29.9.10

"पश्चाताप : आत्म-कथ्य"

[DSC00080.JPG]वीजा जी के इस बात से "सौ फ़ीसदी सहमत हूं. l"और घरेलू हिंसा के सम्दर्भ में इन प्रयासों को गम्भीरता से लेना चाहिये.मुझे इस बात को एक व्यक्तिगत घटना के ज़रिये बताना इस लिये ज़रूरी है कि इस अपराध बोध को लेकर शायद मैं और अधिक आगे नहीं जा सकता. मेरे विवाह के कुछ ही महीने व्यतीत हुए थे . मेरी पत्नी कालेज से निकली लड़की अक्सर मेरी पसंद की सब्जी नहीं बना पाती थीं. जबकि मेरे दिमाग़ में परम्परागत अवधारणा थी पत्नी सर्व गुण सम्पूर्ण होनी चाहिये. यद्यपि मेरे परिवार को परम्परागत अवधारणा पसंद न थी किंतु आफ़िस में धर्मेंद्र जैन का लंच बाक्स देख कर मुझे हूक सी उठती अक्सर हम लोग साथ साथ खाना खाते . मन में छिपी कुण्ठा ने एक शाम उग्र रूप ले ही लिया. घर आकर अपने कमरे में पत्नी को कठोर शब्दों (अश्लील नहीं ) का प्रयोग किये. लंच ना लेने का कारण पूछने पर मैंने उनसे एक शब्द खुले तौर पर कह दिया :-"मां-बाप ने संस्कार ही ऐसे दिये हैं तुममें पति के लिये भोजन बनाने का सामर्थ्य नहीं ?" किसी नवोढ़ा को सब मंज़ूर होता है किंतु उसके मां-बाप का तिरस्कार कदापि नहीं. बस क्या था बहस शुरु.और बहस के तीखे होते ही सव्यसाची यानी मेरी माँ ने कुंडी खटखटाई और मुझसे सिर्फ़ इतना कहा "शायद मैं ही तुमको संस्कार ठीक से न दे सकी..!"

इस बात का गहरा असर हुआ. नौंक-झौंक जो झगड़े में तब्दील हुई थी बाक़ायदा खत्म हो गई. किंतु तनाव बाक़ी था. जो अनबन में तब्दील हो गया. मां खुद मेरे लिये  लंच बना के रखतीं. पन्द्रह दिन बाद एक दिन मैने  भोजन की खूब तारीफ़ की.मेरे संयुक्त परिवार के सारे लोग मेरी इस बात को सुन कर ठहाके मार रहे थे . क्या बड़े भैया क्या दीदियां. बाबूजी की हंसी तो रोके न  रुक रही थी.  मुझे फ़िर आहिस्ता से माने ने कहा : बरसों से मेरे हाथ का खाना खाने वाले तुमको स्वाद में अंतर नहीं नज़र आया . मैने कहा - बा,बिलकुल नहीं, मां बोली :- एक हफ़्ते से सुलभा ही टिफ़िन तैयार कर रही है. बस फ़िर क्या था श्रीमति जी के सामने हम हो गए नतमस्तक. पश्चाताप से लबालब हम ने तुरंत रविवार अपनी सास जी से मिलने का तय कर लिया. श्रीमति जी से यह भी कहा मुझे गुस्से में ध्यान न था कि मेरे ससुर साहब नहीं हैं. सास जी कितनी भोली है मुझे उनसे माफ़ी मांगनी चाहिये. श्रीमति जी कुछ बोल पातीं कि मां ने कहा:"कितना भी संकट हो दु:ख हो पीड़ा हो सिर्फ़ आत्म नियंत्रण रखो कभी किसी के लिये अपशब्द न कहो.. पश्चाताप के जल से  मन-मानस को पावन करो विचार मंजूषा को  को धो लो  "
घरेलू हिंसा के इर्द गिर्द कुछ ये ही बातें हैं जिनका समय रहते इलाज़ ज़रूरी होता है. यदि यह होता है तो वास्तव में कितना पावन हो जाता है जीवन.
आज़ मुझे को यक़ीन  नहीं होता सुलभा जी के हाथों बनाए भोजन पर . इतना स्वादिष्ट और पोषक कि वाह है न महफ़ूज़ क्यों भाई बवाल..... आपको तो याद है न वो चटकारे
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बाक़ी सभी मित्र मित्राणिया खाने  पर सादर
आमंत्रित हैं मेरे बाज़ू में खड़ी सुलभा जी कह रहीं हैं ...
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"एक मुलाकात, एक फ़ैसला"

नमस्कार र्मै अर्चना चावजी मिसफ़िट-सीधीबात पर आप सभी का स्वागत करती हूँ, आइये आज आपकी मुलाकात जिस ब्लॉगर से करवा रही हूँ सुनिए उन्हीं की एक रचना उन्हीं की आवाज में ---



मै आभारी हूँ रचना बजाज जी की जिन्होंने मिसफ़िट-सीधीबात के लिए अपना अमूल्य समय दिया। रचना जी का ब्लाग "मुझे भी कुछ कहना है "की ब्लागर रचना बजाज…मूलत: मध्यप्रदेश की हैं. अभी नासिक (महा.) मे रहती हैं. जीवन के उतार चड़ाव के बीच दुनिया भर के दर्द को समझने और शब्दों में उतारने वाली रचना जी की लेखनी की बानगी पेश है...

