14.3.15

अपराध के दलदल में फंसा कवि : धर्मपाल यादव (आलेख बी.पी. गौतम )




                                              आम जनमानस के मध्य बाहुबलि, धनबलि और माफिया के रूप में कुख्यात राजनेता डीपी यादव उर्फ़ धर्मपाल यादव के अंदर एक रचनाकार और एक कलाकार भी रहता है। डीपी यादव की कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, साथ ही कई फिल्मों में डीपी ने अभिनय किया है एवं एक "आकांक्षा" नाम की फिल्म का निर्माण भी किया है।
जिला गाजियाबाद में नोएडा सेक्टर- 18 के पास स्थित गाँव शरफाबाद के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे डीपी यादव शुरुआत में दूध बेचने का कार्य करते थे। बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्रीधारी डीपी यादव राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं। एमएमएच डिग्री कॉलेज- गाजियाबाद में छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं।
अपराध जगत में नाम चमकाने के बाद डीपी यादव ने राजनीति में कदम रखा, तो वर्ष- 1985 में प्रथम बार अपने गाँव के निर्विरोध प्रधान चुने गये, इसके बाद वर्ष- 1987 में विकास क्षेत्र विसरख के प्रमुख बने और फिर वर्ष- 1989 से 1994 तक बुलंदशहर विधान सभा क्षेत्र से लगातार विधायक चुने गये, इस बीच प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री भी रहे।
संभल लोकसभा क्षेत्र से वर्ष- 1996 में सांसद चुने गये, इसके बाद राज्यसभा में भी गये और फिर सहसवान विधान सभा क्षेत्र से एक बार फिर विधान सभा के लिए चुने गये। अपराध और राजनीति में धूम मचाते रहने वाले वाले डीपी यादव ने कई फिल्मों में अभिनय किया। "आकांक्षा" नाम की एक फिल्म का निर्माण भी किया। कलाकार को संतुष्ट करने के साथ डीपी यादव ने अपने अंदर के रचनाकार को भी रुष्ट नहीं किया।
डीपी यादव ने कई किताबें लिखी हैं, जिनके भावार्थ ऐसे हैं कि लगता ही नहीं यह डीपी यादव का ही मन है, उस डीपी यादव का मन, जो बाहुबलि, धनबलि और बड़े माफिया के रूप में कुख्यात है। वर्ष- 2003 में डीपी यादव की "यात्रा के मध्य" नाम से एक किताब प्रकाशित हो चुकी है, जिसे उन्होंने अपनी माँ को समर्पित किया है। सराय रोहिल्ला- नई दिल्ली से प्रकाशित इस किताब में कुल 27 रचनायें हैं। किताब का मूल्य सौ रूपये है। पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में बैठे डीपी ने 5 फरवरी 2003 को एक कविता लिखी, जिसका शीर्षक है "लोकतंत्र", इसमें है कि ...
हमारे लोकतंत्र की शायद यही नीयति है
कुछ करने को हृदय पुकारता है, चीखता है लेकिन
कुछ ताकतवर हाथ उसे रोक देते हैं
और कहते हैं क्यों शोर मचाते हो
क्यों चिल्लाते हो
नहीं कुछ कर पाओगे
अकेले हो
बेशक तुम्हारी आवाज
कर्कश हो या मधुर वाणी
चाहे उसमें सारे युगों का दर्द भरा हो
चाहे धरा के सारे दर्द बटोर कर
सुनाने निकले हो
कहीं चिल्लाओ खड़े होकर
और मायूस होकर बैठ जाओ
क्योंकि तुम भी जानते हो
इस नक्कारखाने में एक तूती की आवाज
कुछ नहीं कर सकती
यहाँ कुछ आवाजें हैं
जिनके पास संख्या बल है
या फिर विरासत है, वंशावली की ताकत है
चतुराई और बुद्धि के बल पर
जिन्होंने अपने चारों तरफ
एक कवच बना लिया है
तुम बेकार ही परेशान हो
