20.6.10

कुपोषण : सामाजिक तहक़ीक़ात


जी हां ये सच है कि कुपोषण को हम खत्म कर सकते हैं यदि संकल्प लें तो कोई भी ताक़त नहीं जो हमारे देश इस समस्या को मुक्त करने से हमको रोके !!
जी हां , भारत वर्ष में कुपोषण की समस्या को एक जटिल सवाल  की तरह पेश किया है जो वास्तव में उतनी जटिल है नहीं इसे आसानी से दूर किया जा सकता है . यदि कुछ एतियात बरतें तो भारत के माथे लगे इस कलंक को आसानी से हटाया जा सकता है . कुछ अति उत्साही लोग भारत को ईथोपिया के साथ ला के खड़ा करने कि कोशिश करतें हैं. जो वाक़ई एक सनसनाहट फ़ैलाने की नाक़ाम कोशिश है 
अगर हम कारणों पर गौर करें तो पाएंगे कि सामाजिक सोच ही इस समस्या का दोषी है. समाज़ का बेटियों को बोझ समझना इस के कारणों में से एक कारण है
  1. बेटे की प्रतीक्षा करते दम्पत्ति परिवार का आक़ार बढ़ा लेतें हैं.
    https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEga0k7JVs1_g7KxIOccQQyv_rvxBfCM5p18sXhSKCsXbeUwlPza6ILJY0LaPgnOCmDtqoR59J-Ij1Ayz_UCN_jaRuzUVgSJKzYhYc4oZIIZCowIpRShaI-t1W_Ryl476qJWRTkiIMVjv4g/s400/antarang2.jpg
  1.   उन बेटियों को बोझ मानना जो किशोरावस्था आते-आते ब्याह दी जाती हैं यानि बेहद कठिन उम्र होतीं हैं किशोर-वय    की बेटियों को इस उम्र में जो नहीं देते परिवार . इस स्थिति के चलते भटकाव आ ही जाता है. किशोरी को बिना फ़िज़िकली स्ट्रांग एवं प्रजनन के योग्य होने संबंधी बातों का ज्ञान दिए इस बात का ज्ञान अवश्य ही दे दिया जाता है कि तुम पराई हो . तुम्हारा कल ससुराल के लिए विधाता ने बनाया है.. ससुराल जाते ही बिटिया के पांव भारी  होते ही पुत्र वती भव: का आशीर्वाद दिया जाता है . किसी ने कभी गर्भवती महिला को पुत्रीवती होने का आशीर्वाद नहीं दिया. खानपान में अनियमितता, आहार थाली में अपर्याप्तता तत्वों युक्त भोज्य पदार्थों से जैसे तैसे पेट भर लेने की आदत आम भारतीय औरत की हो जी जाती है. मैने अपनी दादी-नानी और मां को कभी समय पर आहार लेते नहीं देखा. मेरी दादी और मां दौनो ही गाहे बगाहे एनीमिया की शिकार हो जाती थीं. किंतु जब बहुत बीमार हो जातीं थी तब ही आराम करते देखा है हमने वरना बस सदा काम ही काम. दूसरों के लिये जीना उनका धर्म था. ये करिश्मा ही था  कि हम बच्चों का जन्म  के समय का वज़न 3.00 किलो ग्राम से कम न था और हम कुपोषण का शिकार नहीं हुए किन्तु   उन दौनों को जीवन भर अल्परक्तता से जूझना पड़ा. यद्यपि यह मसला विषयेतर है किंतु यह सत्य है कि अल्प-आय वाले परिवारों की  अल्प-रक्तता ग्रस्त महिलाएं इससे अधिक कठिन स्थितियों से जूझतीं हैं.     किशोरियों के स्वास्थ्य को लेकर  सरकारें कुछ कम कर रहीं हैं ऐसा कहना ग़लत ही नहीं बल्की सफ़ेद झूठ है.हमारे  पास इसे देखने का वक़्त होना चाहिये . सरकारों  ने जो किया या जो कर रहीं है उसे आप भी देखिये और एक ज़िम्मेदार भारतीय नागरिक होकर ग़रीब अशिक्षित परिवारों को जानकारी ज़रूर दीजिये 
किशोरीयां को अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिये मानसिक रूप से तैयार करने की ज़िम्मेदारी समाज की और परिवारों की है. ताकि प्रजनन के पूर्व वे स्वस्थ्य हों. तथा प्रजनन के  वक़्त अल्परक्तता को समय रहते आकार हीन कर दें.
क्रमश: जारी  आगे देखिये : कुपोषण कारण और निदान , हमारे प्रयास
संदर्भ (लिंक्स)
  1. कुपोषण  : विक्की पीडिया 
  2. किशोर-वय   (लिन्क साभार : शिरीष जी)
  3. भटकाव : लिंक साभार डा०अरविन्द दुबे  
  4. पुत्र वती भव:  : मिसफिट  
  5. किशोरीयां को अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिये मानसिक रूप से तैयार करने की ज़िम्मेदारी: भारत प्रवेश द्वार
  6. सरकारों  ने जो किया या जो कर रहीं है :बालिका स्वास्थ्य मार्ग दर्शिका

