23.6.19

क्रिकेट स्पोर्ट नहीं इंडस्ट्री है : गिरीश बिल्लोरे ''मुकुल"

Dainik Bhaskar की कवरस्टोरी पढ़कर कुछ असहज सा महसूस कर रहा हूं. 5 साल में 77% बढ़ी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री विज्ञापनों से 66% की कमाई कोहली और धोनी को यह है शीर्षक इस कवरस्टोरी का.
      इसका अर्थ यह नहीं है कि विकास के इस अनोखे से पहलू का मैं विरोध करूंगा या उससे असहमत हूं । मामला यह है कि मल्टीनेशनल कंपनी के विज्ञापनदाता तथा स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने वाली खास सोसायटी ने जिन खेलों को बढ़ावा दिया है उनमें कबड्डी और क्रिकेट की चर्चा की गई है क्रिकेट को सर्वाधिक स्पॉन्सरशिप का लाभ मिला करता है । बड़े उद्योगपतियों व्यक्तियों एवं मल्टी नेशंस और देसी कंपनियों द्वारा केवल और केवल उन खेलों को बढ़ावा दिया जा रहा है जो ऑलरेडी लोकप्रिय हैं यहां तीरंदाजी शूटिंग कुश्ती जैसे उन खेलों को 0 अथवा कुछ प्रतिशत ही स्पॉन्सरशिप और सपोर्ट मिलता है यह ग्राउंड रियलिटी ।
         बेशक रिपोर्ट बहुत ही उपयोगी एवं सूचना पर है प्रस्तुतकर्ता नहीं भले ही कुछ मुद्दे स्पष्ट ना किया हो तथापि रिसर्च तो की है और विषय भी बेहद समसामयिक है । अखबार लिखता है कि स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में किस पर कितना खर्च किया जाता है यहां 11% 3 की स्पॉन्सरशिप में 6% विज्ञापन पर 20.6% ग्राउंड स्पॉन्सरशिप तथा 4.6% फ्रेंचाइजी के जरिए भुगतान होता है मीडिया का लगभग 57.1% रिपोर्टेड  है ।
यहां मैं आर्टिकल प्रस्तुतकर्ता अखबार को बताना चाहूंगा कि क्रिकेट शुरू से खेल को मैं खेल के तौर पर स्वीकार नहीं करता यह एक अपने आप में उद्योग है जिस तरह फिल्म उद्योग वस्त्र उद्योग ठीक उसी तरह क्रिकेट उद्योग । अतः इसकी आंकड़ों को शामिल न करने के बाद प्रो कबड्डी तथा अन्य खेलों के लिए उद्योगपति एवं मल्टी नेशन कंपनी साथ ही साथ देसी कंपनियां कुछ भी खास करते नजर नहीं आ रही हैं ।
              जिसके परिणाम स्वरूप केवल क्रिकेट थी सर्वोपरि समझ में आता है और हम अपने चिंतन में क्रिकेट को खेल के रूप में स्थान दे रहे हैं ।
            बैडमिंटन तीरंदाजी गोल्फ बिलियर्ड स्नूकर शूटिंग रेसलिंग वॉलीबॉल फुटबॉल पर कंपनियों की नजर कम है इतना ही नहीं कंपनियां या विज्ञापनदाता व्यक्ति या  कोई भी राष्ट्रहित में बहुत अधिक नहीं सोचते हैं वे केवल अपने प्रोडक्ट के  ग्राहक तक पहुंचने के लिए बहुत ज्यादा समझदार नहीं हुए ।
     यहां तक कि प्रो कबड्डी के विज्ञापन में धोनी को तरजीह दी जा रही है भारत का अपना खेल विदेशी खेल के कांधे को पकड़कर आगे बढ़ रहा है इस बात की समीक्षा भी आलेख में विस्तारपूर्वक की जा सकती थी बहरहाल आलेख एक चिंतन की दिशा अवश्य दे गया वह यह कि हमारे विज्ञापनदाता खेलों के प्रति बहुत ज्यादा पॉजिटिव एटीट्यूड नहीं रखते हैं बल्कि उनका ध्यान उनके कस्टमर्स पर है यहां आपको बता दूं कि अगर 11 ग्राम पंचायत में छोटे-छोटे स्थानों पर बैंक के बीमा कंपनियां मल्टी नेशन कंपनीज तथा देसी कंपनियां व्यक्ति अथवा कोई भी स्पॉन्सरशिप ट्रेनिंग के मामले में शुरू कर दें तो हम विश्व कप के साथ साथ अमेरिका और चीन से अधिक गोल्ड जीत कर ला सकते हैं एशियन एवं ओलंपिक गेम्स में वास्तव में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों को ऐसी कंपनिओं विज्ञापन दाताओं की जरूरत है जो अन्य स्पोर्ट्स में स्पॉन्सरशिप करें खासतौर पर ट्रेनिंग में । जरूरत है छोटे नगरों जबलपुर इंदौर ग्वालियर भुवनेश्वर पटना सहित अन्य प्रदेशों के महत्वपूर्ण किंतु छोटे नगरों में चलाए जा रहे कैंप्स को वित्तीय सहायता मुहैया कराने की किंतु यह सोच कंपनियों में आज तक विकसित नहीं हुई जो इस देश का भी दुर्भाग्य है । बीसीसीआई भारत का सबसे शक्तिशाली संगठन है लेकिन उसके सापेक्ष राज्य आश्रित प्रशिक्षण संस्थानों कि अपनी समस्याएं हैं जिसका निराकरण वित्तीय सहायता की उपलब्धता से सहज संभव है मैं जानता हूं कि यह आलेख इसी मल्टीनैशनल किसी एक जिक्र तक नहीं पहुंच पाएगा नहीं ऐसा कोई सोच पाएगा वह इसलिए भी कि एक तो हिंदी मैं लिखा गया आलेख है साथ ही सोशल मीडिया पर एक सामान्य से व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत चिंतन है जिसकी मोटे तौर पर बहुत अधिक वैल्यू नहीं होगी परंतु में साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि अगर कंपनियां अर्थात विज्ञापनदाता इस और ध्यान दें और सरकारें ऐसी कोई पॉलिसी बनाएं जिससे कि स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए कंपनियां स्पॉन्सरशिप के तरीकों पर पुनर्विचार करके मदद करें बेहद सराहनीय कदम होगा

