाय जयप्रकाश मानस का मेल आपके मेल बाक्स में हो . 
रायपुर । रचनाकारों की संस्था, प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा देश के उभरते हुए कवियों/लेखकों/निबंधकारों/कथाकारों/लघुकथाकारों/ब्लॉगरों को देश के विशिष्ट और वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा साहित्य के मूलभूत सिद्धातों, विधागत विशेषताओं, परंपरा, विकास और समकालीन प्रवृत्तियों से परिचित कराने, उनमें संवेदना और अभिव्यक्ति कौशल को विकसित करने, प्रजातांत्रिक और शाश्वत जीवन मूल्यों के प्रति उन्मुखीकरण तथा स्थापित लेखक तथा उनके रचनाधर्मिता से तादात्मय स्थापित कराने के लिए अ.भा.त्रिदिवसीय/रचना शिविर (18, 19, 20 दिसंबर, 2010) सृजनात्मक लेखन कार्यशाला का आयोजन विश्वकवि गजानन माधव मुक्तिबोध की कार्यस्थली(त्रिवेणी परिसर), राजनांदगाँव में किया जा रहा है । इस अखिल भारतीय स्तर के कार्यशाला में देश के 75 नवोदित/युवा रचनाकारों को सम्मिलित किया जायेगा ।
संक्षिप्त ब्यौरा निम्नानुसार है-
प्रतिभागियों को 20 नवंबर, 2010 तक अनिवार्यतः निःशुल्क पंजीयन कराना होगा । पंजीयन फ़ार्म संलग्न है ।
प्रतिभागियों का अंतिम चयन पंजीकरण में प्राप्त आवेदन पत्र के क्रम से होगा ।
पंजीकृत एवं कार्यशाला में सम्मिलित किये जाने वाले रचनाकारों का नाम ई-मेल से सूचित किया जायेगा ।
प्रतिभागियों की आयु 18 वर्ष से कम एवं 45 वर्ष से अधिक ना हो ।
प्रतिभागियों में 5 स्थान हिन्दी के स्तरीय ब्लॉगर के लिए सुरक्षित रखा गया है ।
प्रतिभागियों को संस्थान/कार्यशाला में एक स्वयंसेवी रचनाकार की भाँति, समय-सारिणी के अनुसार अनुशासनबद्ध होकर कार्यशाला में भाग लेना अनिवार्य होगा ।
प्रतिभागी रचनाकारों को प्रतिदिन दिये गये विषय पर लेखन-अभ्यास करना होगा जिसमें वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा मार्गदर्शन दिया जायेगा ।

कार्यशाला के सभी निर्धारित नियमों का आवश्यक रूप से पालन करना होगा ।
प्रतिभागियों को सैद्धांतिक विषयों के प्रत्येक सत्र में भाग लेना अनिवार्य होगा । अपनी वांछित विधा विशेष के सत्र में वे अपनी इच्छानुसार भाग ले सकते हैं । प्रतिभागियों के आवास, भोजन, स्वल्पाहार, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह की व्यवस्था संस्थान द्वारा किया जायेगा ।
प्रतिभागियों को कार्यशाला में संदर्भ सामग्री दी जायेगी ।
प्रतिभागियों को अपना यात्रा-व्यय स्वयं वहन करना होगा ।
                        प्रतिभागियों को 17 दिसंबर, 2010 दोपहर 3 बजे के पूर्व कार्यशाला स्थल त्रिवेणी परिसर/सिंधु सदन, जीई रोड, राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ में अनिवार्यतः उपस्थित होना होगा । पंजीकृत/चयनित प्रतिभागी लेखकों को कार्यशाला स्थल (होटल) की जानकारी, संपर्क सूत्र आदि की सम्यक जानकारी पंजीयन पश्चात दी जायेगी ।
संपर्कसूत्र
जयप्रकाश मानस
कार्यकारी निदेशक
प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, छत्तीसगढ़
एफ-3, ..माशिम, आवासीय परिसर, पेंशनवाड़ा, रायपुर, छत्तीसगढ – 492001
ई-मेल-pandulipipatrika@gmail.com
मो.-94241-82664
पंजीयन हेतु आवेदनपत्र नमूना
01. नाम -
02.
जन्म तिथि व स्थान (हायर सेंकेंडरी सर्टिफिकेट के अनुसार) -
03.
शैक्षणिक योग्यता
04.
वर्तमान व्यवसाय -
05.
प्रकाशन (पत्र-पत्रिकाओं के नाम)
06.
प्रकाशित कृति का नाम
07.
ब्लॉग्स का यूआरएल – (यदि हो तो)
08.
अन्य विवरण ( संक्षिप्त में लिखें)
09.
पत्र-व्यवहार का संपूर्ण पता (ई-मेल सहित)
हस्ताक्षर

20.10.10

एक अपसगुन हो गया. सच्ची...!

                                   दो तीन दिन के लिए कल से प्रवास पर हूँ अत: ब्लागिंग बंद क्या पूछा न भाई टंकी पे नहीं चढा न ही ऐसा कोई इरादा अब बनाता बस यात्रा से लौटने तक  . न पोस्ट पढ़ पाउंगा टिपिया ना भी मुश्किल है. सो आप सब मुझे क्षमा करना जी . निकला तो कल था घर से किंतु एक  अपसगुन हो गया. सच्ची एक अफसर का फून आया बोला :-"फलां केस में कल सुनवाई है आपका होना ज़रूरी है.  कल निकल जाना ! सो सोचा ठीक है. पत्नी ने नौकरी को सौतन बोला और हम दौनों वापस . सुबह अलबेला जी का फून आया खुशी  हुई जानकर कि  उनसे जबलपुर स्टेशन पे मुलाक़ात हो जाएगी. किंतु अदालत तो अदालत है. हमारे केस की  बारी आई तब तक उनकी ट्रेन निकल चुकी थी यानी कुल मिला कर इंसान जो सोकाता है उसके अनुरूप सदा हो संभव नहीं विपरीत भी होता है. श्रीमती जी को समझाया.  वे मान  गईं . उनकी समझ में आ गया. आज ट्रेन से हरदा के लिए रवानगी डालने से पेश्तर मन में आया एक पोस्ट लिखूं सो भैया लिख दी अच्छी लगे तो जय राम जी की अच्छी न लगे तो राधे राधे 
  तो  "ब्लॉगर बाबू बता रए हैं कि "Image uploads will be disabled for two hours due to maintenance at 5:00PM PDT Wednesday, Oct. 20th" सो आप सब ने देख ही लिया होगा.

