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अर्चना चावजी की आवाज़ में सुनिए...ग़ज़ल
चांदनी रात में कुछ भीगे ख्यालों की तरह
मैंने चाहा है तुम्हें दिन के उजालों की तरह साथ तेरे जो गुज़ारे थे कभी कुछ लम्हें
मेरी यादों में चमकते हैं मशालों की तरह
इक तेरा साथ क्या छूटा हयातभर के लिए
मैं भटकती रही बेचैन गज़ालों की तरह
फूल तुमने जो कभी मुझको दिए थे ख़त में
वो किताबों में सुलगते हैं सवालों की तरह
तेरे आने की ख़बर लाई हवा जब भी कभी
धूप छाई मेरे आंगन में दुशालों की तरह
कोई सहरा भी नहीं, कोई समंदर भी नहीं
अश्क आंखों में हैं वीरान शिवालों की तरह
पलटे औराक़ कभी हमने गुज़श्ता पल के
दूर होते गए ख़्वाबों से मिसालों की तरह
-फ़िरदौस ख़ान
चांदनी रात में कुछ भीगे ख्यालों की तरह
मैंने चाहा है तुम्हें दिन के उजालों की तरह साथ तेरे जो गुज़ारे थे कभी कुछ लम्हें
मेरी यादों में चमकते हैं मशालों की तरह
इक तेरा साथ क्या छूटा हयातभर के लिए
मैं भटकती रही बेचैन गज़ालों की तरह
फूल तुमने जो कभी मुझको दिए थे ख़त में
वो किताबों में सुलगते हैं सवालों की तरह
तेरे आने की ख़बर लाई हवा जब भी कभी
धूप छाई मेरे आंगन में दुशालों की तरह
कोई सहरा भी नहीं, कोई समंदर भी नहीं
अश्क आंखों में हैं वीरान शिवालों की तरह
पलटे औराक़ कभी हमने गुज़श्ता पल के
दूर होते गए ख़्वाबों से मिसालों की तरह
-फ़िरदौस ख़ान
13 टिप्पणियां:
बहुत ही अच्छे अंदाज़ मैं ग़ज़ल गयी है...लाजवाब
अख्तर भाई पोस्ट देते हैं क्या टिप्पणी में ?
बहुत खूब... सुंदर प्रस्तुति...... अर्चना जी, फिरदौस जी दोनों को बधाई
बहुत सुंदर! खूबसूरत आवाज़ में खूबसूरत ग़ज़ल ... अर्चना जी, फिरदौस जी दोनों को बधाई :-)
खूबसूरत गज़ल और खूबसूरत आवाज।
वाह जी वाह ..खूबसूरत आवाज़ में खूबसूरत ग़ज़ल ... अर्चना जी, फिरदौस जी दोनों को बधाई.
विजय
शिवम जी के ब्लॉग चर्चा से होती हुई आई ....
अर्चना जी सुनी आपकी आवाज़ ....खूब गया आपने ....
फिरदौस जी की ग़ज़ल की पंक्तियाँ भी अच्छी लगी ....
शुक्रिया
khoobsurat gazal..
har sher lajawab.
gazal bahut shandaar hai , aavaaj abhi sun nahi paaye hain ...
हमारी ग़ज़ल को अपनी मधुर आवाज़ से सजाने के लिए अर्चना जी के दिल से शुक्रगुज़ार हैं... और इसे पसंद करने वालों के भी आभारी हैं...
har bar ki tarha bahut sundar awaj
खूबसूरत आवाज़ मे खूबसूरत गज़ल्।
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