26.5.09

वृषभानुज यानी सांड

मुझे उसे उसकी हरकत देख कर सांड कहना था . किन्तु किसी को सरे आम सांड कह देना मुझ जैसे कवि को क्या किसी को भी अलस्तर-पलस्तर से सँवरने की तैयारी होती और कुछ नहीं . रहा सवाल क्रोध निकालने का सो कहना तो था ही . राजपथ चारी वो सत्ता के मद में चूर जब मेरे दफ्तर आया तो अपनी कथित गरीब "प्रजा"के कार्य न होने का आक्रोश निकाल रहा . ... कुछ इस तरह वो चीखे :-"साब, आप ने तुलसा बाई को आँगनवाडी वर्कर न बनाया मैं आपकी दीवालें पोत दूंगा ! सी एम् साहब आ रहे हैं उनके सामने पेश कराउंगा ! आप अपनी कुर्सी बच्चा लीजिये "

मैंने कहा श्रीमान जी आप जन-प्रतिनिधि हैं गरीब जनता को सही बातें सिखाइए . झूठे आश्वासन देकर आप खुद फंस जाते हैं फिर हम पर दवाब बनाते है गलत काम करने के लिए ?
"देखता हूँ,क्या और कितना गलत सही करतें हैं ?
यह जानते हुए की श्रीमान का नाम "........" है मैंने कहा:-"वृषभानुज जी हम चाहेंगे की आप कलैक्टर साब की कोर्ट में इस मामले को लगा दीजिये "
वो:-"मेरा नाम वृषभानुज नहीं है "
मैं:"आप मेरे लिए सम्माननीय है मुझे आज से आपको यह नाम देने से कोई रोक नहीं सकता आप भी नहीं ?
वो:-(गुस्सा उतरने की वज़ह से नर्म हो गए थे बोले )- ठीक है पंडित जी आप मुझे जो भी नाम दें सर माथे पर इस महिला को नौकरी दे देते ?

मैं:- वृषभानुज जी, संभव नहीं आपकी यह गरीब आवेदिका "पंच" है जो विधान में वर्जित
वृषभानुज जी कसमसाते अपना सा मुंह लिए लौट गए किन्तु अपने को मिले नए नाम का उछाह लिए
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20.5.09

आओ बहस करें: बांये पथचारीयों को समर्पित

आओ बहस करें
जूतम-पैजार तक
मोहल्ले से बाज़ार तक
दो हों तो भी
और हों हज़ार तक
आओ हम बहस करें
आओ हम बहस करें
काम करे और कोई
आओ हम बहस करें
विषय के चुक जाने तक
आम के पाक जाने तक
नक्सलियों के आयुध से
जीभों का उपचार करें
गांधी अब याद आया
कल दीं दयाल का
विष पिलाने का आर्ट
आपमें कमाल का
घर मेरे है आग लगी
रास कलस ताक रखें
बस्ती के जलने तक हम
"कारण पे बात रखें "
सोमनाथ टूटा था
सोमनाथ है हताश
मोगरे के पेड़ पे क्यों
न उगे है पलाश
बाएँ पथ धारी हम
इस की तलाश करें
प्रश्न हम सहस करें
आओ हम बहस करें

18.4.09

"जबलपुर में आज से शुरू दो दिनी ब्लागिंग कार्यशाला "

जबलपुर में हुई पहली हंगामेदार ब्लागर्स मीट में तय हुआ
था कि ब्लागिंग का व्यापक प्रचार प्रसार हो . वादा सिर्फ आलेखों
तक सीमित नहीं रहा आज यानी 18 अप्रेल से 19 अप्रेल 2009
तक जमा हो रहे हैं 50 युवक युवतियां हिंदी ब्लॉगर बनने . इन में से
यदि कुछेक भी ब्लॉगर बनें तो तय है कि शहर जबलपुर से ब्लागिंग
ब्लागिंग में उत्कृष्ट अवदान होगा . डाक्टर प्रशांत कौरव ने अपने कालेज
मीडिया कालेज ऑफ़ जनर्लिज्म में ब्लागिंग पर कार्यशाला करने का वादा
पूरा किया है .
नि:स्वार्थ भाव से ब्लागिंग हम सिखाएंगे आप की शुभ कामनाएँ
ज़रूर रंग लायेंगी

15.4.09

ग्राम कथा भाग एक :भैया तीरथ,अकल बड़ी होत है तैं भैंस को बड़ी बता रओं है.