रोजाना ख़्वाब देखते हो सच्चे लोकतंत्र के
खूब चिल्लाते हो
क्या कोई सुनता है?
हाँ! रिकॉर्ड जरूर बन जाता है
दफ्तर के लिए
तुम्हारी आवाज भी
किसी फाइल में दबा कर रख दी जायेगी
फिर कभी अगले जन्म में
तुम या कोई और
उसे सुनने आयेगा शायद
ये भी कोई नहीं जानता है
ये जो होशियार आँखें बालकोनी में हैं
कलम जिनके हाथों में है
या जो ऊंची कुर्सियों पर बैठे हैं
इनसे भी उम्मीद मत करना
... चल बस अब वक्त हो गया
कल दुबारा आने के लिए
या फिर घर जाने के लिए
मुंबई में जुहू बीच पर 3 जनवरी 1999 को शाम 7: 30 बजे टहलते हुए कवि डीपी ने "लहरों का गीत" शीर्षक से लिखा है कि ...
समुद्र की लहरों से सीखो जिंदा रहना
चलते-चलते, मिटते-मिटते जिंदा रहना
वक्त की पुरजोर आंधी जब उन्हें मिटाती 
हवा की लहरों पर भी मिट कर जिंदा रहना
अठखेलियाँ कर, आते जाते और मचलते
टूटना, जुड़ कर बिखरना और जिंदा रहना
है जीवन संग्राम, जिंदगी एक सफर है
सिख ले जीना और चल कर जिंदा रहना
वक्त ने दी आवाज जुर्म को दस्तक देकर
मजलूमों का रहबर बन कर जिंदा रहना
राजस्थान में 17 दिसंबर 2000 को कवि डीपी ने "चल लौट के मन" शीर्षक से लिखा है कि ...
अपने बचपन में
लौट जाना चाहता हूँ
मैं उस वक्त को फिर
अपने करीब लाना चाहता हूँ
मेरी निर्दोष आँखों में
उन्हीं सपनों की कल्पना है
निर्दयी दुनिया की चोट सहते-सहते घबरा गया हूँ
घुटन भरी इस जिंदगी से छुटकारा पाना चाहता हूँ
कभी-कभी मेरा व्याकुल मन
बगावत पर उतारू हो जाता है
उसी प्यारी सी दुनिया में
लौट जाना चाहता हूँ
समय की आंधी
मेरे ऑंखों को तोड़ने पर आमादा है
मैं इस घुटन से छुटकारा पाना चाहता हूँ
नये शीशे की तरह
आज भी स्वच्छ है मेरा मन
अल्हड़पन के गीत को
गुनगुनाना चाहता हूँ
बागी मन की ताकत
कोशिश तो बहुत करती है
रूढ़ियों को रौंद कर
नई दुनिया बसाना चाहता हूँ
बिहार भ्रमण के दौरान 30 जून 2003 को कवि डीपी ने "वक्त" शीर्षक से लिखा है कि ...
वक्त की रेत पर खड़ा हूँ जैसे
नहीं जानता
कब टूट कर बिखर जायेगी
बेरहम दुनिया
अपनी मनहूस तस्वीर लिए
न जाने किस बेकसूर के
सपनों को निगल जायेगी
दूर जाकर गिरेंगी
पतझड़ में पत्तियां
कौन जाने किसकी किस्मत
किधर जायेगी
बेरहम वक्त के
थपेड़े सहकर
शायद
उनकी किस्मत भी संवर जायेगी
मेरी जुंबिश जैसे
कैद हो गई किसी कैदखाने में
मुट्ठियाँ
वक्त की खोल कर निकल जायेगी
तू न सही
तेरी याद का झरोखा ही सही
इसी सहारे और उम्मीद पर
शेष घड़ियाँ भी निकल जायेंगी
कटनी से रेल में आते वक्त रात में डीपी का कवि जाग गया, तो "तुझ से" शीर्षक नाम की रचना का जन्म हुआ ...
तू शेर की संतान का इतिहास बन जा
इंसानियत और इंसान का इतिहास बन जा
तेरे अभिमान की इस दिशा में
गरीबों के उत्थान का इतिहास बन जा
दूर क्षितिज के उस कोने से आई आवाजें
मानवता के मान शिखर का इतिहास बन जा
करुणा के घर चल, देख इस करुण प्रयाग को
पीड़ित मानव के हृदय की आवाज बन जा
सदियों के उत्पीड़न के इस अभ्यारण में
लाखों बेबस आवाजों का इतिहास बन जा
आतंक का दानव तेरा दामन न झटके
कर संहार दैवी शक्ति का इतिहास बन जा
