मृत्यु से
अभिसार करने जा रहा हूँ
मैं किसी से
प्यार करने जा रहा हूँ
साँसों की
पूंजी खजाना सब लुटा
एक नया
व्यापार करने जा रहा हूँ
कौन हूँ तुम
जानते हो जिसे मैं नहीं वो ,
जिसे तुम
पहचानते हो .. वो भी नहीं हूँ
न गलत हो तुम ,
मैं भी सही हूँ ..
चीथड़े देखे
हैं तुमने , पहना मैं वही हूँ
प्राण हूँ कपड़े
बदलने जा रहा हूँ !!
किसे घातक
प्रहारों से मरूंगा...
तुम्हारे कहने
से क्या मृत्यु - वरूंगा ?
तयशुदा साँसें
जब चुकने लगेंगी-
रातरानी सा
मैं झरने लगूंगा ...!
लड़खड़ाया हूँ
बहुत अब सम्हलने जा रहा हूँ ..!!
गिरीश
बिल्लोरे मुकुल