कलेक्टर साहब का गाँव में दौरा जान कर भोला खेत नहीं गया उसे देखना था की ये कलेक्टर साहब क्या....कौन .....कैसे होते हैं ?
दिन भर मेहनत मशक्कत कर के रोजी-रोटी कमाने वाला मज़दूर आज दिल पे पत्थर रख के रुका था , सिरपंच जी के आदेश को टालना भी उसकी सामर्थ्य से बाहर की बात थी सो बेचारा रुक गया , रात को गुलाब कुटवार [कोटवार ] की पुकार ने सारे पुरुषों को संकर-मन्दिर [शंकर ] खींच लिया बीडी जलाई गई.यहाँ सिरपंच ने तमाखू चूने,बीड़ी,का इंतज़ाम कर दिया था.
सरपंच:-"काय भूरे आओ कई नई...?"
"मरहई खौं जाएँ बे आएं तो आएं कक्का हम तो हैं जुबाब देबी"
"जब से भूरे आलू छाप पाल्टी को मेंबर हो गाओ है मिजाज...............कल्लू की बात अधूरी रह गई कि आ टपका भूरे.....तिरछी नज़र से कल्लू को देखा और निपट लेने की बात कहते कहते रुक गया कि झट कल्लू ने पाला बदला :"जय गोपाल भैया बड़ी देर कर दई........काय भौजी रोकत हथीं का"
"सुन कल्लू , चौपाल में बहू-बेटी की चर्चा मति करियो"
सरपंच ने मौके की नजाकत भांप बात बदली -''भैया,कल कलेक्टर साब आहैं सबरे गाँव वारे''
भूरे;'काय,कलेक्टर सा'ब का कर हैं इ तै आन खें'
सुन तो भूरे अपने गाँव में शौचालय बनने हैं , सबरे लोग लुगाई दिसा मैदान न जावें गाँव में साप-सपैयत की सुभीता हो जाए जेइ बात समझा हैं बे इतै आन खें
इधर सबके लिए बीडी जलाता भोला सरपंच की बात पे सर हिला हिला के समर्थन जता रहा था . तभी सरपंच बोला:हमाए गाँव में जित्ते बी पी एल बारे हैं सब के शौचालय पंचायत बनबाहे बाकी सब ख़ुद बनाने ?
"न सरपंच भैया ,जे नहीं चलेगा , अब भीख़म के घर है 10 एकड़ जिन्घा-जिमीन है,बहू आँगनबाड़ी की मेडम है बाको बी पी एल कारड बनाओ है, बाहे मुफत में बनी बनाई टट्टी मिल जै है और हम भीखम जित्ते बड़े अदमी नईं हमाओ नाम .....आज लाक नें ..आओ गरीबी में .?तीरथ बोला
कल्लू ने अपना सुर तेज किया :- तुमाए दिमाक में भीखम के अलावे कोई बात नईं सूझती , अरे जब कारड बनत हाथे तो तुम बड़े अपनी रहीसी झाडत रहे सब जानत हैं रेब्नू साब (राजस्व-निरीक्षक) ने तुमाई रहीसी की बिबसता बना दइ अब रोजिन्ना तुमाओ रोबो गलत है। बोल देते तुमाये पास कछु नई है । भीखम ने रेब्नू साब कों बताओ हथो की बो गरीब है सो बन गओ कारड अब तुमाओ पेट काये पिरा (दुःख ) रओ है।
भीखम की साँस में साँस आई भीखम बोला:भैया तीरथ,अकल बड़ी होत है तैं भैंस को बड़ी बता रओं है.
देर रात तक सरपंच ने सारे गाँव को एक तरह से सेट करलिया।

13.4.09

सामाजिक पत्रिकाओं में प्रकाशित रपट


मित्रो एवं सुधि पाठको
सादर अभिवादन
बावरे-फकीरा एलबम के लांच समारोह की रपट नार्मदीय -जगत इंदौर,सनाड्य-संगम,जबलपुर,नार्मदीय-लोक इंदौर,नार्मदीय-लोकनागपुर के ताज़ा अंको मे प्रमुखता से प्रकाशित हुई है,
सव्यसाची कला ग्रुप इनके प्रति आभारी है।

