18.12.16

धर्मेंद्र पानी की टंकी पे चढ़े थे वो सरकारी थी : बीडीओ रामगढ़


फिल्मों को नया डायमेंशन देना शोले ने किया । शोले एक बदलाव की फिल्म कही जा सकती है ।
 अब आप ही बताएं कि पानी की टंकी के सवाल पर डायरेक्टर का माथा फिर गया था कि जिस गाँव में बिजली नहीं वहां पानी की टंकी का  का होना ? असल बात कौनों को नईं मालूम जो हमको रामगढ़ वाले बीडीओ ने सुनाई बीडीओ साब रिटायर्ड हैं ।
इन दिनों वे मानसिक रूप से कन्फ्यूज़ हैं । केजरीवाल मोदी जी पप्पू भैया अम्मा बुआ आदि वाले खबरिया विचार के बीच उनने बताया - हाँ तो गिरीश बाबू उस व्हेन आई वाज़ बीडीओ एट रामगढ़ गौरन्मेंट डिसाइडेट टू प्रोवाइड टेप वाटर एट रामगढ़   और फिर टेंडर हुआ पाइप और टंकी बनाने का टंकी बन गई पाईप का टेंडर रुक गया किसी कमीशनी रीज़न से ।
रहा बिजली का मुद्दा तो तर् खिंच रहे थे ।
खामखां बेकार पड़ी टंकी पर धर्मेंद्र को चढ़वाने का आइडिया हमारे बड़े बाबू का । सिप्पी को उसने ही उकसाया था तब वो सीन जोड़ा गया बाद में उसी ने कानूनी नोटिस भेजा अतिरिक्त किराए का ।
अब बड़े बाबू ठहरे बड़े बाबू उस दौर में सिप्पी साहेब से टंकी का किराया भी वसूला गया । खजाने में जमा है कुछ हमाई जेब में  चलिए छोड़िये बेवज़ह सिप्पी साब पे टंकी को लेके बकबका रहे हो

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17.12.16

प्राण हूँ कपड़े बदलने जा रहा हूँ !!

मृत्यु से अभिसार करने जा रहा हूँ
मैं किसी से प्यार करने जा रहा हूँ
साँसों की पूंजी खजाना सब लुटा
एक नया व्यापार करने जा रहा हूँ

कौन हूँ तुम जानते हो जिसे मैं नहीं वो ,
जिसे तुम पहचानते हो .. वो भी नहीं हूँ
न गलत हो तुम , मैं भी सही हूँ ..
चीथड़े देखे हैं तुमने , पहना मैं वही हूँ
प्राण हूँ कपड़े बदलने जा रहा हूँ !!

किसे घातक प्रहारों से मरूंगा...
तुम्हारे कहने से क्या मृत्यु - वरूंगा ?
तयशुदा साँसें जब चुकने लगेंगी-
रातरानी सा मैं झरने लगूंगा ...!
लड़खड़ाया हूँ बहुत अब सम्हलने जा रहा हूँ ..!!

गिरीश बिल्लोरे मुकुल  


11.12.16

डूबे सूरज मैं उठा लेता हूँ भोर अपनी है बता देता हूँ


डूबे सूरज मैं उठा लेता हूँ भोर अपनी है बता देता हूँ
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पूस की रातपुआलों पे बिछे बारदाने
चिलम के साथ निकल आते किस्से पुराने ..
पेड के पीछे छिपे भूत से डरा था कल्लू
रोज़ स्कूल में हम सब लगे उसको चिढाने
चीख चमरौटी की सुनके गाँव डरता था
पहन चप्पल जो निकला वही तो मरता था
हमने झम्मन को चच्चा कहा तो सब हँसने लगे
पीठ पीछे हमको ताने कसने लगे ...!!
किसी को छूने से धर्म टूटता या बचता है ...!
न जाने कौन ?  भरमजाल ऐसा रचता है ?
कितने सूरज बिन ऊगे ही डूब गए ...  
दीप कितने कुछ पल में ही रीत गए
आज़कल खोज रहा हूँ डूबते सूरज
कहीं मिल जाते हैं उनको मैं उठा लेता हूँ
कभी कुरते के पाकिट में छिपा लेता हूँ !
वक्त मिलते ही उनको मैं उगा देता हूँ
भोर सूरज की  है सबको मैं बता देता हूँ !!