15.6.19

प्राचीन इतिहास पर नयी रौशनी : स्वराज करुण


      दक्षिण कोशल में दो हज़ार साल से भी ज्यादा पुरानी  एक  बसाहट का पता चला : मौर्यकालीन बौद्ध स्तूप के लिए उत्खनन जारी
        स्वराज करुण
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सिर्फ़ 25 किलोमीटर की दूरी पर दो हजार साल से भी ज्यादा पुरानी मौर्यकालीन बौद्ध संस्कृति की एक नयी बसाहट का पता चला है । रायपुर जिले  के  तहसील मुख्यालय आरंग के पास ग्राम रींवा में एक टीले पर राज्य शासन के पुरातत्व विभाग द्वारा  उत्खनन जोर -शोर से किया जा रहा है । माना जा रहा है इस उत्खनन में  दक्षिण कोशल के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास पर नयी रौशनी पड़ सकती है ।
         यह स्थान मुम्बई -कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 53 के बिल्कुल किनारे पर है । विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इस टीले से एक बौद्ध स्तूप निकलने की प्रबल संभावना है । यह भी माना जा रहा है कि सुदूर अतीत में वहाँ एक विकसित बसाहट भी रही होगी ।उत्खनन के दौरान वहां स्तूप की दीवारों की बुनियाद और ईंटें  भी नज़र आने लगी है । पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार यह  मौर्यकालीन स्तूप  ईसा  पूर्व तीसरी  शताब्दी का हो सकता  हैं । याने आज से कोई तेईस सौ साल पुराना । जिस आकार -प्रकार की ईंटें वहां मिल रही हैं ,उन्हें देखकर यह अनुमानित काल निर्धारण किया गया है ।  इस आलेख के लेखक ने उस दिन देश के मशहूर पर्यटन ब्लॉगर ललित शर्मा के साथ वहाँ  धरती के गर्भ से निकलते इतिहास को देखा ।
    वैसे तो पुरातत्व की दृष्टि से सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ ही अत्यंत समृद्ध है । आरंग तहसील भी इस मामले में कम नहीं है। पौराणिक इतिहासकारों के अनुसार आरंग शहर को  राजा मोरध्वज की राजधानी माना जाता है । वहां का भांड देवल मन्दिर प्रसिद्ध है ,जो  भारत सरकार द्वारा  संरक्षित ऐतिहासिक  स्मारक है । छत्तीसगढ़ और ओड़िशा की जीवन रेखा महानदी आरंग के नजदीक से बहती है । पुराणों में चित्रोत्पला गंगा के नाम से वर्णित इस नदी का उदगम भी छत्तीसगढ़ में है. ।यहाँ के सिहावा पर्वत से निकलकर करीब आठ सौ किलोमीटर का लम्बा सफ़र तय करते हुए यह बंगाल की खाड़ी के विशाल समुद्र में समाहित हो जाती है ।  महानदी के किनारे छत्तीसगढ़ से ओड़िशा तक अनेक प्रसिद्ध तीर्थ और ऐतिहासिक स्थान हैं ।
         दक्षिण कोशल (प्राचीन छत्तीसगढ़ )में शैव ,वैष्णव और बौद्ध संस्कृतियों के त्रिवेणी संगम के नाम से प्रसिद्ध सिरपुर भी महानदी के किनारे स्थित है ।  सिरपुर को हमारे प्राचीन भारतीय इतिहास में  'श्रीपुर' के नाम से भी जाना जाता है । इतिहासकार बताते हैं कि यहाँ प्राप्त स्मारक सातवीं -आठवीं शताब्दी के हैं ।  सिरपुर में गन्धरेश्वर महादेव और लक्ष्मण मन्दिर के अलावा प्राचीन बौद्ध विहार भी हैं ,जिन्हें केन्द्र तथा राज्य सरकारों के द्वारा  संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है ।
   ब्लॉगर ललित शर्मा कहते हैं कि ग्राम रींवा ,जहां अभी टीले का उत्खनन हो रहा है ,महानदी पहले वहाँ से होकर भी  बहती रही होगी । हजारों साल के समय प्रवाह में नदियाँ अपना रास्ता बदलती रहती हैं । रींवा के तालाब की मेड़ों को देखकर उन्होंने कहा कि इस जगह पर किसी राजा का मृदा भित्ती दुर्ग (मड फोर्ट ) रहा होगा ।बहरहाल ,पुरातत्व विभाग के अधिकारी स्थानीय श्रमिकों के साथ पूरी गंभीरता और तत्परता से वहाँ उत्खनन में  लगे हुए हैं और  भूमिगत हो चुके भारतीय इतिहास के धुंधले पन्नों की धूल झाड़कर उन्हें पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं ।
        - स्वराज करुण

7.4.19

“18 हज़ार रेल कर्मियों एवं उनके परिवारों को मतदान के लिए प्रोत्साहित किया जावेगा : मनोज सिंह”




