सोचता हूँ..... बहुत हौले हौले बीते
आज जो ये रविवार है .......
मुआँ ज़ल्द बीता जाने की
कसम खाके आया ...... ओह लो
उतरने भी लगा
उतरने भी लगा
हमसे ज़्यादा जल्दी क्यों है इस
बारह के बाद उतरने लगा
सुनो रुको न
आज मेरा अवकाश है ........
मुझे सुनने दो न गुलज़ार को ...
अभी यूट्यूब पर उनको बुलाया है
उफ्फ न मानोगे तुम
जाओ ........
चले जाओ रविवार तुम
जाओ तुमसे कुट्टी ...