18.6.10

पाबला जी की सराहना करें हम

हिन्दी ब्लाग एग्रीगेटर में एक और एग्रीगेटर को  पाकर सभी प्रसन्न हैं
आईये मैं आप हम-सब मिलकर इसका स्वागत करें इस प्रयास के लिये पाबला जी को एक बार फ़िर बधाईयां
चित्र साभार : कार्टून-टुडे

14.6.10

दिलीप जी का गीत सुनिये अर्चना चावजी के सुरों में

भोपाल त्रासदी का ये चित्र देखा और मन विचलित हो गया..दिलीप भाई ने .इससे ही प्रेरित होकर ये रचना लिखी...

थी कभी छत पर मेरे कुछ धूप आकर तैरती...
और नीचे छाँव भी थी सुस्त थोड़ी सी थकी...
छाँव के कालीन पर नन्हा खिलौना रेंगता...
कुछ उछलती कूदती साँसों को मुझपे फेंकता...

हाँ वो बचपन था कभी कुछ झूमता कुछ डोलता...
आँख मून्दे मुँह सटाये मुझसे क्या क्या बोलता....
फिर तभी आवाज़ कोई खनखनाते प्यार की...
कुछ तो ख़ाले धूप मे क्यूँ खेलता तू हर घड़ी...

फिर मेरी उंगली पे चादर थी कई लटका गयी...
प्यार ममता आज फिर नीयत मेरी भटका गयी...
फिर तभी वो घूमते पहिए वहाँ आकर रुके...
चूमने मुन्ने को दो लब थे ऊँचाई से झुके...

फिर धरी थी हाथ उसके चमचमाती कुछ खुशी...
फिर उतरकर लाड़ ने मासूमियत थी गोद ली...
फिर किवाडो मे छिपे जा प्यार के पंछी सभी...
मैने भी थोडा उचक्कर एक ठंडी साँस ली...

पेड़ था पीपल का इक मैं जाने कबसे था खड़ा...
पर बगल के लाल घर ने था सदा बाबा कहा...
हाँ बहू ही थी मेरी वो नित्य आकर पूजती...
बंधनों मे बाँध कर कुछ मांगती कुछ पूछती...

रात अपनी डाल से सहला रहा था छत वही...
बह रही ममता हृदय से देख कुछ पाया नही...
देखते ही देखते था इक धुआँ सा छा गया...
आज फिर हैवान कोई रंग अपना पा गया...

देखते ही देखते सब सत्य यादें बन गये...
वो हँसी खाँसी मे बदली और सन्नाटे हुए....
लाल सूरज तो उगा पर चादरें फीकी हुई...
सामने थी प्यार की तस्वीर वो बिखरी हुई....

छाँव के कालीन के नीचे ही वो रखे गये...
याद मे उनकी उन्ही पे पात सब गिरते रहे...
आज मैं बस खोखला सा एक मृत कंकाल हूँ...
याद का धन हूँ संजोए फिर भी मैं कंगाल हूँ...

धूप ने भी छाँव को अब घर निकाला दे दिया...
कल सुना हैवान ने भी कुछ निराला कह दिया...
वो हज़ारों ख्वाब जो बिखरे यही पर धूल मे...
कल हज़ारों मे ही सारे मैय्यतों पर बिक गये...

इंसाफ़ की मूरत ने पट्टी और कस कर बाँध ली...
राजनेता गीदड़ों ने भी है चुप्पी साध ली....
आज फिर इंसान की कीमत कहीं पर लग गयी...
और जाने आँख कितनी, राह तक तक थक गयी...