लोकसभा निर्वाचन 2019 में शत-प्रतिशत मतदान सुनिश्चित कराने ज़िला निर्वाचन कार्यालय द्वारा अनेक नवाचार किये जा रहे हैं, भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश और राज्य निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों के चलते ज़िला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर छवि भारद्वाज के मार्गदर्शन में मतदाता जागरूकता का सतत अभियान चलाया जा रहा है, इसी कड़ी में स्वीप की प्रभारी व ज़िला पंचायत सीईओ रजनी सिंह के संयोजन में शनिवार शाम 6 बजे से स्वीप के तहत सिविल लाइन स्थित सतपुडा क्लब में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिसमें बाल भवन के कलाकारो द्वारा मतदाताओं  को अभिप्रेरित करने बाल भवन के कलाकारों ने डाक्टर रेनू पांडे, डाक्टर शिप्रा सुल्लेरे, एवं श्री अखिलेश पटेल  के निर्देशन में बहु-आयामी  सांस्कृतिक प्रस्तुतियों स्किट्स , एक्सटेंपोर टॉक  व मतदान गीतों की प्रस्तुति देकर मनमोहा बाल कलाकारों के स्पाट पेंटिंग और क्ले आर्ट तथा नृत्य  के ज़रिये भी मजबूती के प्रभावी सन्देश दिए.  रंगारंग मंचीय कार्यक्रम रोचक तरीके से प्रस्तुत करने वाले कलाकारों में बालश्री सम्मान विजेता  फिल्म अभिनेत्री एवं नाट्य कलाकार  श्रेया खंडेलवाल , मत्तोबाई के रूप में  पलक गुप्ता, अंकुर विश्वकर्मा (बालश्री सम्मान विजेता ), नृत्य कलाकार -आर्या, पावनी, यशी, गायक  , रंजना निशाद, उन्नति तिवारी, मानसी सोनी, विशेष शर्मा, प्रगीत शर्मा, अविनाश कश्यप, करन जाम्बुलक्र्र , खुशबू राय, जया मौर्य, सुनीता केवट,  शिखा पटेल,अंजलि गुप्ता, अनघा गायकवाड़,  आदि शामिल थे.  डब्ल्यू सी आर आफिसर्स क्लब के चेयरपर्सन एवं डी आर एम जबलपुर ने  बाल भवन के कलाकारों को 10 हजार रुपये की राशि भी प्रदान की गई.  
इस अवसर पर पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर महाप्रबंधक डॉ मनोज सिंह ने कहा कि मतदान को शत प्रतिशत कराने 18 हजार रेल कर्मियों के पोलिंग हेतु सुनिश्चित प्रयास कराए जायेंगे। उन्होंने कहा कि जबलपुर डिवीजन के अंदर आने वाले स्टेशनो पर मतदान के प्रति जिंगलस व शार्ट फ़िल्म चलाकर लोगो को जागरूक किया जाएगा। साथ ही रेलवे साधनों पर मतदान को बढ़ावा देने निःशुल्क विज्ञापन चलायें जायेंगे। वही जिला पंचायत सीईओ रजनी सिंह ने कहा कि स्वीप का मुख्य उद्देश्य लोगो को मतदान के प्रति जागरूक करना है जो कि हम विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर जागरूकता कार्यक्रम चला रहें हैं.
कार्यक्रम में मुख्य-अतिथि बक्सर बिहार के  कलेक्टर राघवेंद्र सिंह, डी आर एम  डॉ मनोज सिंह, ए.डी.आर.एम श्री  सुधीर सरवरिया, डब्ल्यू डब्ल्यू ओ की अध्यक्ष डॉ नील रेखा सिंह, सीनियर डी एफ एम.श्री अभिराम खरे के अलावा सम्भागीय बालभवन जबलपुर के  संचालक गिरीश बिल्लोरे, परियोजना अधिकारी जिला पंचायत श्री अरुण सिंह  सहित रेल परिवारों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही.
{ कुमारी रूचि तिवारी साकेत सिंह एवं वृष्टि नारद की रिपोर्ट }

26.3.19

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…….?



ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…….?

