भयातुर इमरान खान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का संसद के संबोधन किसी भी एक भयभीत व्यक्ति की अभिव्यक्ति है । वे जो संसद को बता रहें हैं तथा संसद के ज़रिए जो विश्व के सामने कहा जा रहा है... ठीक उससे उलट कार्यक्रम पाकिस्तान की सेना के पास होगा ।
पाकिस्तान की संसद में 28 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की स्थिति देखकर भारतीय कूटनीतिक विजय का विषाद उनके चेहरे पर साफ़ नजर आ रहा था । इससे इस बात की भी तस्दीक हो जाती है कि अब वास्तव में विश्व समुदाय ने भारतीय कूटनीतिक की कोशिश पर समवेत स्वर में सहमति जताई है । पाकिस्तान ने हमेशा भारत के साथ धोखा ही किया है उसके दिमाग़ में भारत एक दबाव में आने वाला मुल्क था । किन्तु भारत अब बदल चुका है. यह बदलाव भारतीय जनता का आत्मजागरण का सूचक है. ठीक इजराइल की तरह . भारतीय कश्मीरी समस्या के बारे में सभी जानते हैं कि पाकिस्तान के टेरेरिस्ट संगठनों के ज़रिए पाकिस्तान ने सबसे पहले 1990 के पूर्व वहां से निर्वासित करने का संकल्प किया और फिर उनके साथ बर्रबरता की गई । उनका मानना था कि गैर मुस्लिमों को हटाने के बाद ही कश्मीर की मुस्लिम आबादी को मिसगाइड किया जाना आसान होगा । 1990 के बाद भारतीय मीडिया और भारत के लोगों ने जिस तरह से मीडिया प्रोपेगैंडा कर कश्मीरी पंडितों के साथ खड़े होकर आवाज़ बुलंद करनी चाहिए थी नहीं की । कश्मीर के पंडितों का विस्थापन एक खबर बन गया पर उसके बाद भारतीय सेना की कार्रवाई को पेलेट गन के प्रयोग से लेकर कई बिंदुओं को लेकर इतनी मीडिया हाइप दी गईं कि विश्व समुदाय तक समझने लगा कि कश्मीर की खास आबादी के मानवाधिकारों का भारत में हनन हो रहा है । इसके दाग तत्कालीन व्यवस्था के चेहरों पर भी आज तक अमिट हैं ।
पाकिस्तान की ओर से सदा भारत के लिए दो प्रकार के आक्रमण होते चले आए हैं । एक तो वहां के अधिकांश लोग अंतराष्ट्रीय फोरम पर कश्मीर मुद्दे पर बात करते हैं परंतु अपने लोगों में सांप्रदायिक सौहार्द से दूरी बनाने के लिए प्रयास रत होते हैं और धर्म के नाम पर उकसाते हैं । आप हिंदुस्तान के मुसलमानों को भड़काने की कोशिशें जारी रखते हैं । लेकिन इस देश के मुस्लिम किसी भी स्थिति में उनके उकसावे में नहीं आते । कुछेक अपवाद को छोड़ दें तो औसत भारतीय मुसलमान से लेकर राजनीतिक मुस्लिम नेता भी सामान्य रूप से हिंदुओं के प्रति किसी भी प्रकार का नकारात्मक भाव नहीं रखते हैं । ओवैसी जी के बयानों को देखें तो पाकिस्तान की आम जनता, आर्मी और आर्मी आधारित डेमोक्रेटिक सिस्टम के साथ साथ वहां पालिटिशियन्स एवं पत्रकारों को साफ़ साफ़ समझ लेना चाहिए
पाकिस्तान को इस बात का भ्रम नहीं होना चाहिए और ना ही किसी को मिस गाइड करना चाहिए कि भारत में मुसलमान कष्ट में है । मुस्लिम, सिख, इसाई, हिंदू सभी सामान रूप से सुखी - दुखी हैं परिस्थियों को किसी भी प्रकार से जाति धर्म के आधार पर वर्गीकृत नहीं किया गया है । लेकिन पाकिस्तानी आतंक के स्कूलों में यह सबसे पहले दिखाया जाता है कि भारत में केवल मुस्लिम को परेशान किया जाता है इतना ही नहीं विश्व के संपूर्ण गैर इस्लामिक लोगों को क्षतिग्रस्त करने के लिए इस्लामिक चरमपंथी इसी तरह से उत्तेजित करते हैं ।
हाल ही में एक चैनल पर एक डिबेट में एक भारतीय मुस्लिम को यह सुनकर आत्मिक दुख हुआ कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान का षड्यंत्र बदस्तूर जारी है और उस दर्द को भारतीय मुस्लिम वक्ता ने खुलकर नकारा और नसीहत दी पाकिस्तान को ।