लाश को क्या बेचते हो, याद ये बेचो ज़रा...
इस ज़मीन के खोल अंदर झाँक कर देखो ज़रा...
हो भले कुछ हड्डियाँ या राख हो अंदर बची...
                                                ढूँढती इंसाफ़ को वो आँख अब भी है खुली
अर्चना जी की आवाज़ में अब सुनिये यह गीत

मेरी आवाज़ में अब सुनिये: मन बैठा विजयी सा रथ में !!

इश्क-प्रीत-लव:
पर प्रकाशित गीत मेरी आवाज़ में सुनना चाहेंगे जो इन सभी सुधि पाठकों भाया :निलेश  माथुर जी,संगीता स्वरुप ( गीत ), दिव्या जी ,राम त्यागीजी , विनोद कुमार पांडेय जी,अमिताभ मीत जी,अजय कुमार जी ,दिलीपभाई ,डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ,म  वर्मा जी ने आप को भी पसन्द आयेगा तय है 

12.6.10

एक गीत.....................पॉड्कास्ट.......

मेरे प्रयास को सराहने केलिए मै आप सभी श्रोताओं  की आभारी हूँ.....आगे भी सहयोग मिलता रहेगा इसी कामना के साथ .............आपके सुझावों का स्वागत है.........
आज प्रस्तुत है................

 
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी की इस रचना को आप यहाँ पढ सकते हैं.................
http://uchcharan.blogspot.com/

10.6.10

एक लघुकथा....................पॉड्कास्ट.........

नमस्कार..............‘‘मिसफ़िट:सीधीबात‘‘ पाडकास्टर के रूप में मेरी पहली कोशिश  .............................आज इस ब्लॉग पर ये मेरा पहला प्रयास है ...................सुझाव सादर अपेक्षित है.........
आज सुनिए....... दीपक"मशाल" की लिखी एक लघुकथा................शीर्षक है ------"दाग अच्छे हैं"............. आप इसे यहाँ पढ सकते हैं

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26.5.10

मज़ाक मज़ाक में एक पोस्ट

ब्लागजगत में समझौतावादी लक्षण दिखाई दे रहे हैं..डी. के.  साहब की यह पोस्ट उकसाती नज़र आ रही है हा हा हा .....गोदियाल सा’ब ने बीज बो दिया ...ही...ही....ही....? पी. डी सा’ब अभी हम सब ने   [यह शब्द नवीन प्रतिस्थापित है ]सुबह सुबह आदरणीय ज्ञानदत्त  पाण्डे जी के स्वास्थ्य की मंगल कामना की है और यह अपेक्षा ............ बात कुछ हज़म नहीं हुई. वैसे इस तरह के आह्वान की ज़रूरत क्यों आन पड़ी पी.डी. सा’ब. सच मानिये कोई भी इस तरह की कल्पना लेकर ब्लागिंग के लिये नहीं आता बस वह आता है लिखने के वास्ते और दिशा तय कर देतें हैं हम लोग जो पहले से मैदान में डटें हैं. ब्लाग पर वानरी हड़्कम्प का न होना चिन्ता का विषय नहीं भले ही मज़ाक में में चिंता व्यक्त की गई हो.
आपकी मज़ाहिया प्रतिटिप्पणी के गहरे अर्थ हैं:-पं.डी.के.शर्मा"वत्स", @सुरेश चिपलूनकर जी,भाई जल्दी से फुर्सत मे आईये...अब तो ये शान्ति  कुछ असहनीय सी होने लगी है :-) यह टिप्पणी मनुष्य के अंतस में बसे एक सत्य को उज़ागर करती है........
युद्ध की प्रतीक्षा शांति से अधिक की जाती है.हर व्यक्ति इसमें शामिल होता है जिनका वर्गीकरण निम्नानुसार है :-
  1. वीर:-  कुछ लोग शामिल होना चाहते है,और हो भी जाते हम. उनको मैं वीर की श्रेणी में रखने की गुस्ताख़ी कर रहा हूं. इनकी संख्या बहुत नहीं है.
  2. धीर:-  वो जो शामिल नहीं किंतु युद्ध के दु:खद परिणामों को युद्ध की आहट आते ही दूर से अनुमानते  हैं. बता भी देते हैं सजग करतें हैं .....इनकी संख्या इक्का-दुक्का ही तो है.
  3.  नीर:- निरंतर युद्ध की कामना में  रत  व्यक्ति जो सिर्फ दो पक्षों में युद्ध कराना एवं देखना चाहतें हैं ...... फ़िर सामने सामने विजेता के पक्ष में परोक्ष रूप से पराजित के सम्पर्क में रहतें हैं. इन लोगों का प्रतिशत सर्वाधिक है. 
  मित्रो मज़ाक मज़ाक में लिखी गई इस पोस्ट का कोई अन्यथा अर्थ न लिया जाये परन्तु यह सत्य है कि युद्ध के प्रति शान्ति के सापेक्ष अधिक आकर्षण देखा गया है. 
रिठेल : "आपने" की जगह हम सबने प्रतिस्थापित किया है आपका कोई फ़ोन नम्बर नहीं है कोई बात नहीं यहीं बता दीजिये   डी.के. सा’ब इस पोस्ट को लिंक करने में आपत्ती हो तो अवश्य लिन्क पृथक कर दूं  !