         वास्तव में ये सवाल ज़ायज़ है आज के दौर के लिए कबीर मिर्ज़ा ग़ालिब यहाँ तक कि स्वामी विवेकानंद भी मिसफिट हैं । 
         मन में खिन्नता है मेरे शाम को घर लौटता हूँ टीवी पर डिबेट के नाम पर अभद्र वार्तालाप ओह क्या हो गया है... इस मीडिया को लोगों को । 
        जब भी सोचता हूं गुरुदत्त के बारे में तो लगता है कि कुआं खुद बेहद प्यासा रहा है अपनी जिंदगी में । कवियों कलाकारों की जिंदगी का सच यही है बेशक मैं इन्हें शापित गंधर्व कहता हूं ।
याद है ना आपको राज कपूर की वह फिल्म जिसमें एक सर्कस का कलाकार अपनी जिंदगी के चारों पन्नों पर कशिश लिख देता है । जरूरी भी है ए भाई इस दुनिया को देख कर चलना । यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ।
 प्यासा और कागज के फूल मैंने अपनी युवावस्था में देखी फिल्म में है जब भी इन फिल्मों को देखता हूं आंखें डबडबा जाती हैं । बहुतेरे ऐसे कलाकारों को भी जानता हूं जो मिसफिट होते हैं समाज के लिए और एक अंतर्द्वंद लेकर समाज में जीते भी हैं और मरते भी । अंतस की पीर से ऐसी ऐसी रचनाएं उभरती है गोया खुद ईश्वर उतर आते हैं हम में और हम दुनिया को कुछ दे पाते हैं । कभी कभी यह गाते हुए दुनिया को तिलांजलि देने की इच्छा होती है कि मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया । दुनिया कविता चित्रकारी मूर्ति कला गीत गायन संगीत की स्वर लहरियां बिखेरने वालों को दुनिया के लिए मिसफिट मानने लगती है । एक बार मेरे एक मित्र मुझसे मिले उन्होंने पूछा क्या कर रहे हो उन दिनों मैं बेरोजगार था जॉब की तलाश में था तो स्वाभाविक तौर पर मेरा जवाब था कविता कर रहा हूं !
कविता ने तुम्हें रोटी नहीं देनी है कविता से कपड़ा भी नहीं मिलेगा मकान की तो छोड़ो यार कुछ जॉब करो जॉब के लिए तैयारी करो देखो मैं फला जॉब में हूं ।
मित्र की बात सीने पर हथौड़े की तरह जा लगी लेकिन मैंने धीरे से कहा- मित्र शादी नौकरी बाल बच्चे इसके अलावा दुनिया में और भी बहुत सारी चीज है जिसके लिए हम जमीन पर आए हैं....!
मित्र अजीब सी नजरों से मुझे निहारता गया और किसी जरूरी काम से जाने का हवाला देकर निकल गया । मित्र का जाना मुझे अखर नहीं लेकिन इस तरह जाना तो किसी को भी अखर सकता है । 
धैर्य से सोचता रहा इस निष्कर्ष पर पहुंचा मुझे उसे यह नहीं बताना था कि मैं कविताएं लिख रहा हूं बल्कि यह कि मैं पीएससी की तैयारी कर रहा हूं ! कुल मिलाकर कविता के महत्व को उसी दिन पहचाना पहले तो मैं महा कवियों के नाम काम का यशोगान करता था पर आज उनकी रचनाओं पर भी शोक मनाने लगा था जिसका लेश मात्र भी असर मित्र पर नहीं पड़ा लगता है कविता कारी कलाकारी सब बेकार है लेकिन ऐसा नहीं है हम सृजन इसलिए करते हैं कि ईश्वर हम में आकर हमारे इस सृजक को जगा देता है ।
कालिदास शेक्सपियर मंटो तुलसी मीरा और जाने कौन कौन कितना कितना लिख गई कबीरा ने तो मार मार के लिखा पर आज की यह दुनिया है ना यह हमें मिल भी जाए तो क्या है दोस्तों इस लेख को पढ़कर आपको समझ में जरूर आ गया होगा कि यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ।
अगर आपके पास बिल्डिंग हैं कार है अच्छा खासा बैंक बैलेंस है तो यह दुनिया ने दिया है पर आपने  दुनिया को क्या दिया यह सूचना जरूरी है ।
ओहदे तख्त ताज जवाहरात सब कुछ लेकर कोई मुझे कबीर बनने को कहेगा और बना देगा सच बताऊं बेशक ऐसा सौदा मंजूर कर लूंगा इस तिजारत में लाभ है.. मुझसा मुफलिस दाता बन जाए वो भी पल भर में  
कबीर देकर गया है अरस्तु ने भी दिया है कौटिल्य ने कम दिया है क्या हो सकता है मैं बहुत थोड़ा सा दे सकूं पर्दे कर जरूर जाऊंगा । इस दुनिया वालो  मेरे मरने का स्यापा मत करना थोड़ा मुस्कुराना जो मन चाहे वैसे मस्ती से विदा करना जानते हो परम यात्रा है मृत्यु.... जरा सा दूर जाने वालों को विदा करने रेलवे स्टेशन आते हो बस स्टैंड जाते हो अरे हां एयरपोर्ट भी जाते हो न...! बहुत छोटी यात्राएं होती है यह सब सच बताऊं महा यात्रा पर निकल लूंगा अच्छे से विदा करना हां याद रखो रास्ते में सब कुछ मिलता है किसी को कुछ खिलाने की जरूरत नहीं कि मेरी तक को पहुंचा देगा किसी को मेरे लिए रोने की जरूरत ही नहीं क्योंकि तुम्हें रोता देख औरों के आंसू पूछना बहुत मुश्किल होगा महायात्रा में इन सब बातों का बड़ा महत्व है ... है ना सलिल भाई Salil Dhruv जी Anjani जी करा लीजिए 
इन सब से पुष्टि जिनके नाम मैंने लिखे हैं . मित्रों सच कहूं दुनिया ने मुझे भी दर्द के अलावा कुछ नहीं दिया और यह जो कहानी है ना कागज के फूल और प्यासा की हम सृजन करने वालों की कहानी है ... है ना अरुण जी Arun Pandey
Mehul Yadav Poojaa Kewat Shubham Pathak सहित सभी को मेरा ढेर सारा प्यार ..

20.3.19

राष्ट्रीय बालश्री 2016 में प्रदेश के 09 बच्चे सम्मानित होंगे जबलपुर संभाग से 04





राष्ट्रीय बाल भवन नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2016 के लिए बाल श्री पुरस्कारों की घोषणा कर दी है जिसमें देशभर के 80 बच्चों को सम्मानित किया जावेगा । सूची में मध्य प्रदेश से 9 बच्चों को शामिल किया गया है ।   बाल भवन जबलपुर की राजश्री चौधुरी  को रचनात्मक वैज्ञानिक इनोवेशन एवं मास्टर अंकुर विश्वकर्मा को मूर्तिकला के लिए सम्मानित किया जावेगा । जबलपुर बाल भवन से संबद्ध मंडला जिले की कुमारी अजीता रूपेश कोष्टा को अभिनय एवं संवाद नरसिंहपुर जिले की कुमारी सपना पटेल को सृजनात्मक लेखन के लिए बाल से सम्मान प्राप्त होगा । नेत्र दिव्यांग कुमारी तान्या शर्मा को गायन के लिए मास्टर हर्ष कुमार जैन को सृजनात्मक इनोवेशन के लिए मनोध्यान श्रीपाद वैद्य को भी इसी विधा में सम्मानित किया जाएगा । भोपाल के पारस  अग्रवाल सृजनात्मक लेखन तथा सागर की विधि अहिरवार को सृजनात्मक कला के लिए बालश्री सम्मान से सम्मानित किया जावेगा। 
  बालश्री वर्ष 2015 के लिए जबलपुर से सम्मानित कुमारी श्रेया खंडेलवाल संवाद एवं अभिनय तथा मास्टर अभय सौंधिया को भी वर्ष 2019 में आयोजित अलंकरण समारोह में  बालश्री अलंकरण दिए जाएंगे ।  मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र नई दिल्ली उत्तर प्रदेश तथा दक्षिण भारत के प्रदेशों तमिल नाडु केरल आदि के  बच्चे इन स्पर्धाओं में शामिल होते हैं । 
      बालश्री अलंकरण में बच्चों को एक ट्रॉफी 15000  के किसान विकास पत्र तथा प्रशस्ति पत्र भी दिया जाता है ।  वर्ष 2014 में जबलपुर से शुभम राज अहिरवार को यह सम्मान प्राप्त हुआ था । 