10.12.16

जबलपुर के खाते में 2015 के दो बालश्री एवार्ड

जबलपुर के खाते में 2015 के दो बालश्री एवार्ड
जबलपुर बालभवन की श्रेया और अभय के साथ छिंदवाडा की फातिमा खान  ने श्रेष्ठता साबित की, बालभवन की सतत गतिविधियों की वजह से मिली सफलताएं
                 श्रेया को  थियेटर एवं अभय को मूर्तिकला का राष्ट्रीय बाल श्री अवार्ड मिला राष्ट्रीय बालश्री चयन प्रक्रिया  2015 में जबलपुर बालभवन के मास्टर अभय को मूर्तिकला के लिए राष्ट्रीय सम्मान हेतु चुना गया है। जबकि बेबी श्रेया खंडेलवाल को अभिनय के लिए राष्ट्रीय बाल श्री सम्मान से अलंकृत किया जायेगा।
       
            मास्टर अभय सोधिया के पिता श्री कैलाश सौंधिया प्राईवेट संस्थान में कार्यरत है। मध्यम वर्गीय परिवार से संबंधित  अभय फाइन आर्ट कालेज के प्रथम वर्ष का विद्यार्थी है अभय  इस सम्मान को पाकर बेहद उत्साहित है उनका कहना है कि वे बालभवन में बिताये 6 वर्षें को अमूल्य दिन मानते हैं उनका कहना है कि वे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मूर्ति कला को आगे ले जावेगें अपनी सफलता का श्रेय बालभवन एवं अपनी गुरू श्रीमति रेनु पांडे को देते है .  साथ  मातापिता के सर्पोट के बिना यह उपलब्धि  संभव ही न थी  यह सम्मान वे अपनी माता शोभना सौंधिया को  समर्पित करते है ।“
                   बेबी श्रेया खंडेलवाल बालभवन की ऐसी बहुमुखी प्रतिभा  है  जो नृत्य गायन अभिनय एवं संभाषण कला में प्रवीण है । श्री विकास खंडेलवाल एवं श्रीमति अर्चना  खंडेलवाल की पुत्री श्रेया स्मालवंडर स्कूल में 8 वीं कक्षा की छात्रा है। कु. श्रेया अब तक विवेचना, रंगमंडल के नाटकों  तथा संभागीय बाल भवन के बॉबी नाटक में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी है ।
                   श्रेया अपनी मां अर्चना खंडेलवाल जी के सपनों को साकार करने की कोशिश कर रही है। स्मरण हो कि श्री मुकेश नारायण अग्रवाल द्वारा निर्देशित फिल्म हरपल है यहां धोखा में प्रत्यूषा बेनर्जी के बचपन का रोल निभा रहीं है । श्रेया आगे चलकर एक सफल अभिनेत्री एक अच्छी नागरिक बनना चाहती है।

                   छिंदवाडा  से बाल श्री के लिए चयनित मिराज फातिमा खान जबलपुर बालभवन द्वारा ही नामांकित की गयी प्रतिभागी है।  संभागीय बालभवन जबलपुर इस उपलब्धि के लिए संचालक जवाहर बालभवन भोपाल श्री मति तृप्ति त्रिपाठी एवं संयुक्त संचालक सुश्री सीमा शर्मा उपसंचालक श्रीमति मनीष लुम्बा ने प्रतिभागियों को बधाईयां दी है । संचालक बालभवन ने कहा कि यह उपलब्धि संभागीय बालभवन के सभी स्टाफ एवं समस्त अविभावकों की उपलब्धि है ।

झुककर सूरज उठा रहा हूँ .. मुझको झुकने की ताकत देना ......