24.5.10

आंचल के आंचल का अमिय

http://www.uplyme.com/images/pre-school-picture-2.jpgड्राईंग रूम दीवारों दाग बना रही अपनी बेटी को चाक देते वक्त  आंचल ने सोचा न था कि अनिमेष उसे  अचानक रोक देगा , अनिमेष का मत था कि घर को सुन्दर सज़ा रहने दो आने जाने वाले लोग क्या कहेंगे ?
”कहने दो, मुझे परवाह नहीं, बच्ची का विकास अवरुद्ध न हो ”
"भई, ये क्या, तुम तो पूरे घर को "
"हां, अनिमेष मैं अपनी बेटी के विकास के रास्ते तुम्हारी मां की तरह रोढ़े न अटकाने दूंगी समझे..?"
अनिमेष को काटो तो खून न निकले वाली दशा का सामना अक्सर करना होता था, उसे अच्छी तरह याद है मां ने पहली बार अक्षर ज्ञान कराया था उसे तीलियों के सहारे. ड ण आदि के लिये रंगीन  ऊन का अनुप्रयोग करने वाली तीसरी हिन्दी पास मां के पास दुनियादारी गिरस्ती के काम काज़ के अलावा भी पर्याप्त समय था हम बच्चों के वास्ते. आंचल के आंचल में अमिय था  किन्तु वक्त नहीं  तनु बिटिया के पेट  में बाटल का दूध ............उसका विरोध करना भी हमेशा अनिमेष को भारी पड़ता था. आंचल का जीवन बाहरी दिखावे का जीवन   था. उसे मालूम था कि किसी भी तरह अपनी स्वच्छन्दता को कायम रखेगी  आंचल !
तर्क का कोई मुकाबला न कर पाना अनिमेष की मज़बूरी थी सो आज़ उसने अपनी बिटिया को मां के रूप में वक्त देना शुरु कर दिया.
जब वीमेन्स-क्लब-मीटिंग से आंचल जब लौटी तो देखा बिटिया माचिस की तीलियों से  A ,B ,C ,D , लिख रही है,
किसने बताया बेटे ?
पप्पा ने
गुड
__________________________________________
समय का चक्र आगे चला चलना ही था . तनु के  विकास का चक्र  रुका नहीं . चाईल्ड सायकोलाज़ी पर धुआंधार भाषण दे रही आंचल की  बेटी तनु अपने लेक्चर में पप्पा के बताये तरीकों का ज़िक्र कर रही थी पूरे भाषण में कहीं भी अपने अवदान का जिक्र न पाकर हताश आंचल के मन की अकुलाहट अनिमेष खूब भली भाँती पढ़ चुके  था. सभा के बाद तनु से मिलते ही बोले ''बेटे, माम कितनी खुश है तुम्हारी तरक्की से फिर आंचल  के  कांधे पर हाथ रखके जोर से बोले :-''वाह, माँ हो तो तुम्हारे जैसी जिसने सब कुछ सिखाया और श्रेय मुझे दिला दिया.'' पिता का यह वाक्य आँचल के अंतस में उतारा झट माम से लिपट गई लोग भी आँचल की और सम्मान से देख रहे थे.
___________________________________________