पाकिस्तानी आवाम में वहां की मिलिट्री और प्रोमिलिट्री डेमोक्रेसी ने को इतनी शक्ति संपन्न होने का भ्रम फैलाया है वह भारत सहित विश्व की किसी भी महाशक्ति को पाकिस्तान समाप्त कर सकता है । आकार पापुलेशन के अतिरिक्त विचारधाराओं में सर्वाधिक खंड खंड पाकिस्तान में आपसी एकता नहीं है इसकी पुष्टि आप कर सकते हैं । इसके अलावा पाकिस्तान ने यह भी प्रोपेगेंडा फैला रखा है कि सारे इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान को भूखा नहीं मरने देंगे साथ वे किसी भी हालत में पाकिस्तान को हारने भी ना देंगे । लेकिन 1 मार्च 2019 को ओआईसी सम्मिट में भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान को भागने के लिए मजबूर कर दिया । ओआईसी समूह ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि टेररिज्म किसी भी सूरत में सम्मान नहीं दिला सकता । कुछ बुद्धिजीवी भी इस मुद्दे को लेकर काफी भ्रमित रहे उनका यह मानना था कि भारत किसी भी स्थिति में पाकिस्तान पर अगर वार करता है तो संभवत विश्व के मुस्लिम राष्ट्र और चीन भारत के विरोधी ही नजर आएंगे ... परन्तु ऐसा कदापि नहीं हैं. विश्व में भी बदलाव हुआ है. ग्लोबल विलेज का स्वरुप ले चुका विश्व अब मानवता-वादी दृष्टिकोण की ओर अग्रसारित हो रहा है. भारत सहित कई विकासशील देश एक नये बदलाव के साथ प्रगति पथ पर दौड़ रहे हैं. बावजूद इसके कि वे शिक्षा,स्वास्थ्य एवं जीवन समंकों के उतार चढ़ाव से परेशान हैं.परन्तु फिर भी विकासशील देशों के युवा खुद के और अपने देश के विकास के लिए सतत कोशिश करते हैं. खासकर दक्षिण एशियाई देशों के युवा इस दौर के सबसे बेहतरीन मानव-संसाधन साबित हो रहा है विश्व के लिए. परन्तु एक पाकिस्तान को छोड़ सभी दक्षेश युवाओं ने धाक जमाई है विश्व में. एक ओर दक्षेस देशों के लोग आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं वहीं पाकिस्तान अपने युवाओं को टेरेरिस्ट बना कर बलूचिस्तान, अफगान , भारत में झौंक रहा है.
“क्या अभी भी धर्म के विस्तार लिए युद्ध होते हैं ?”
इराक ईरान युद्ध से लेकर आज तक विश्व में जितने कन्वैन्सनल युद्ध या छद्म युद्ध हो रहे हैं उन सब में युद्धों पर गौर करें तो हम पाएंगे की धर्म आधारित यदि नहीं है बल्कि उनके युद्ध आपसी सहमति असहमति अथवा युद्ध के कारण ही हुए है । युद्धों के व्यावसायिक कारण भी हैं. व्यावसायिक कारण से युद्ध समाप्त भी हुए हैं. ऐसा लगता है कि अब चीन को भी समझ में आ चुका है कि युद्ध से उसके विकास की गति कम होगी. परन्तु इसका अर्थ यह न लगाया जावे कि पंचशील का हत्यारा चीन पूरी तरह बदल गया होगा.. अधिक यकीन न किया जावे . फिर भी भारत द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के बाद उत्पन्न परिस्थितियों में चीन का खुले तौर पर सामने ना आना भी एक बेहतरीन संदेश है पाकिस्तान के लिए । आज अगर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना यह कहें कि वे भारत को अपनी क्षमता दिखा सकते हैं और दिखाई भी है तो भ्रम में हैं अधिकांश देश पाकिस्तान के साथ नहीं थे और अगर युद्ध होता है तो रहेंगे भी नहीं क्योंकि सभी को अपने अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को अपनी आवाम को सुरक्षित और संरक्षित रखने की जिम्मेदारी का पूरा पूरा एहसास है ।
अपनी संसद में और एयर स्ट्राइक के बाद आने वाली इमरान खान की टिप्पणी से लगता है कि वे वास्तव में पाक सी आई ए एवं मिलिट्री के दबाव में गीदड़-भभकी दे रहे थे । मित्रों एक बात स्पष्ट है के इमरान खान एकदम क्रिकेट से इतने महत्वपूर्ण सार्वजनिक पद पर आए हैं उनको आर्मी ने जम्हूरियत में फिट किया और अपनी गाइड लाइन पर चलने को मज़बूर किया . इनसे ज्यादा कमजोर प्रधानमंत्री पाकिस्तान में कभी भी नहीं हुआ है जिसमें युद्ध की लिप्सा भी है .
