14.3.17

या जोगी पहचाने फ़ागुन, हर गोपी संग दिखते कान्हा

फ़ागुन के गुन प्रेमी जाने, बेसुध तन अरु मन बौराना
या जोगी पहचाने फ़ागुन, हर गोपी संग दिखते कान्हा
रात गये नज़दीक जुनहैया,दूर प्रिया इत मन अकुलाना
सोचे जोगीरा शशिधर आए ,भक्ति भांग पिये मस्ताना
प्रेम रसीला, भक्ति अमिय सी,लख टेसू न फ़ूला समाना
डाल झुकीं तरुणी के तन सी, आम का बाग गया बौराना 
जीवन के दो पंथ निराले,कृष्ण की भक्ति अरु प्रिय को पाना 
दौनों ही मस्ती के  पथ हैं  , नित होवे है आना जाना--..!!
चैत की लम्बी दोपहरिया में– जीवन भी पलपल अनुमाना
छोर मिले न ओर मिले, चिंतित मन किस पथ पे जाना ?

8.3.17

*अनकही* 🦋women's day special


🦋 *अनकही* 🦋
*वह कहता था*
*वह सुनती थी* 
*जारी था एक खेल* 
*कहने सुनने का*
 
*खेल में थी दो पर्चियाँ*
*एक में लिखा था ‘कहो’*
*एक में लिखा था ‘सुनो’*
 
*अब यह नियति थी*
शरद कोकास 
*या महज़ संयोग*
*उसके हाथ लगती रही* 
*वही पर्ची*
*जिस पर लिखा था ‘सुनो’*
*वह सुनती रही*
 
*उसने  सुने आदेश*
*उसने सुने उपदेश*
*बन्दिशें उसके लिए थीं*
*उसके लिए थीं वर्जनाए*
*वह जानती थी* 
*कहना सुनना नहीं हैं*
*केवल हिंदी की क्रियाएं*
 
*राजा ने कहा ज़हर पियो*
*वह मीरा हो गई*
*ऋषि ने कहा पत्थर बनो*
*वह अहिल्या हो गई*
*प्रभु ने कहा घर से निकल जाओ*
*वह सीता हो गई*

*चिता से निकली चीख*
*किन्हीं कानों ने नहीं सुनी*
*वह सती हो गई*
 
*घुटती रही उसकी फरियाद*
*अटके रहे उसके शब्द* 
*सिले रहे उसके होंठ*
*रुन्धा रहा उसका गला*
 
*उसके हाथ कभी नहीं लगी*
*वह पर्ची*
*जिस पर लिखा था - ‘ कहो* ’

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27.2.17

*" कन्यादान नहीं करूंगा "*

श्री शैलेंद्र अत्रे की कविता*
*" कन्यादान नहीं करूंगा "*
जाओ , मैं नहीं मानता इसे ,
क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं ,
जिसको दान में दे दूँ ;
मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में ,
पति के साथ मिलकर निभाना तुम ,
मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा ,
आज से तुम्हारे दो घर ,
जब जी चाहे आना तुम ,
जहाँ जा रही हो ,
खूब प्यार बरसाना तुम ,
सब को अपना बनाना तुम ,
पर कभी भी ,
न मर मर के जीना ,
न जी जी के मरना तुम ,
तुम अन्नपूर्णा , शक्ति , रति सब तुम ,
ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम ,
न तुम बेचारी , न अबला ,
खुद को असहाय कभी न समझना तुम ,

मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें ,
मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ ,
उसे बखूबी निभाना तुम .................
*- एक नयी सोच एक नयी पहल*

19.2.17

Kids always remember 24 September 2014 for MOM


Kids please don’t under estimate India because India always think about you every step of our country only for next generation. I think finding  of “0” was the first Enovation for world of mathematic watch this video uploaded on youtube by Mr. Jignesh Rohit ……  
thanks youtube   