आइए मिलते हैं भोपाल की प्रतिभाशाली तान्या शर्मा से जो नेत्र दिव्यांग है :--
      भोपाल की कु. तान्या ( सुपुत्री - श्रीमती अर्चना सुनील  शर्मा ) विलक्षण प्रतिभा की धनी है ।उसमे इस वर्ष रिनेसा डिवाइन पब्लिक स्कूल भोपाल से 8th की परीक्षा में  94 % अंक प्राप्त किये है ।  उल्लेखनीय है कि तान्या की आँखों में समस्या होने से वह सामान्य रौशनी में न तो पढ़ सकती है न ही बिना सहारे के चल सकती है ।उसे पढ़ाई के वक्त और अधिक रौशनी देना होती है और परीक्षा में भी यही व्यवस्था करना पड़ती है । इतनी असहजता के बावजूद वह प्रतिभावान है । साथ ही वह गायन व वादन में भी असाधारण प्रतिभा की धनी है ।वह प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से गायन में भी सन् 2014 -15 में  प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुई है ।उसने कलकत्ता की हिन्दुस्तानी आर्ट एन्ड म्यूजिक सोसायटी से हारमोनियम में सन् 2015 -16 में सीनियर डिप्लोमा भी प्रथम श्रेणी में प्राप्त किया , चंडीगढ़ के प्राचीन कला केन्द्र से सन् 2014 -15 से भाव संगीत में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है ।विगत दिनों भोपाल में आयोजित गूँज -2 के आयोजन में भी तान्या ने अपनी प्रस्तुति दी थी । सन् 2015 में स्कूल में वाद - विवाद प्रतियोगिता में भी प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है । प्रतिभाशाली  तान्या की इस उपलब्धि पर हमे गर्व है ,हम तान्या बिटिया को जल्द ही आँखों की रौशनी अच्छी मिले यही ईश्वर से प्रार्थना करते है और उसकी  उज्ज्वल भविष्य की कामना करते है ।


6.3.19

हम और घाट शुद्धिकरण के संकल्प

तेरे तरल प्रवाह फलक तट
वांग्मयी बातों का दौर ।।
एक सुदामा ज्ञान अकिंचन-
खोज रहा गुरु या कुछ और ।।
   मित्रो आप भली प्रकार भिज्ञ हैं एक समय शरीर को भूख कम ही लगती है ऊर्जावान रहें उतना ही आहार ज़ायज़ होता है ।
       परन्तु मानसिक रूप से भूख में अचानक इज़ाफ़ा देख खुद हतप्रभ हूँ । दुनियां भर के झंझावात के अवलोकन के बाद एक विस्तृत भीड़ में अकेला महसूस कर रहा हूँ । सोचा करता हूँ अब अकेला क्यों हूँ.... ? उम्र के साथ ऐसे ही बदलाव आते हैं.... खुद के बारे में सोचना भी लगभग बंद सा हो गया ।
                रेवा के एक घाट पर आना जाना होता है ।  कल भी था सपत्नीक तिलवाराघाट गया था । अचेता और अनिच्छा से निकला पर प्रवास पर  बाद में यही प्रवास  इच्छानुकूलित प्रवास हो गया ।
    मन में केवल माँ के बारे में सोच रहा था । अक्सर ऐसा ही होता है । ग्वारीघाट और तिलवाराघाट जाकर माँ बहुत याद आतीं हैं ।  जिनकी भस्मी इसी रेवा में प्रवाहित हुई थी । तो माँ रेवा में माँ का आभास हुआ । फिर लगा वाकई रिक्तता केवल मां ही भरती है । माँ कभी दिवंगत नहीं होती है । लगा रेवा से संवाद करूँ.... पर भिक्षुकों ने आ घेरा खीसे में जो भी फुटकर  था बांट दिया फिर बाक़ी भिक्षुको को साफ तौर पर इंकार कर दिया श्रीमती जी ने तब तक रेवा में दुग्धाभिषेक  कर दिया ।
     इस बीच  देखा शिव की प्रतिमा पर लादे गए विल्व धतूरे गेहूं की बालियां, बेर , देख मन खुश हुआ दुःख भी साथ साथ होने लगा । कुछ बच्चे तीन जिनमें मल्लाह, बर्मन, सरनेम वाले दो और एक शर्मा कुल का था । सभी छटी क्लास के थे पास के स्कूल के थे । एक बच्चा केवल कच्छे में था तो  शेष सभी ने पतला शर्ट नेकर डाल रखी थी बारी बारी से शिव लिंग पर पड़ी सामग्री में से सिक्के तलाश रहे थे । बेहिचक संवादी हो गया उनके साथ । प्यार किया उनको और कहा - "डस्टबिन" में कचरा डाल दो शिव पर वैसे भी इस दुनिया ने बेहद बोझ डाल दिया है । बच्चे मेरी बात का आधा हिस्सा समझ पाए और काम में जुट गए शर्मा ने बाल्टी उठाई रेवा जल लाकर बेतरतीबी से प्रभु के इर्द गिर्द को धो दिया । बाक़ी सउत्साह चढ़ावा उठा कर डस्टबिन में डाल  रहे थे । उधर Sulabha यानी श्रीमती जी  बेतहाशा फोटोग्राफी में मशगूल हो गईं ।
      बेटी Shraddha असहजता से हमको देख रही थी ।
      मेरा मन अत्यधिक मस्तिष्क सक्रिय हो गया घाट की सफ़ाई के बारे में  । यूं तो घाट अब अपेक्षाकृत साफ हैं पर भक्त के तौर पर मेरी भी ज़िम्मेदारी है ।
          मन ने सोचा था कि शिवमहिम्न स्त्रोत का पाठ करूँ पर बुद्धि ने कहा आज तुम जितना भी हो सकता है तट को साफ कराओ । बस 6 गुणा 14 फ़ीट  का हिस्सा साफ करा लिया । शिव की आसंदी साफ हो चुकी थी । असर ये भी हुआ कि लोग पालीथीन की थैलियों को साथ वापस ले जा रहे थे । कचरा डस्टबिन में डाल कर माँ को प्रणाम कर वापस हो रहे थे ।
    स्वच्छता सिर्फ मोदी का मिशन नहीं हम सबका है । संस्कार फ़ोटो खिंचवा कर अख़बार में छपवा कर नहीं विस्तारित होते हैं उनके विस्तार के लिए यह सब कुछ करना होता है ।
 .        एक संकल्प लिया है #शुद्धि का जो मित्र तिलवाराघाट स्वच्छता अभियान में जुड़ना चाहते हैं कृपया कमेंट बॉक्स में सहमति दीजिये । हम केवल मंगलवार को एक दिन चलेंगे आप तैयार हैं तो एक सवाल ज़रूर करें कि- "क्या करना है"
मित्रो चलें तो वहां फिर क्या करेंगे और कैसे क्या करना है हम आप वहीं तय कर सकते हैं है न ...?