जबकि एक गरीब देश को अपने देश में भुखमरी कुपोषण अराजकता पर ध्यान देना चाहिए था अगर वे परिपक्व होते तो निश्चित तौर पर भारत को अपने पड़ोसी देश के नाते आतंक के अंत के लिए भारत के सहयोग करने और सहयोग की अपेक्षा करने के प्रयास अवश्य करते .
एयर स्ट्राइक के दूसरे दिन भारत में अपना एक वीर सपूत जिसे निरंतर सोशल मीडिया और ट्रेडिशनल मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वायु वीर तक का दर्जा दे रहा है को गिरफ्त में ले लिया था पाकिस्तान ने.... उनकी रिहाई की रिहाई करना जिनेवा संधि के अनुरूप करना अनिवार्य था । और इस बात को शांति के प्रयास का दर्जा देने वाला पाकिस्तान बॉर्डर पर निरंतर सक्रिय है । उन पर झूठा आरोप नहीं है सत्य है कि वे अपनी सेना के अनुबंधित आतंकियों के सहारे युद्ध करते रहेंगे ।
इस बीच आपको मैं एक बात बताना चाहूंगा कि पाकिस्तान की एक विद्वान ने कहा कि- हमने अभिनंदन वर्धमान को जिनेवा संधि के अनुरूप वापस नहीं किया है बल्कि हम यह बताना चाहते हैं कि विश्व समुदाय यह जान ले कि जिनेवा सन्धि युध्द के निर्देशों के पालन के लिए किया है ।
पाकिस्तान प्रॉक्सी वार क्यों करता है ?
यह प्रश्न कीजिए तो आपको उत्तर मिलेगा कि वह हमेशा यह साबित करने की कोशिश में लगा यह कहा होता है की वह कश्मीर के लोगों की कथित आजादी के लिए समर्थन देता है लेकिन ऐसा नहीं है पाकिस्तान समर्थन नहीं शस्त्र देता है लड़ाके देता है घुसपैठ कर आता है और यह है पाकिस्तान की आर्मी की स्ट्रैटेजी है जो विश्व जान चुका है । पाकिस्तान युद्ध भी करता है और युद्ध ना करने की स्थिति को भी एक्सप्लेन करने की कोशिश करता रहा है यानी आदतन झूठ बोलता है. प्राक्सी-वार का उद्देश्य केवल भारत की छवि को गिराने से अधिक कुछ भी नहीं .
पाकिस्तान प्रॉक्सी वार क्यों करता है ?
यह प्रश्न कीजिए तो आपको उत्तर मिलेगा कि वह हमेशा यह साबित करने की कोशिश में लगा यह कहा होता है की वह कश्मीर के लोगों की कथित आजादी के लिए समर्थन देता है लेकिन ऐसा नहीं है पाकिस्तान समर्थन नहीं शस्त्र देता है लड़ाके देता है घुसपैठ कर आता है और यह है पाकिस्तान की आर्मी की स्ट्रैटेजी है जो विश्व जान चुका है । पाकिस्तान युद्ध भी करता है और युद्ध ना करने की स्थिति को भी एक्सप्लेन करने की कोशिश करता रहा है यानी आदतन झूठ बोलता है. प्राक्सी-वार का उद्देश्य केवल भारत की छवि को गिराने से अधिक कुछ भी नहीं .
“कश्मीरी मुस्लिम युवाओं के दिमाग में क्या भरा जाता है..?
पाकिस्तान का टेरेरिज्म के विस्तार का संकल्प लेकर जैश कश्मीरी मुस्लिम युवाओं के दिमाग में ज़न्नत और मुस्लिमों के खिलाफ टार्चर की झूटी कहानी सुना-सुना कर ब्रेन-वाश कराया जा रहा है.