संभल लोकसभा क्षेत्र से वर्ष- 2004 में डीपी ने चुनाव लड़ा, इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव के अनुज प्रो. रामगोपाल यादव विजयी हुए, उससे पहले डीपी यादव पर कई मुकदमे लिखे गये। तीन दिन के अंदर डीपी पर दो बार रासुका लगी, जिससे डीपी को सहानुभूति भी मिली। डीपी जेल गये और 75 दिनों तक जेल में रहे, इस दौरान "सलाखों के पार" नाम से किताब लिखी, जो प्रकाशित हो चुकी है, इसके शुरुआत में लिखा है कि ...
आजादी के दीवानों का शोर मचाना बाकी है
कौन सही हकदार देश का, यह हिसाब लगाना बाकी है
किसके चरित्र में गददारी है, किसने दी कुर्बानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी
गददारी की और गददी मिल गई, ये तो गजब कहानी है
समाजवाद के झूठे नारे लोग लगाते गलियों में
गाँव की खाक छानने वाले अब मुंबई की रंगरलियों में
धूल भरी उस पगडंडी से, ये उनकी बेईमानी है 
देखने में रोई सी सूरत, माल देश का खा बैठे
किसान मजदूर को लूट लिया और किनारे जा बैठे
जन-क्रांति आयेगी जिस दिन, तुम पर आफत आनी है
नशे में चूर हो सत्ता वालों, मानवता को मत ठुकराओ
इतिहास को ठोकर मारने वालों, मानवता को मत ठुकराओ
कोमलता से भरी पवन का, विकराल रूप तुमने देखा है
निर्मल जल की जलधारा का, विकराल रूप तुमने देखा है
समय की सुनो आवाज ध्यान से, मानवता को मत ठुकराओ
रौद्र रूप की जली अग्नि की, ज्वलनशीलता तुमने देखी है
आकाश-धरा के बीच बहकती सुमनलता तुमने देखी है
नंगे बदनों को निहारने वालों, मानवता को मत ठुकराओ
गरीब की दुनिया भी दुनिया है, हंसी उड़ाना ठीक नहीं है
बस जाने दो उनकी दुनिया, उन्हें उजाड़ना ठीक नहीं है
झूठ से सच को हराने वालों, मानवता को मत ठुकराओ
उस चुनाव के दौरान डीपी पर कई फर्जी मुकदमे लिखाए गये, तो अख़बार डीपी की आवाज बन गये, इस पर कवि डीपी ने लिखा है कि ...
अखबारों ने जेल के अंदर मेरे मन का दर्द लिखा है
लिख डाली है जेल की पाती सरकार को बेदर्द लिखा है
चिट्ठी तो लिख डाली तुमने सोचा कुछ हो जायेगा
रह-रह कर जो उठा दर्द है तानाशाही में खो जायेगा
न्याय की कार्रवाई करने वाले न्यायालय को हमदर्द लिखा है
न्याय के दिन की शाम ढल गई अन्याय के बादल मंडराए हैं
दुआओं में जो हाथ उठे थे जुर्म के आगे घबराये हैं
कब तक वहशीपन बिखरेगा है मायूस जुनूनी मर्द लिखा है
हम भी कुछ खोये-खोये वक्त भी कुछ घबराया सा है
शासक जुल्मी वहशी दरिंदे जनता का मन घबराया सा है
जुल्म की जुंबिश खुलेगी एक दिन खुदा नाम हमदर्द लिखा है
डीपी यादव को कवि के रूप में महसूस करते समय प्रतीत होता है कि डीपी को अपराध और राजनीति में हालात के साथ महत्वाकांक्षा ने फंसा दिया, वरना डीपी के अंदर भी एक आम इंसान छिपा रहता है, जो आम इंसान की तरह ही न सिर्फ महसूस करता है, बल्कि एक आम इंसान जैसी जिंदगी भी चाहता है, जिसमें परिवार, शांति, सम्मान और और वैभव भी हो। आम जनमानस के बीच डीपी यादव की छवि कुख्यात माफिया सी ही है, लेकिन कवि डीपी के मन से लगता है, वो भी परिवर्तन का हिमायती है। शोषित व आम आदमी का हिमायती है और वर्तमान राजनैतिक वातावरण से त्रस्त है, पर मूल जीवन में कवि डीपी नहीं था। मूल भूमिका में बाहुबलि, धनबलि और माफिया डीपी था, जो अब सलाखों के पीछे पहुंच चुका है। हो सकता है कि भयमुक्त वातावरण में सलाखों के पार बाहुबलि और धनबलि डीपी पर एक बार फिर कवि डीपी हावी हो जाये, ऐसा हुआ, तो एक बार फिर सृजन भी हो सकता है।  