3.3.19

अभिनंदन बनाम जिनेवा संधि : गिरीश बिल्लोरे मुकुल



भयातुर इमरान खान 
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का संसद के संबोधन किसी भी एक भयभीत व्यक्ति की अभिव्यक्ति है । वे जो संसद को बता रहें हैं तथा संसद के ज़रिए जो विश्व के सामने कहा जा रहा है... ठीक उससे उलट कार्यक्रम पाकिस्तान की सेना के पास होगा । 
पाकिस्तान की संसद में 28 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की स्थिति देखकर   भारतीय कूटनीतिक विजय का विषाद उनके चेहरे पर साफ़ नजर आ रहा था   । इससे इस बात की भी तस्दीक हो जाती है कि अब वास्तव में विश्व समुदाय ने भारतीय कूटनीतिक की कोशिश पर समवेत स्वर में सहमति जताई है । पाकिस्तान ने हमेशा भारत के साथ धोखा ही किया है उसके दिमाग़ में भारत एक दबाव में आने वाला मुल्क था । किन्तु भारत अब बदल चुका है. यह बदलाव भारतीय जनता का आत्मजागरण का सूचक है. ठीक इजराइल की तरह . भारतीय कश्मीरी समस्या के बारे में सभी जानते हैं कि पाकिस्तान के टेरेरिस्ट संगठनों के ज़रिए पाकिस्तान ने सबसे पहले 1990 के पूर्व वहां से निर्वासित करने का संकल्प किया और फिर उनके साथ बर्रबरता की गई । उनका मानना  था कि गैर मुस्लिमों को हटाने के बाद ही कश्मीर की मुस्लिम आबादी को मिसगाइड किया जाना आसान होगा । 1990 के बाद भारतीय मीडिया और भारत के लोगों ने जिस तरह से मीडिया प्रोपेगैंडा  कर कश्मीरी पंडितों के साथ खड़े होकर आवाज़ बुलंद करनी चाहिए थी नहीं की । कश्मीर के पंडितों का विस्थापन एक खबर बन गया पर उसके बाद भारतीय सेना की कार्रवाई को पेलेट गन के प्रयोग से लेकर कई बिंदुओं को लेकर इतनी मीडिया हाइप दी गईं कि विश्व समुदाय तक समझने लगा कि कश्मीर की खास आबादी के मानवाधिकारों का भारत में हनन हो रहा है । इसके दाग तत्कालीन व्यवस्था के चेहरों पर भी आज तक अमिट हैं । 
पाकिस्तान की ओर से सदा भारत के लिए दो प्रकार के आक्रमण होते चले आए हैं । एक तो वहां के अधिकांश लोग अंतराष्ट्रीय फोरम पर कश्मीर मुद्दे पर बात करते हैं परंतु अपने लोगों में सांप्रदायिक सौहार्द से दूरी बनाने के लिए प्रयास रत होते हैं और धर्म के नाम पर उकसाते हैं । आप हिंदुस्तान के मुसलमानों को भड़काने की कोशिशें जारी रखते हैं । लेकिन इस देश के मुस्लिम किसी भी स्थिति में उनके उकसावे में नहीं आते । कुछेक अपवाद को छोड़ दें तो औसत भारतीय मुसलमान से लेकर राजनीतिक मुस्लिम नेता भी सामान्य रूप से हिंदुओं के प्रति किसी भी प्रकार का नकारात्मक भाव नहीं रखते हैं । ओवैसी जी के बयानों को देखें तो पाकिस्तान की आम जनता, आर्मी और आर्मी आधारित डेमोक्रेटिक सिस्टम के साथ साथ वहां पालिटिशियन्स एवं पत्रकारों  को साफ़ साफ़ समझ लेना चाहिए
 पाकिस्तान को इस बात का भ्रम नहीं होना चाहिए और ना ही किसी को मिस गाइड करना चाहिए कि भारत में मुसलमान कष्ट में है । मुस्लिम, सिख, इसाई,  हिंदू सभी सामान रूप से सुखी - दुखी हैं परिस्थियों को  किसी भी प्रकार से जाति धर्म के आधार पर वर्गीकृत नहीं किया गया है । लेकिन पाकिस्तानी आतंक के स्कूलों में यह सबसे पहले दिखाया जाता है कि  भारत में केवल मुस्लिम को परेशान किया जाता है इतना ही नहीं विश्व के संपूर्ण गैर इस्लामिक लोगों को क्षतिग्रस्त करने के लिए इस्लामिक चरमपंथी इसी तरह से उत्तेजित करते हैं ।
 हाल ही में एक चैनल पर एक डिबेट में एक भारतीय मुस्लिम को यह सुनकर आत्मिक दुख हुआ कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान का षड्यंत्र बदस्तूर जारी है और उस दर्द को भारतीय मुस्लिम वक्ता ने खुलकर नकारा और नसीहत दी पाकिस्तान को । 
पाकिस्तानी आवाम में वहां की मिलिट्री और प्रोमिलिट्री डेमोक्रेसी ने को इतनी शक्ति संपन्न होने का भ्रम फैलाया है वह भारत सहित विश्व की किसी भी महाशक्ति को पाकिस्तान समाप्त कर सकता है । आकार पापुलेशन के अतिरिक्त विचारधाराओं में सर्वाधिक खंड खंड पाकिस्तान में आपसी एकता नहीं है इसकी पुष्टि आप कर सकते हैं । इसके अलावा पाकिस्तान ने यह भी  प्रोपेगेंडा फैला रखा है कि सारे इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान को भूखा नहीं मरने देंगे साथ वे किसी भी हालत में पाकिस्तान को हारने भी ना देंगे ।  लेकिन  1 मार्च 2019 को ओआईसी सम्मिट में भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान को भागने के लिए मजबूर कर दिया । ओआईसी समूह ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि टेररिज्म किसी भी सूरत में सम्मान नहीं दिला सकता । कुछ बुद्धिजीवी भी इस मुद्दे को लेकर काफी भ्रमित रहे उनका यह मानना था कि भारत किसी भी स्थिति में पाकिस्तान पर अगर वार करता है तो संभवत विश्व के मुस्लिम राष्ट्र और चीन भारत के विरोधी ही नजर आएंगे ... परन्तु ऐसा कदापि नहीं हैं. विश्व में भी बदलाव हुआ है. ग्लोबल विलेज का स्वरुप ले चुका विश्व अब मानवता-वादी दृष्टिकोण की ओर अग्रसारित हो रहा है.  भारत  सहित कई विकासशील देश एक नये बदलाव के साथ प्रगति पथ पर दौड़ रहे हैं. बावजूद इसके कि वे शिक्षा,स्वास्थ्य एवं जीवन समंकों के उतार चढ़ाव से परेशान हैं.परन्तु फिर भी विकासशील देशों के युवा  खुद के और अपने देश के विकास के लिए सतत कोशिश करते हैं. खासकर दक्षिण एशियाई देशों के युवा इस दौर के सबसे बेहतरीन मानव-संसाधन साबित हो रहा है विश्व के लिए. परन्तु एक पाकिस्तान को छोड़ सभी दक्षेश युवाओं ने धाक जमाई है विश्व में.  एक ओर दक्षेस देशों के लोग आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं वहीं पाकिस्तान अपने युवाओं को टेरेरिस्ट बना कर बलूचिस्तान, अफगान , भारत में झौंक रहा है.