23.5.10

बी.बी.सी. पर देखिये

एयर इंडिया का दुर्घटनागस्त विमान
मंगलौर हादसे के शिकार एवम विमान पर न चढ़ पाने वाले यात्रीयों की सूची बी. बी. सी . द्वारा जारी की गई है


  • हर्षिनी पूंजा
  • एरों जोएल फर्नांडीज
  • निहा इम्तियाज़
  • टी.वी. भास्करन
  • कोमलवैली एलिंकील
  • नारायण कंथव राव
  • वाणी नारायण राव
  • वैष्णवी नारायण राव
  • मोहम्मद इश्क रफ़ीक अहमद
  • हसन अब्बा अबूबकर
  • हिबा अज़ीना (बच्चा)
  • मुशीना (बच्चा)
  • हाइफ़ा हशा (नवजात बच्ची)
  • जोएनरिचर्ड सलदन्हा
  • उमर फ़ारूक मुहम्मद
  • शाहिदा नुशरथर
  • ज़ीशान अब्दुल रहमान
  • कन्नुर जुलेखा बानो
  • नज़ीमा मुहम्मद अशरफ
  • सत्यनारायण बलाकुर्या
  • सुजाता राव
  • फतीमामेहजान शफक़त
  • रशद शफ़कत महमूद (नवजात बच्चा)
  • खदर अम्मांगोद मुहम्मद शफी
  • सुहैब मुहमम्द नासिर (बच्चा)
  • बीबी सरां (बच्चा)
  • नबीहा मुहम्मद नासिर (बच्चा)
  • मुहम्मद अशरफ
  • मैमूना अशरफ
  • अशहाज़ अब्दुल्ला (बच्चा)
  • आएशा अफशीं (बच्चा)
  • पल्लवी शकुंतला लोबो
  • वेनीशनिकोला लोबो (बच्चा)
  • वैशालीफ्लायड लोबो (बच्चा)
  • के.एम. अब्दुल्ला
  • मर्विन डीसूज़ा (सवार नहीं हो पाए)
  • रोस्ली शिबू
  • गोडविना थॉमस (बच्चा)
  • ग्लोरिया थॉमस (बच्चा)
  • भागली प्रभाकर
  • कमांडम कुनहाब्दुल्ला
  • शशिकांत पूंजा
  • मणिरेखा पूंजा
  • अब्दुलबार दामुदी (बच्चा)
  • महेश शेट्टी
  • मुहम्मद नासिर
  • अनवर सादिक
  • हसन कुट्टी
  • जोएल प्रताप डीसूज़ा
  • अरुण कुमार शेट्टी
  • वसंत शेट्टी (सवार नहीं हो पाए)
  • अब्दुल समद
  • प्रसादंद मांजरेकर
  • कृष्णन कोली कुन्नू
  • मुलाचेरी बालाकृष्णन
  • शांतिओलीवेरा
  • चेतना मुकेश कुमार
  • थ्रेसियाम्मा फिलिप (सवार नहीं हो पाए)
  • मुहम्मद अशफ़क (सवार नहीं हो पाए)
  • हुस्ना फरहीन (सवार नहीं हो पाए)
  • अहमद नौशाद अब्बू
  • राजन पुलिकोदान
  • जयप्रकाश देवडीगा
  • जयराम कोटियां
  • चित्रा जयराम
  • राहुल जयराम (बच्चा)
  • प्रभावती करकेरा
  • अशिता बोलर
  • अक्षय बोलर
  • सुरेश कुंदर
  • संजीव बबन्ना हेगड़े (सवार नहीं हो पाए)
  • सोमन नारायणी
  • जी.के. प्रदीप
  • कलिंगलअबुल्लाह
  • थलंगारा इब्राहिम खलील
  • लुइसकार्लो विंसेट गेरारो (सवार नहीं हो पाए)
  • नाज़िया अफरीन
  • मुहम्मद अबनरुकनुद्दीन (बच्चा)
  • मुहम्मद रफ़ी बेलियापुरा
  • अब्दुल्ला मुहम्मद
  • इब्राहिम साहेब
  • समीना साहेब
  • इसम इब्राहिम
  • रिदा इब्राहिम (बच्चा)
  • पेरमबला मुहम्मद
  • शिवकुमार नागराज
  • मीनू गुप्ता
  • के.के. शेट्टी
  • गंगधरण नायर