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 लेखक
बी.पी. गौतम
स्वतंत्र पत्रकार
9634273231

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12.3.15

माँ तुम्हारी मृदुल मुस्कान

माँ तुम्हारी मृदुल मुस्कान 
अनवरत प्रवाहित 
आस्थामयी रेवा की धार सी 
रोमांचित कर गई मुझे 
तब हलक तक पीर उभरी 
याद आए वो पल जब 
अस्थिकलश  से 
अपनी माँ के
फूल रेवा में प्रवाहित किए थे 
तब लगा था अब न मिलेगीं वो 
पर आज तुमको अपनी बेटी 
जिसे तुमने नाम "टिया"
के साथ देख मुझे मेरे सव्यसाची माँ बहुत याद आई 
 
प्रणाम नमन माँ 
तुम जो अक्सर मिल जाती हो मुझे 
सड़क पर चौराहे पर दो राहे पर 
किसी न किसी रूप में .....
बाल भवन में जब शिप्रा 
दिव्यचक्षु बेटियों को करातीं हैं 
कण्ठ  साधना 
तब तुम मुझे 
सुनाई देतीं हो 
शिव-महिम्न स्त्रोतम का सस्वर गान  करती हुईं 
तब जब रेणु भरती हैं शक्तिरूपा में रंग 
तब तुम्ही नज़र आती हो न 
जिरोती में रंग भरती हुईं......
माँ 
तुम्हारा जाना असह्य था है रहेगा 
फिर भी खोजता हूँ 
हर नारी में तुमको 
  तुम मिल भी जाती हो ...... कितनी सहज हो न माँ
 मुझे मालूम है माँ कभी भी मरती ही नहीं   ज़िंदा रहती है ..................
  उसे तुम मारते हो रोज़ यातनाओं से 
  सड़क पर चौराहे पर दो राहे पर 
   एक बार खंजर लेकर आओ 
  मेरे आँखें निकाल अपनी आँखों पर लगाओ 
   तुमको रोजिन्ना दिखेगी तुम्हारी माँ 
               ::::::::::::::::::: गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"::::::::::::  

7.3.15

संगीता की दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज : आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर...?

अम्बेडकरनगर (उ.प्र.) के थाना बेवाना अन्तर्गत ग्राम अहलादे का निवासी टेकईराम कहाँर पुत्र रामसुमेर (65) सीधा-सादा गरीब व्यक्ति है। वह सत्तापक्षीय नेताओं को पैसा देकर ‘खुश’ नहीं कर सकता। पुलिस के दलालों की जेबों का वजन भी नहीं बढ़ा सकता। उसकी आर्थिक तंगी की वजह से मीडिया/प्रेस भी उसका साथ नहीं दे रही है। संगीता की मौत मामले में पुलिस ने क्या किया, क्या कर रही है और क्या करेगी? कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। यहाँ बता दें कि टेकईराम की लाडली बेटी संगीता (32) को दहेज लोभी ससुरालीजनों ने मौत के घाट उतार दिया था, जिसकी प्राथमिकी अकबरपुर कोतवाली में 23 फरवरी 2015 को ही दर्ज हुई है और मृतका के पति, ससुर-सास और ननद को हत्यारोपी नामजद किया गया है। टेकईराम व उसकी पत्नी के बयान भी क्षेत्राधिकारी अकबरपुर के समक्ष लिए जा चुके हैं।