            “क्या अभी भी धर्म के विस्तार लिए युद्ध होते हैं ?”  
        इराक ईरान युद्ध से लेकर आज तक विश्व में जितने कन्वैन्सनल  युद्ध या छद्म युद्ध हो रहे हैं उन सब में युद्धों पर गौर करें तो हम पाएंगे की धर्म आधारित यदि नहीं है बल्कि उनके युद्ध आपसी सहमति असहमति अथवा युद्ध के कारण ही हुए  है । युद्धों के व्यावसायिक कारण भी हैं. व्यावसायिक कारण से युद्ध समाप्त भी हुए हैं. ऐसा लगता है कि अब चीन को भी समझ में आ चुका है कि युद्ध से उसके विकास की गति कम होगी. परन्तु इसका अर्थ यह न लगाया जावे कि पंचशील का हत्यारा चीन पूरी तरह बदल गया होगा.. अधिक यकीन न किया जावे . फिर भी भारत द्वारा की गई  एयर स्ट्राइक के बाद उत्पन्न परिस्थितियों में चीन का खुले तौर पर सामने ना आना भी एक बेहतरीन संदेश है पाकिस्तान के लिए । आज अगर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना यह कहें कि वे भारत को अपनी क्षमता दिखा सकते हैं और दिखाई भी है तो भ्रम में हैं अधिकांश देश पाकिस्तान के साथ नहीं थे और अगर युद्ध होता है तो रहेंगे भी नहीं क्योंकि सभी को अपने अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को अपनी आवाम को सुरक्षित और संरक्षित रखने की जिम्मेदारी का पूरा पूरा एहसास है । 
      अपनी संसद में और एयर स्ट्राइक के बाद आने वाली इमरान खान की टिप्पणी से लगता है कि वे वास्तव में पाक सी आई ए एवं मिलिट्री के दबाव में गीदड़-भभकी दे रहे थे । मित्रों एक बात स्पष्ट है के इमरान खान एकदम क्रिकेट से इतने महत्वपूर्ण सार्वजनिक पद पर आए हैं उनको आर्मी ने जम्हूरियत में फिट किया और अपनी गाइड लाइन पर चलने को मज़बूर किया .  इनसे ज्यादा कमजोर प्रधानमंत्री पाकिस्तान में कभी भी नहीं हुआ है जिसमें  युद्ध की लिप्सा भी  है .
       जबकि एक गरीब देश को अपने देश में भुखमरी कुपोषण अराजकता पर ध्यान देना चाहिए था अगर वे परिपक्व होते तो निश्चित तौर पर भारत को अपने पड़ोसी देश के नाते आतंक के अंत के लिए भारत के सहयोग करने और सहयोग की अपेक्षा करने के प्रयास अवश्य करते . 
      एयर स्ट्राइक के दूसरे दिन भारत में अपना एक वीर सपूत जिसे निरंतर सोशल मीडिया और ट्रेडिशनल मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वायु वीर तक का दर्जा दे रहा है को गिरफ्त में ले लिया था पाकिस्तान ने.... उनकी रिहाई की रिहाई करना जिनेवा संधि के अनुरूप करना अनिवार्य था । और इस बात को शांति के प्रयास का दर्जा देने वाला पाकिस्तान बॉर्डर पर निरंतर सक्रिय है । उन पर झूठा आरोप नहीं है सत्य है कि वे अपनी सेना के अनुबंधित आतंकियों के सहारे युद्ध करते रहेंगे ।
इस बीच आपको मैं एक बात बताना चाहूंगा कि पाकिस्तान की एक विद्वान ने कहा कि- हमने अभिनंदन वर्धमान को जिनेवा संधि के अनुरूप वापस नहीं किया है बल्कि हम यह बताना चाहते हैं कि विश्व समुदाय यह जान ले कि जिनेवा सन्धि युध्द के निर्देशों के पालन के  लिए किया  है ।
                                                 पाकिस्तान प्रॉक्सी वार क्यों करता है ?
                           यह प्रश्न कीजिए तो आपको उत्तर मिलेगा कि वह हमेशा यह साबित करने की कोशिश में लगा यह कहा होता है की वह कश्मीर के लोगों की कथित आजादी के लिए समर्थन देता है लेकिन ऐसा नहीं है पाकिस्तान समर्थन नहीं शस्त्र देता है लड़ाके देता है घुसपैठ कर आता है और यह है पाकिस्तान की आर्मी की स्ट्रैटेजी है जो विश्व जान चुका है । पाकिस्तान युद्ध भी करता है और युद्ध ना करने की स्थिति को भी एक्सप्लेन करने की कोशिश करता रहा है  यानी आदतन झूठ बोलता है. प्राक्सी-वार का उद्देश्य केवल भारत की छवि को गिराने से अधिक कुछ भी नहीं .
                                           “कश्मीरी मुस्लिम युवाओं के दिमाग में क्या भरा जाता है..?
                         पाकिस्तान का टेरेरिज्म के विस्तार का संकल्प लेकर जैश कश्मीरी मुस्लिम युवाओं के दिमाग में ज़न्नत और मुस्लिमों के खिलाफ टार्चर की झूटी कहानी सुना-सुना  कर ब्रेन-वाश कराया जा रहा है.
  