  • प्रभात कुमार अट्टावर
  • सतीशा शेट्टी
  • इरशाद अहमद
  • नेहा परवीन
  • अफन अहमद (नवजात बच्चा)
  • समीर बेरां मोइदीन
  • अब्दुरनाज़िर अविंजा
  • रिजू जॉन
  • सबरीना नसरिंनहक
  • स्टीव रीगो (सवार नहीं हो पाए)
  • महमूदा अब्दुल्ला कन्याना
  • अलताफ अहमद मौलाना
  • लोकेशअसादनंदा बेलचाडा
  • हमीद पूकायम
  • के.पी. मयनकुट्टी
  • विपिन कुट्टूर
  • किशोर कुमार कुडपा पुजारी
  • के. चांदकुट्टी नायर
  • एन.एम. भरतम
  • अब्दुल अज़ीज़ अंचिकट्टा
  • उमाशां विजयन
  • केविन सेकीरा
  • रेशमां संतोष राय
  • नालंदशान संतोष राय (बच्चा)
  • विहा संतोष राय (नवजात बच्चा)
  • वामन प्रभु
  • गणेश प्रभु
  • क़ाज़ी अब्दुल सलाम
  • क़ाज़ी जु़लेखा खुद्दूश
  • जैक्सन पेरीरा
  • महमीद इस्माइल
  • नवीन कुमार
  • संजय कुमार महाबल
  • महेंद्र कोदंकी
  • इंदुमती नायक
  • विजेश कोवल
  • रामकृष्ण नायक
  • अजेश मोत्ताथिल
  • नाविद इब्राहिम
  • इग्नाशियस डीसूज़ा
  • सुकुमार कुझियामकोत्तूचल
  • के.एम. अब्दुल बशीर
  • मोहिद्दीन फराहसुस्मन
  • माहिम मोहमम्दपल्ली
  • के.ए. मोहम्मद अशरफ
  • मुहम्मद उस्मान
  • कुन्हीकन्नन चांदू (सवार नहीं हो पाए)
  • नवीन वाल्टर फर्नांडीज़
  • सरिताफिलोमीना डीसूज़ा
  • उल्लास डीसिल्वा
  • मन्नापदुपुअशरफ अब्दुल
  • शफधराली शेख
  • महेश शेट्टी
  • अब्दुल हरीश कोप्पलमहाउस
  • अब्दुल जेब्रान
  • परमबत कुन्ही कृष्णन
  • प्रभाकरन प्राचीकरण
  • नेक्करइब्राहिम इस्माइल
  • मेल्विन किरण मेनेंजीस
  • सिद्दीक़ी चुरीसुलेमान
  • पुत्तुरइस्माइस अब्दुल्ला
  • सोमाशेखर पोत्यल श्रीनिवास
  • लोकेश नारायणन
  • लोलिता दियास
  • लिली डियास
  • प्रवीन सुंदर
  • हिल्दा डीसूज़ा
  • प्रदीप दीपानिवास
  • डेनिस सल्दन्हा
  • एशटॉन सल्दन्हा (बच्चा)
  • मंथुर हुसैनार
  • रामा सतीश
  • मुहम्मद बशीर
  • अबूबाकेर सिद्दीकी
  • मुहम्मद उस्मान
  • शैलेष राव ब्रह्मावरा
  • मुहम्मद जियाद
  • समीना अब्दुल करीम
  • ज़ैनब मुहम्मद ज़ियाद (बच्चा)
  • मुहम्मद सुबैर ज़ियाद (बच्चा)
चित्र 
 विस्तार से जानने के लिये इन लिन्क्स को देखिये

  1. प्रफ़ुल्ल पटेल ने हादसे की नैतिक ज़िम्मेदारी ली
  2. भाग्यशाली हूँ कि ज़िंदा हूँ
  3. भारत की बड़ी विमान दुर्घटनाएँ
  4. दुर्घटना रनवे से उतरने से हुई: एयर इंडिया
  5. विमान में सवार यात्रियों की सूची

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अलबरूनी का भारत : समीक्षा

"अलबरूनी का भारत" गिरीश बिल्लौरे मुकुल लेखक एवम टिप्पणीकार          औसत नवबौद्धों  की तरह ब्राह्मणों को गरियाने वाले श...