17.10.10

मानव-अधिकारों का हनन क्यों ?

भड़ास वाले ब्लॉगर यशवंत जी की माता जी के साथ जो भी हुआ है उचित कदापि नहीं. अब एक माँ  को चाहिए न्याय...एक बेटी से अपेक्षा है कि वे यशवन्त जी ने पूरे आत्म नियंत्रण के साथ जो पोस्ट लिखी घटना के 72 घंटे बाद देखिये क्या हुई थी घटना :-"वो मायावती की नहीं, मेरी मां हैं. इसीलिए पुलिस वाले बिना अपराध घर से थाने ले गए. बिठाए रखा. बंधक बनाए रखा. पूरे 18 घंटे. शाम 8 से लेकर अगले दिन दोपहर 1 तक. तब तक बंधक बनाए रखा जब तक आरोपी ने सरेंडर नहीं कर दिया. आरोपी से मेरा रिश्ता ये है कि वो मेरा कजन उर्फ चचेरा भाई है. चाचा व पिताजी के चूल्हे व दीवार का अलगाव जाने कबका हो चुका है. खेत बारी सब बंट चुका है. उनका घर अलग, हम लोगों का अलग. उस शाम मां गईं थीं अपनी देवरानी उर्फ मेरी चाची से मिलने-बतियाने. उसी वक्त पुलिस आई. ये कहे जाने के बावजूद कि वो इस घर की नहीं हैं, बगल के घर की हैं, पुलिस उन्हें जीप में बिठाकर साथ ले गई. (आगे यहां से )."इस घटना का पक्ष ये है कि किन कारणों से किसी भी अपराध के आरोपी को तलाशने का तरीक़ा कितना उचित है.जबकी कानून इस बात की कितनी इज़ाज़त देता है इसे  "Legal Provision regarding arrest-detention" आलेख पर देखा जा सकता है. अमिताभ ठाकुर ने अपने आलेख में कानूनी प्रावधान की व्याख्या की है. व्याख्या के अलावा सामान्य सी बात है कि किसी अपराध के आरोपी की तलाश में किसी अन्य नातेदार को जो एक प्रथक इकाई का सदस्य है वृद्ध है को पुलिस-स्टेशन में रख उसके मानव-अधिकारों का हनन किस आधार पर  किया जा सकता है. ? पुलिस की  इस प्रक्रिया से हम असमत हैं. 
 

12.10.10

महफ़ूज़ खतरे से बाहर

जो भी कुछ महफ़ूज़ के साथ घटा वो  समाज के लिये शर्मनाक़ है इसमें कोई दो राय नहीं. सभी चिंतित हैं. कल तय शुदा सरकारी  प्रसारण के चलते आज़ मुझे रिकार्डिंग पर जाना था . रिकार्डिंग रूम में घुस ही रहा था की ललित जी जी ने अपुष्ट खबर की मुझसे पुष्टि चाही. किंतु तब सम्भव न था फ़िर भी फ़ोन बुक में मौज़ूद नम्बर्स पर सीधे महफ़ूज़ को काल किया कोई बात न हो सकी. पाबला जी से चर्चा हुई पर पुष्टि नहीं हम भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि वो खबर झूठी हो . परंतु खबर सच निकली अब संतोष इस बात का है कि उनके शरीर से गोलियां निकाल दी गईं है  वे बात कर पा रहें है शिवम मिश्रा जी ने बताया वे बता रहे थे कि :-"तीन जगह गोली लगी "
कल से आज़ तक सब बेचैन पागल से उनकी बेहतरी की दुआ कर रहे हैं . हो भी क्यों न सबका अपना सा है महफ़ूज़. आराधना चतुर्वेदी "मुक्ति",इंदु  पूरी  गोस्वामी संगीता  पूरी ,अजय  झा  ,पद‍्म सिंह Padm Singh ,प्रतिभा  कटियार  ,प्रशांत  प्रियदर्शी  ,ललित शर्मा -,राजीव  ओझा  ,आराधना चतुर्वेदी "मुक्ति" ,Dr. Mahesh Sinha ,शिवम्  मिश्रा  ,अनूप शुक्ला - प्रवीण त्रिवेदी  ,  

आ भा  मिश्र ,विवेक  रस्तोगी  ,शरद कोकास,रश्मि  रविजा  ,समीर  लाल ,Swapna Shail,Dr RC Mishra ,Satish Saxena ,Shivam Misra, राज भाटिय़ा . शिखा वार्षणेय सहित सारा ब्लॉग जगत स्तब्ध है और दुआ कर रहा है 

आईये दुआ करें

आईये दुआ करे
उनके लिये जो
अपनों से
महफ़ूज़ न हो...!!
जो
सदा दर्द के सागर में तैरता हो
वो जिससे
कईयों का नेह भरा नाता हो
वो जो दुश्मन के भी गुण गाता हो ?
जी हां उसी अपने से पराये-आदमी की
बेहतरी के लिये
आईये दुआ करे

Wow.....New

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