                        ग्वादर प्रोजेक्ट चीन के लिए बेहद जरूरी है चीन की ग्रोथ का कम होना बीजिंग के लिए चिंता का विषय है ।  चीन की यह कोशिश रहती है कि येन केन प्रकारेण उसके प्रोजेक्ट कमजोर ना पड़े । पर इस बार चीन ने अपने आप को दूर रखने की कोशिश की है जो चीन की गिरती हुई विकास दर और भारत के विशाल बाजार के संदर्भ में मजबूरी भी कही जा सकती है । यकीन मानिए कि अगर आप चीनी सामान का बहिष्कार कर दे तो सबसे नजदीकी बाजार का लाभ चीन की अर्थव्यवस्था को नहीं मिलेगा चीन मध्यवर्ग और निम्न मध्यवर्ग के लिए सामान्य दर्जे के डेली यूज़ आइटम की आपूर्ति करता है जबकि भारत में निर्माण लागत चीन की अपेक्षाकृत अधिक है और भारत के लोग चाइनीस खिलौने तथा अन्य डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद खरीदते हैं । चीन यह जान चुका है कि पाकिस्तान के नागरिकों की क्रय शक्ति कमजोर है और भारत के रूप में सबसे पास एक मजबूत बाजार उसे हासिल है । इसी कारण से फरवरी में पाकिस्तान को अनुशासन बरतने की सलाह देते हुए चीन ने भारत से भी संयम बरतने का अनुरोध किया है । 
                                         क्या साबित करना चाहता है आतंकिस्तान...?
                       आतंकिस्तान यह साबित करना चाहता है कि वह बेहद इनोसेंट देश है जबकि साबित यह हो रहा है कि पाकिस्तान से बड़ा आतंक समर्थक एवं प्रोत्साहन देश विश्व में अब कोई दूसरा नहीं । 
                पाकिस्तान के लोग मोरारजी देसाई जी की बड़ी तारीफ करते नजर आते हैं वास्तव में आप सबको याद होगा कि क्वेटा में जब हमारे रॉ एजेंटों ने भारत सरकार को यह बता दिया था कि पाकिस्तान में न्यूक्लियर पावर हासिल करने के लिए सारे संसाधन जुटाए जा चुके हैं तथा उसे एक्सपोज करने के लिए पूरा ब्लू प्रिंट लेकर आना है जिस पर $10000 की जरूरत है तब हमारे अत्यधिक भोले भाले प्रधानमंत्री महोदय ने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से चर्चा के दौरान इस बात को संसूचित कर दिया कि हमें मालूम है कि आप एटम बम बनाने की कोशिश कर रहे हैं । यही भारतीय भोलापन भारत के लिए नुकसानदेह साबित हो गया ।  इस बात से पाकिस्तान का एटमिक अभियान विलंब से प्रारंभ हुआ पर आज पाकिस्तान के पास भारत की सापेक्ष अधिक परमाणु बम है ।            


                                  देसाई साहब की क्या मजबूरी थी कि उन्होंने ऐसा कुछ किया यह समझ में नहीं आता किंतु यह जरूर समझ में आता है कि भारत के जांबाज रॉ एजेंट ने जो भी कुछ सूचनाएं एकत्र की होगी वह अपनी जान पर खेल कर की थी और इस घटना के बाद रॉ के एजेंट्स की गिरफ्तारियां तेजी से पाकिस्तान में हुई थी इसके प्रमाण मौजूद है । 
परन्तु अब भारत ऐसा नहीं है. 71 में भी भारत ऐसा न था वरना पूर्वी पाकिस्तान का रूपान्तारण आमार-सोनार बंगला देश के रूप में  न होता. अब तो स्थिति यह है  कि अभिनंदन को वापस भेजने के लिए सउदी अरबी , सहित विश्व समुदाय ने भी दबाव बना दिया. और हमारे वीर की वापसी संभव हो सकी .  
चलिए देखते हैं इस वीडियो में क्या है... जिहादी सांसद को क्या कह रहा है  


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