रोटी -२

रोटी -२ इसलिये कि एक बार पहले भी मै रोटी की बात कर चुकी हूं…. आज फ़िर करना पड़ रही है……
बात वही पुरानी है,
गरीबों की कहानी है,
मुझे तो बस दोहरानी है..
इन दिनो दुनिया भर मे भारत के विकास की तूती बोलती है,
लेकिन देश के गरीबों की हालत हमारी पोल खोलती है….
विकास के लिये हमारे देश का मजदूर वर्ग अपना पसीना बहाता है,
लेकिन देश का विकास उसे छुए बगैर, दूर से निकल जाता है…
भारत आजादी के बाद हर क्षेत्र मे आगे बढ़ा है,
लेकिन उसका गरीब आदमी अब भी जहां का तहां खडा है….ं
हमारे देश मे अमीरी और गरीबी के हमेशा ही दो धड़ रहे हैं,
अमीर सरकार के गोदामों मे अनाज के कई सौ बोरे सड़ रहे हैं……
सरकारी नीतियां बहुत ही अनसुलझी हैं,
गरीब की रोटी उसकी नीतियों मे ही उलझी है…..
गांव के किसान गरीब नत्था को आमिर खान की ’पीपली लाइव” मे
सिर्फ़ एक्टिंग भर नही करना है,
बल्कि अपनी जान देकर उसे सचमुच मे मरना है…

26.9.10

एक मुलाक़ात प्रशांत श्रीवास्तव के साथ

''मिसफ़िट : सीधीबात पर पिछले दिनों आपने प्रशांत श्रीवास्तव की ग़ज़ल देखी और प्रशांत भाई को दुलारा मैं आपका आभारी हूं, आज प्रशांत भाई आपसे मुलाक़ात के लिये हाज़िर हैं  पेशे-ख़िदमत प्रशांत भाई का इन्टरव्यू यू-ट्यूब के ज़रिये (भाग एक=यूट्यूब पर सीधे देखने क्लिक कीजिये "इधर"



(भाग दो :"यू ट्यूब पर देखने इधर क्लिक कीजिये"
और एक मधुर गीत सुनना चाहें तो

बाकी सब आल इस वेल

21.9.10

प्रशांत श्रीवास्तव शानू की ग़ज़ल

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4GSyNnePq47uhbixle_3_mAn0ujrQtZ0aYOF805URlPu2134PCHaRtt5wAjBU9L6X8qbgjDEmG9mRiDf7_IGOjOB5RY0tYusl7uOJhF5PsIva0wC44MXRuPMHZV_vdJfvHWON3vS2Wh0/s1600-r/Madhya_Pradesh_Map_2001.jpg                   मेरे अज़ीज़ मित्र इस वक़्त मध्य-प्रदेश सरकार के राजस्व महक़मे में तहसीलदार का ओहदा रखते हैं. तमाम सरकारी कामकाज़ के साथ हज़ूर के दिल में छिपा शायर नोट शीट, आर्डरशीट से इतर बहुत उम्दा काम ये कर रहें हैं कि अपने दिल में बसे शायर को सरकारी मसरूफ़ियत का हवाला देकर रुलाते नहीं. बाक़ायदा ग़ज़ल लिखते हैं. मौज़ूदा हालातों से जुड़े रहतें हैं.  रौबदार विभाग के  नाजुक़ ख्याल अफ़सर की ग़ज़ल की बानगी नीचे स्कैन कर पेश है. पसंद आयेगी ज़रूर मुझे यक़ीन है. कौमी एकता के इर्दर्गिर्द  घूमते विचारों को करीने से संजोता है शायर प्रशांत और बुन लेता है एक गज़ल 

मुन्डी भेजो मुंडी

मनीष भाई के भेजे गए एस एम एस वाकई बेहद मजेदार होते होते हैं नमूना देखिये :-
  • एक अपहर्ता ने श्रीमति ”क” का अपहरण कर पति श्री ख को उसकी अंगुलि के एक हिस्से के साथ संदेश भेजा-”मैने तुम्हारी बीवी का अपहरण किया है बतौर प्रूफ़ अंगुली भेज रहा हूं बीवी को ज़िन्दा ज़िन्दा चाहते हो तो पचास लाख भेजो ”पति ने तुरंत उसी पते पे उत्तर भेजा :”इस सबूत से  प्रूफ़ नही होता कि वो मेरी ही पत्नी की अंगुली है कोई बड़ा प्रूफ़ भेजो भाई ..... मुन्डी भेजो मुंडी  ”
  • आप भी चाहें तो भेज सकतें है क्या कोई जोक याद नहीं ? कोई बात नहीं इधर जाएँ =>"JOKS"

20.9.10

इलैक्ट्रानिक मीडिया को आत्म नियंत्रित होना ही होगा

  1.   मीडिया को आत्म नियंत्रित होना होगा 
  2.    भारतीय संविधान पर आस्था रखने वाले निर्णय से अविचलित होंगे 
  3.    सायबर कैफ़े पर सतत निगरानी ज़रूरी 
  4.    अवांछित/संदिग्ध गतिविधियों सूचना देने पुलिस को अवश्य दी जावे 
  5.    किसी भी उकसाउ भड़काउ बयान बाज़ी से बचिये (विस्तार- से इधर देखिये )

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अलबरूनी का भारत : समीक्षा

"अलबरूनी का भारत" गिरीश बिल्लौरे मुकुल लेखक एवम टिप्पणीकार          औसत नवबौद्धों  की तरह ब्राह्मणों को गरियाने वाले श...