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बुधवार, फ़रवरी 08, 2017

गुलाब हो न तुम.... ?


रोज़री में सजे 
तुम कल बदले जाओगे
गुलाब हो न तुम
सम्मान में भी मिलते हो 
दूसरे तीसरे दिन 
कूड़ेदान में 
बदहवास मिलते हो 
गुलाब हो न तुम 
तुमको समझने वाला
होता है निराला 
गुलाब हो न तुम 
नेहरू की अचकन से रूमानी सेज तक 
तुमको हर अगली बार 
जमीन पर बिखरा बिखरा पाया
*गुलाब हो न तुम*

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