कल रात  इशिता सीनियर और इशिता  जूनियर कलर्स के राइजिंग स्टार्स म्यूजिकल
कार्यक्रम के लिए चुनने की खबर जब वाट्सएप के ज़रिये फ्लेश की तो सबका स्नेह मिला
और आज यानी 09 दिसंबर 2016 शुक्रवार  को बालश्री 
2015 के रिज़ल्ट की खबर को प्रिया भल्ला ने आज के दिन को  बालभवन जबलपुर का *गुडफ्रायडे* बताया  समाचार अनुसार   *बाल अभिनेत्री  श्रेया खंडेलवाल* को   *थियेटर* के लिए तथा   *अभय सौंधिया* को मिला  *मूर्तिकला* के लिए राष्ट्रीय बालश्री एवार्ड 2015 हासिल  हुआ  
बाल अभिनेत्री  श्रेया खंडेलवाल
  
अभय सौंधिया
इस बीच शानदार नवम्बर को न भूलते हुए इन चार सितारों को न भूलूंगा जिनने
दिल्ली में प्रथम स्थान पाया शानदार समूह गीत गाकर ....
 याद हैं न मास्टर अब्दुल रहमान अंसारी, मास्टर प्रगीत शर्मा, मास्टर चन्दन सेन, एवं आदर्श अग्रवाल... जी हाँ ये ही थे दिल्ली के विजेता 





































































4.12.16

आज जो ये रविवार है .......


रविवार है
सोचता हूँ..... बहुत हौले हौले बीते
आज जो ये रविवार है .......
मुआँ ज़ल्द बीता जाने की
कसम खाके आया ...... ओह लो
उतरने भी लगा
हमसे ज़्यादा जल्दी क्यों है इस
बारह के बाद उतरने लगा
सुनो रुको न
आज मेरा अवकाश है ........
मुझे सुनने दो न गुलज़ार को ...
अभी यूट्यूब पर उनको बुलाया है
उफ्फ न मानोगे तुम
जाओ ........
चले जाओ रविवार तुम
जाओ तुमसे कुट्टी ...

2.12.16

*दो कविताएँ*.


  *तुम्हारी देह-भस्म जो काबिल नहीं होती*
अंतस में खौलता लावा
चेहरे पर मुस्कान का ढक्कन
धैर्य की सरेस से चिपका
तुम से मिलता हूँ ….!!
तब जब तुम्हारी बातों की सुई
मेरे भाव मनकों के छेदती
तब रिसने लगती है अंतस पीर
भीतर की आग पीढ़ा का ईंधन पाकर
युवा हो जाता है यकायक लावाअचानक ज़ेहन में या सच में सामने आते हो
चेहरे पर मुस्कान का ढक्कन
धैर्य की सरेस से चिपका
तुम से मिलता हूँ ….!!
मुस्कुराकर ……. अक्सर ………
मुझे ग़मगीन न देख
तुम धधकते हो अंतस से
पर तुम्हें नहीं आता
चेहरे पर मुस्कान का ढक्कन
धैर्य की सरेस से चिपकाना ….!!
तुममें मुझसे बस यही अलहदा है .
तुम आक्रामक होते हो
मैं मूर्खों की तरह टकटकी लगा
अपलक तुमको निहारता हूँ
और तुम तुम हो वही करते हो जो मैं चाहता हूँ
धधक- धधक कर खुद राख हो जाते हो
फूंक कर मैं …….. फिर उड़ा देता हूँ ………
अपने दिलो-दिमाग से तुम्हारी देह-भस्म
जो काबिल नहीं होती भस्म आरती के

*बुद्ध कब मुस्कुराओगे*
तथागत सुना है जब मुस्कुराते हो
तब कुछ न कुछ बदलता है 
*
सीरिया की बाना ने* 
बम न गिराने की अपील की है 
अब फिर मुस्कुराओ 
बताओ 
बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं 
गाना गाना चाहते हैं *इशिता* की मानिंद 
लिखना चाहतें हैं *बीनश* की तरह क्रिएटिव
अब बम न गिराओ 
हमारी किलकारियां उनके बम 
से ज़्यादा असरदार है 
वो जो धर्म हैं 
वो जो पंथ हैं 
वो जो सरकार हैं 
जी हाँ किलकारियां 
उन सबकी आवाज़ से ज़्यादा असरदार हैं 
बुद्ध अब तो मुस्कुराओ
एक शान्तिगीत गाओ 
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल”* *

Wow.....New

Is everything predestined ? Dr. Salil Samadhia

आध्यात्मिक जगत के बड़े से बड़े प्रश्नों में एक है  - क्या सब कुछ पूर्व निर्धारित है ?  (Is everything predestined ? ) यदि हां , तॊ...