ग्वादर प्रोजेक्ट चीन के लिए बेहद जरूरी है चीन की ग्रोथ का कम होना बीजिंग के लिए चिंता का विषय है । चीन की यह कोशिश रहती है कि येन केन प्रकारेण उसके प्रोजेक्ट कमजोर ना पड़े । पर इस बार चीन ने अपने आप को दूर रखने की कोशिश की है जो चीन की गिरती हुई विकास दर और भारत के विशाल बाजार के संदर्भ में मजबूरी भी कही जा सकती है । यकीन मानिए कि अगर आप चीनी सामान का बहिष्कार कर दे तो सबसे नजदीकी बाजार का लाभ चीन की अर्थव्यवस्था को नहीं मिलेगा चीन मध्यवर्ग और निम्न मध्यवर्ग के लिए सामान्य दर्जे के डेली यूज़ आइटम की आपूर्ति करता है जबकि भारत में निर्माण लागत चीन की अपेक्षाकृत अधिक है और भारत के लोग चाइनीस खिलौने तथा अन्य डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद खरीदते हैं । चीन यह जान चुका है कि पाकिस्तान के नागरिकों की क्रय शक्ति कमजोर है और भारत के रूप में सबसे पास एक मजबूत बाजार उसे हासिल है । इसी कारण से फरवरी में पाकिस्तान को अनुशासन बरतने की सलाह देते हुए चीन ने भारत से भी संयम बरतने का अनुरोध किया है ।
क्या साबित करना चाहता है आतंकिस्तान...?
आतंकिस्तान यह साबित करना चाहता है कि वह बेहद इनोसेंट देश है जबकि साबित यह हो रहा है कि पाकिस्तान से बड़ा आतंक समर्थक एवं प्रोत्साहन देश विश्व में अब कोई दूसरा नहीं ।
पाकिस्तान के लोग मोरारजी देसाई जी की बड़ी तारीफ करते नजर आते हैं वास्तव में आप सबको याद होगा कि क्वेटा में जब हमारे रॉ एजेंटों ने भारत सरकार को यह बता दिया था कि पाकिस्तान में न्यूक्लियर पावर हासिल करने के लिए सारे संसाधन जुटाए जा चुके हैं तथा उसे एक्सपोज करने के लिए पूरा ब्लू प्रिंट लेकर आना है जिस पर $10000 की जरूरत है तब हमारे अत्यधिक भोले भाले प्रधानमंत्री महोदय ने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से चर्चा के दौरान इस बात को संसूचित कर दिया कि हमें मालूम है कि आप एटम बम बनाने की कोशिश कर रहे हैं । यही भारतीय भोलापन भारत के लिए नुकसानदेह साबित हो गया । इस बात से पाकिस्तान का एटमिक अभियान विलंब से प्रारंभ हुआ पर आज पाकिस्तान के पास भारत की सापेक्ष अधिक परमाणु बम है ।
देसाई साहब की क्या मजबूरी थी कि उन्होंने ऐसा कुछ किया यह समझ में नहीं आता किंतु यह जरूर समझ में आता है कि भारत के जांबाज रॉ एजेंट ने जो भी कुछ सूचनाएं एकत्र की होगी वह अपनी जान पर खेल कर की थी और इस घटना के बाद रॉ के एजेंट्स की गिरफ्तारियां तेजी से पाकिस्तान में हुई थी इसके प्रमाण मौजूद है ।
परन्तु अब भारत ऐसा नहीं है. 71 में भी भारत ऐसा न था वरना पूर्वी पाकिस्तान का रूपान्तारण आमार-सोनार बंगला देश के रूप में न होता. अब तो स्थिति यह है कि अभिनंदन को वापस भेजने के लिए सउदी अरबी , सहित विश्व समुदाय ने भी दबाव बना दिया. और हमारे वीर की वापसी संभव हो सकी .
चलिए देखते हैं इस वीडियो में क्या है... जिहादी सांसद को क्या कह रहा है
परन्तु अब भारत ऐसा नहीं है. 71 में भी भारत ऐसा न था वरना पूर्वी पाकिस्तान का रूपान्तारण आमार-सोनार बंगला देश के रूप में न होता. अब तो स्थिति यह है कि अभिनंदन को वापस भेजने के लिए सउदी अरबी , सहित विश्व समुदाय ने भी दबाव बना दिया. और हमारे वीर की वापसी संभव हो सकी .
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