अम्बेडकरनगर। एक गरीब माँ-बाप की ब्याहता बेटी की हत्या कर दी जाती है, सम्बन्धित थाना में मृतका के पिता वादी की तहरीर पर मुकदमा पंजीकृत कर लिया जाता है फिर सी.ओ. स्तर पर ‘दहेज हत्या’ के उक्त मुकदमें की जाँच शुरू की जाती है.....इस लम्बी प्रक्रिया में मृतका के माँ-बाप, परिजनों के बयान लिए जाते हैं और यदि पैरवी न की गई तो मामला ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता है...........आदि आशंकाओं से गुजरता टेकई राम कहाँर पुत्र राम सुमेर कहाँर निवासी अहलादे थाना बेवाना जनपद अम्बेडकरनगर अपनी एक मात्र छोटी बेटी संगीता (32) का शुद्धक/त्रयोदशा भी कर देता है इसके बावजूद उसे अब भी उम्मीद है कि नामजद आरोपियों को पुलिस पकड़ेगी जिससे उसके दिल के अन्दर सुलग रही आग शान्त होगी...।
यह मामला अम्बेडकरनगर जनपद की थाना-कोतवाली अकबरपुर क्षेत्र का है। ऊँचे गाँव-गौसपुर निवासी संतोष कुमार धुरिया (कहाँर) पुत्र छोटेलाल की पत्नी संगीता (32) की लाश अकबरपुर-फैजाबाद रेलवे लाइन के किनारे गत माह फरवरी की 23 तारीख को प्रातः लोगों द्वारा देखी गई थी। इत्तला मिलते ही टेकईराम (65) परिजन, हित-मित्रों के साथ मौके पर पहुँच गया था, जहाँ अपनी लाडली बेटी को मुर्दावस्था में देख कर वह बदहवाश हो गया। इसी बीच मृतका संगीता की लाश को पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर उसका पोस्टमार्टम कराया और अन्तिम संस्कार हेतु उसे ससुरालीजनों को दे दिया। आनन-फानन में संगीता का मृत शरीर आग के हवाले कर दिया गया।
मृतका संगीता के पिता टेकईराम ने अकबरपुर थाना कोतवाली में एक तहरीर दी। जिसके आधार पर कोतवाली अकबरपुर में मु.अ.सं. 0071/23फरवरी 2015 में धारा 498ए, 304बी, 201 आई.पी.सी. के तहत मुकदमा पंजीकृत कर मृतका संगीता (32) के पति संतोष कुमार, उसके ससुर छोटेलाल, सास (नाम अज्ञात), ननद पुष्पा देवी को आरोपी बनाया गया। इस के उपरान्त क्षेत्राधिकारी अकबरपुर के समक्ष टेकईराम और उसकी पत्नी (दोनों मृतका संगीता के पिता/माता) के बयान दर्ज हुए। टेकईराम कहाँर को यकीन होने लगा कि अब जल्द ही उसकी बेटी के हत्यारों को सजा मिलेगी, जिन्होंने संगीता को लगभग 10 वर्षों तक प्रताड़ित कर अन्ततः 22फरवरी की रात मौत के घाट उतार दिया, आत्महत्या का रूप देने के लिए उसके शव को रेलवे लाइन पर मखदूमपुर गाँव के पास रख दिया था।
एक पखवारे की अवधि बीत गई है, टेकईराम कहाँर द्वारा दी गई तहरीर-बयान के बाद भी पुलिस का उपेक्षा रवैय्या उसके अन्दर विभिन्न प्रकार की आशंकाओं को जन्म देने लगा है। टेकईराम कहाँर ने बताया था कि 22 फरवरी की रात में अपनी ससुराल ऊँचे गाँव-गौसपुर से मोबाइल पर बात करते हुए संगीता ने कहा था कि पिता जी आज ऐसा लग रहा है कि आप लोगों से अन्तिम बार बात कर रही हूँ। मेरे ससुराली जनों के हाव-भाव से लग रहा है कि ये लोग मेरी हत्या कर देंगे। आज का माहौल ही इन लोगों ने कुछ ऐसा बना दिया है कि प्रतीत हो रहा है इनके क्रूर हाथों मेरी हत्या हो जाएगी और मेरे दोनों अबोध बच्चे (पुत्र 6, पुत्री 3) बगैर माँ के हो जाएँगे, साथ ही अब मैं अपनी प्रताड़ना से व्यथित होकर बार-बार मायके आकर आप लोगों की परेशानी नहीं बढ़ाऊँगी। इतना जरूर करना कि मेरे दोनों बच्चों का ध्यान रखना, यदि सम्भव हो तो इन्हें अपने पास बुलाकर रखना और परवरिश करना। उसकी यह फोन कॉल वास्तव में अन्तिम साबित हुई।
23 फरवरी की सुबह टेकईराम को संगीता की मौत का समाचार उसके ससुराली जनों ने दिया। टेकईराम कहाँर के अनुसार संतोष कुमार पुत्र छोटेलाल अकबरपुर के एक प्रभावशाली व्यक्ति के यहाँ नौकरी करता है और उसकी कार का चालक है। वह प्रभावशाली व्यक्ति एक कद्दावर सत्ताधारी माननीय का करीबी है, जिसकी वजह से पुलिस संगीता की संदिग्ध मौत मामले में दहेज हत्या मुकदमा दर्ज होने के उपरान्त भी आरोपियों पर हाथ नहीं डाल रही है। उल्लेखनीय है कि अकबरपुर क्षेत्राधिकारी पुलिस पद पर एक तेज-तर्रार महिला की नियुक्ति हुई है बावजूद इसके संगीता के प्रकरण में विलम्ब क्यों हो रहा है....?