13.2.17

भारत में ब्राह्मणों की स्थिति


विकास हर पल होता है होना भी चाहिए ... पानी और समय को रोकिये तो पाएंगें की पानी और समय दौनों में मलिनता आ ही जावेगी. अस्तु तो सनातन से ही हम “चरैवेती चरैवेती” के उदघोषक हैं... जो न तो यवनों को हासिल है न ही विश्व की  किसी भी सामाजिक व्यवस्था में शामिल रहा है. आप सोच रहे होंगे कि यहाँ यवन आए, ब्रिटिश आए तो क्या चल के न आये होंगे....?
जी हाँ वे सब आए  चलकर ही आए थे... प्रवास के लिए पथसंचलन आवश्यक है . पर याद रखिये  वे जटिल और स्थिर विचारों एवं मान्यताओं के साथ आये थे ...सो उनको हर जगह से लौटना पडा कुछेक बातों को छोड़ दें तो वे सनातनी व्यवस्था को समाज से प्रथक न कर पाए . दूसरी ओर ... जबकि हम सनातनी जब भी बाहर गए तब समृद्ध और मौलिक चिंतन तथा विचारधारा के साथ गए हमारे प्रवास का कभी भी उद्देश्य सत्ता का विस्तार न था. हम सदा मूल्यों की स्थापना के साथ गए . हमने हमारा सनातनी व्यवस्थापन का मार्ग तद्समकालीन   विश्व को सिखाया भी. यही है हमारी सनातनी-शक्ति जो हमें वेदों ने दी निरंतर मिल रही है. यही सनातनी-शक्ति हमारे लिए रक्षाकवच है.  
सुभाष बाबू विप्र थे एमिली से विवाह के संस्कार को सनातनी ही रखा तो अशफाक के साथ विप्र चंद्रशेखर आज़ाद ने धार्मिक सहिष्णुता को सर्वोपरी रख देश के लिए स्वाहुति दी.
उपरोक्त बातों का अर्थ क्या है..? यही न कि राष्ट्रधर्म सर्वोपरी है .. विप्रों ने जब जब राष्ट्रधर्म को प्रथम माना तब तब राष्ट्र ने श्रेष्ठता साबित की पर जब भी विप्र पक्षपाती हुए हैं देश को क्षति हुई है. विप्र को न तो खुद के लिए न ही खुद के परिवार के लिए कार्य करना है बल्कि राष्ट्रहित में वो करना है जो सर्वदा “सर्वजन हिताय” हो.      
यद्यपि ब्राह्मण का जन्म सामंजस्य और समता के लिए होता है. पर जब उसके इस हेतु में बाधा होती है तब किसी न किसी चाणक्य का प्रादुर्भाव होता है. उदाहरण सर्वव्यापी है कि -  जब नन्दराज़ ने चाणक्य को विदेशी  आतंक के विरुद्ध एकजुटता एवं अखंड-भारत के आह्वान पर अपमानित किया तो विप्र ने सही समय पर चन्द्रगुप्त के ज़रिये उस अपमान को महान ऐतिहासिक घटना में बदलने का “हेतु” बना दिया. सनातनी ब्राह्मण सदा “अखंडता का हिमायती होता है” चाहे वो राष्ट्र की अखण्डता हो या राष्ट्र में अखण्डता हो . 
सनातनी व्यवस्था में सब कुछ परिवर्तन शील है. ब्राह्मण कुलों का दायित्व है कि वो राजा को भी आवश्यकता होने पर मुखर होकर  सदाचरण का ज्ञान दे . किन्तु समकालीन परिस्थिति में समाज का हर वर्ण बिखरा बिखरा सिगमेंट में जी रहा है. सबके उद्देश्य भी प्रथक प्रथक हों ... तब जब मन ही खंडित हों तब अखंड-भारत का स्वप्न दिवा स्वप्न लगता है. न ही विप्रों में वो आत्मबल नज़र आ रहा है. 

परन्तु इस विघटन से मुक्ति के मार्ग है कठिन हैं  पर राष्ट्रहित में हैं...... लोक हित में हैं... वो है खुद की जड़ों का सिंचन. खुद को श्रेष्ठ साबित करना नहीं बल्कि जिस वर्ण से हम हैं उसे राष्ट्रोपयोगी बनाना. 
वर्तमान में विप्र वर्ग की स्थिति दिनों दिन दयनीय हो रही है एक अदद चाणक्य की ज़रूरत से इनकार नहीं किया जा सकता . 

9.2.17

पाकिस्तान को खुली चुनौती देता हिन्दुस्तानी बालगायक –“अज़मत खान ”


 
पाकिस्तान का बड़े से बड़ा फनकार में हमारे अज़मत के सामने  बौना साबित होता है. 
यह देश गन्धर्वों का देश है पीरों सूफियों साधुओं संतों का देश है...... यहां बच्चे शेरों के दांत गिन लेते हैं..... जी हाँ ये ईश्वर की रहमत का देश है.... जी हाँ ये नन्हें #अज़मत का देश है..........यकीन कीजिये....   पाकिस्तान  सिर्फ  कसाब बनाता है और भेजता है .  उसके पास हमारे देश के  अज़मत जैसा मुकाबिल कोई न था .  ........... पाकिस्तान की बड़ी से बड़ी फिल्म को या गायक को केवल अधिकतम 40 हज़ार के आसपार दर्शक मिलते हैं... जबकी भारत में उनके गायकों को पूरी शिद्दत के साथ देखा सुना जाता है. उनको सराहा जाता है........ कई पाकिस्तानी कलाकारों को रोटी और पहचान भी भारत ने दी . बदले में ज़हर उगलता पाकिस्तानी मीडिया ईर्ष्या और कुंठा के दलदल में फंसा चीखता रहता है.
जी हाँ अज़मत जयपुर के वाशिंदे हैं. जिनको 2011 का जी टी वी लिटिल चैम्पियन होने का गौरव हासिल हुआ. दक्षिण एशिया में  भारत ही एक ऐसा देश जहां सृजनात्मकता को सामाजिक तौर पर मान्यता हासिल है वह भी बिना किसी रोकटोक या जाति-धर्म-सीमाओं  के भेदभाव के. जबकि पाकिस्तान में सृजनशीलता  को प्राथमिकता देने की अपेक्षा कश्मीर मसला  या भारत के खिलाफ विद्वेष का ज़हर बच्चों को पिलाया जाता है.   
             भारत  के  बालगायक अजमत के यूट्यूब पर  अपलोडेड एक वीडियो  को  01करोड़ 46 लाख लोग देख चुके हैं, जिसे  34 हज़ार से अधिक दर्शकों ने पसंद किया  तो मात्र  3030 नापसंद भी कर गए ...........


8.2.17

गुलाब हो न तुम.... ?


रोज़री में सजे 
तुम कल बदले जाओगे
गुलाब हो न तुम
सम्मान में भी मिलते हो 
दूसरे तीसरे दिन 
कूड़ेदान में 
बदहवास मिलते हो 
गुलाब हो न तुम 
तुमको समझने वाला
होता है निराला 
गुलाब हो न तुम 
नेहरू की अचकन से रूमानी सेज तक 
तुमको हर अगली बार 
जमीन पर बिखरा बिखरा पाया
*गुलाब हो न तुम*

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...