२०० पोस्ट मिसफिट पर

उन सभी मित्रों का जिनने ब्लॉग पर मुझे स्नेह दिया उन सबका आभारी हूँ

10.4.09

मिसफिट पर होटल्स की जानकारी लेकर निकलिए विश्व यात्रा पे निकलिए

मित्रो मुझे कल ही पहला विज्ञापन मिला हैं इस ट्रेवल कंपनी से
EMMA के मेल से मन उत्साहित हुआ चलो पहला विज्ञापन मिला मेरे हिन्दी ब्लॉग कोझट समीर लाल जी से बात कर के मैंने स्वीकृति दी आज विज्ञापन टांक भी दिया है यहाँ और यहाँ भीदेखता हूँ वादे के मुताबिक डालर आते हैं तो ठीक है वरना जय राम जी की करना ही पडेगा
तब तक आप विश्व यात्रा पर निकलना चाहतें हों तो पास पोर्ट एप्लाय कर ही दीजिये ।
वैसे इस बात का खुलासा आशीष खंडेलवाल जी कर रहे हैं की डालर वाली दिल्ली बहुत दूर है बहुत दूर सो इस पोस्ट को लिखने के बाद मैं इस विषय से मैं बहुत .दूर ..चला ।


7.4.09

ब्लॉग कार्य शाला 18-19 अप्रेल 2009 को

सेंटर फॉर मीडिया एंड जनर्लिज्म ने वादे के मुताबिक हिन्दी ब्लागिंग को लेकर कार्य शाला का संकल्प पूर्ण किया . इस बीच जबलपुर के लिए "इरशाद अली "ने अपनी कृति टू जेड ब्लागिंग मानो हम पर उपकार ही किया जबकि वे इस बात से बेखबर थे की हम कोई सेमीनार कराने जा रहे हैं "शुक्रिया इरशाद अली जी "

4.4.09

टिप्पणी लोलुप/वातावरण बिगाडू ब्लागर

समय का पहिया सदैव अपनी गति से गतिमान आगाह करता है कि किसी भी गफलत से बवाल मच सकता है
केवल
इनकीही नहीं सभी की चकाचक धुलाई ... का वक्त आ गया है । ये अलग बात है कि इकरार ओर इनकार आजकल "चुटकी मेदिखाई देने का समय है । सियासत इसे ही कहतें है, शायद इसे भी
"सियासत तेरे ज़लवे देखें है
हमने मुफलिसों के तलवे देखें है
होंठों पे राग राहत का दिलों में
पलते बलवे देखें हैं "
उधर मानसिक हलचल से उभरा ब्रह्म सत्य काबिले तारीफ़ है

ज्ञान को सर्वत्र फैलाने का मन हो रहा है। भारत के नव युवक-युवतियों उठो, सरकारी नौकरी पर कब्जा करो और हिन्दुस्तान की धरती को पुत्र रत्नों से भर दो। भविष्य तुम्हारा और तुम्हारे पुत्रों का है। उनके माध्यम से सब संपदा तुम्हारी होगी!

सपनों की कब्रगाह है-बॉलीवुड..

राय कुछ हद तक माननी चाहिए वैसे अब तो हर जगह कब्र गाह मिल जातीं हैं सपनों की
तक़नीकी के दौर में मन का लिंकितहोना लाजिमी है । बेहद रोचक शैली में शोध परक ब्लॉग के लिए नीलिमा और मसिजीवी बधाई के पात्र हैं..........
अंत में एक ज़रूरी बात

सावधान मित्रो

1. आपके नाम से अपने ब्लॉग पर

अथवा

2. अन्य किसी ब्लॉग पर आपके नाम से

टिप्पणी की जाने की घटनाएँ सामने

आ रहीं हैं जिसके सूत्रधार है

· टिप्पणी लोलुप/वातावरण बिगाडू ब्लागर

· मित्रो सावधान रहें मेरे साथ ऐसी घटना घटित हुई है जिसकी तकनीकी जांच परख आरंभ करा दी गयी है .





31.3.09

विवेक सिंह की वापसी :हार्दिक स्वागत

http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/03/blog-post_31.हटमल
विवेक सिंह ने वापसी पोस्ट बनाम चर्चा में
मित्र प्रशान्त के बारे में विवरण दर्ज किया जिनके पैर में फ़िर से चोट लग गयी .........
व्यवहारिक तौर पर किसी के लिए यह खबर....गैरज़रूरी हो सकती है किन्तु मुझे भाई
विवेक का आध्यात्मिक-भावुक चेहरा नज़र आ रहा है
इस दौर में ऐसे लोग जो आत्म केन्द्रित न होकर सर्वे सुखिन: भवन्तु ..
का बिरवा रोप रहें हों उनको आदर देना मेरा दायित्व है

22.3.09

दो ब्लागर्स के बीच हुए वार्तालाप असंपादित अंश


  • पात्र परिचय: मित्र एक ब्लॉगर
  • दो दूजा ब्लॉगर सुविधा के लिए मान लीजिए - दूसरा मित्र मैं ही हूँ....!!
  • स्थान:- जी टाक समय : देर रात गए
मित्रवर से अपन ने कहा की भैया -तुपन ने जो ज़ोरदार काम किया किसी ने ने कोई रिस्पोंड ही नहीं किया आज मैं धमाकेदार पोस्ट लिखूंगा । सबको एक्सपोज़ करूंगा जो.................
"श........सही................खामोश मित्र बोला "
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मित्र ने कहा:-कुत्ते को आदमी ने काटा जी हाँ यही तो ख़बर है...शेष फिजूल की बातें हैंमित्र आप नेऐसा कुछ किया हो तो हम चर्चा करेंगेवर्ना आप जैसे नालायको के नालायकी भरे कारनामों पे क्यों कर हम अपना वक़्त जाया करेंगेंआप तो क्या आपके साक्षात देव तुल्य हुए पुरखों की किसी ऐसी बात पर हम रुख करेंगें ओर ही उसे भाव देंगें जिसमें वही घिसी पीती बातें हों युगों-युग से जारी हैं.....!
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मित्र ने फ़िर कहा:-अरे... भाई ये क्या नेट पे गन्दगी मचाए पड़े हो .......... जो भी लिख रहे हो लिखो किंतु कुंठा-वमन करो घिन आती है...?
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  • हम बोले:- भैया,मैं...मैं, हम, हमलोग, की आवाजें सुन रहे हो न....?सच,लोग किसी अच्छी बात पे रीझते ही नहीं ,,,,किसी की पाॅजीटिविटी के अंकुरण को विश्वास के भावों से सींचते नहीं । कोई अगर आग-ज़हर उगले तो देखिये फौरन लाम बंद हो जाते हैं कुछ इसका कुछ उसका गीत गातें है कुछ तो जिधर बम उधर हम का नुस्खा आज़मातें हैंहजूर कल की बात लीजिए ............ खैर छोडिए ......
  • मित्र ने कहा:- बे मतलब की बकवास न करिए जाए हर कोई "फुरसत" में तो नईं है जो लगे चर्चा करने,अरे अपने काम से काम रखो ब्लॉग लिखो और सिस्टम को करो शट डाउन खाओ पीओ सो जाओ फिजूल वक्त जाय न करो ।
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  • मित्र की बात में दम है.... मित्र मेरा सही एकदम है। सब के अपने-अपने दंभ हैं । सब अपने किले के ख़ुद महारथी ख़ुद किलेदार ख़ुद पहरेदार ख़ुद सूबेदार ख़ुद, ख़ुद के अहलकार अगर आप हो समझदार तो छोड़ दो करना बातें बेक़ार अपना अपना लिखो जैसे लिखते चले आए हो न कोई बैरी न कोई अपना । सर्व स्नेह आकांक्षी मित्र उसकी एक सलाह और शेयर करना चाहता हूँ ..."कभी भी आसमान की और मुंह करके थूकना नहीं चाहिए चाहे आसमान से आप कितने भी खफा हों "
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Wow.....New

Is everything predestined ? Dr. Salil Samadhia

आध्यात्मिक जगत के बड़े से बड़े प्रश्नों में एक है  - क्या सब कुछ पूर्व निर्धारित है ?  (Is everything predestined ? ) यदि हां , तॊ...