17.2.15

बालश्री विजेताओं से मिल के बेहद प्रसन्न हुए कमिश्नर श्री खाण्डेकर




कमिश्नर श्री दीपक खाण्डेकर ने आज यहां उनसे मिलने पहुंचे बाल भवन के बच्चों से स्नेहसिक्त भाव से मुलाकात की और उनकी हौसला अफजाई की। इन बच्चों में राष्ट्रीय बालश्री पुरस्कार (सृजनात्मक कला) विजेता रोहित गुप्ता तथा संतलाल पाठक (प्रदर्शनकारी कला विशेष श्रेणी) के अलावा सारेगामा लिटिल चैम्प्स में प्रथम ग्यारह प्रतियोगियों में स्थान बनाने वाली ईशिता विश्वकर्मा के अलावा रेशम ठाकुर, शुभम् अहिरवार और श्रेया ठाकुर शामिल थे।
श्री खाण्डेकर ने बच्चों के साथ खुले दिल से देर तक चर्चा की और उनकी उपलब्धियों के बारे में जानकारी ली । उन्होंने इन प्रतिभाशाली बच्चों को बधाई दी। साथ ही उनके साथ और वक्त गुजारने के लिए बाल भवन आने का वादा भी किया । कमिश्नर श्री खान्डेकर  के सरल व्यवहार से सहज हुए बच्चों ने उनके साथ ढेर सारी बातें की । कमिश्नर ने पूरी रूचि से उनकी बातें सुनी और उन्हें बुके और चॉकलेट भी भेंट किए। बच्चों के साथ श्री खाण्डेकर ने ग्रुप फोटो भी खिंचवाई । बच्चों ने भी इस स्नेह के प्रतिदान में कमिश्नर को स्वयं की बनाई पेंटिंग्स भेंट कीं ।
इस दौरान मौजूद उप संचालक महिला सशक्तिकरण श्रीमती मनीषा लुम्बा और संचालक बाल भवन श्री गिरीश बिल्लोरे के साथ कमिश्नर ने बाल भवन की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बातचीत की । उन्होंने बाल भवन का बेहतर से बेहतर ढंग से उपयोग किए जाने की जरूरत बताई । उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रयास किए जाएं कि बाल भवन की पूरी क्षमता के अनुरूप वहां बच्चे हों। इस सिलसिले में श्री खाण्डेकर ने सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों के साथ पृथक से बैठक बुलाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने बाल भवन की जरूरतों के बारे में भी जानकारी ली ।  साथ ही विशेष श्रेणी के बच्चों, अजा, अजजा के बच्चों  के लिए संचालित शासकीय  अशासकीय  आवासीय संस्थानों, हास्टलस के बच्चों को बालभवन से जोड़ने के निर्देश ही नहीं दिये वरन अति-शीघ्र ऐसी अंतर्विभागीय  बैठक के आयोजन के निर्देश भी दिये । बाल भवन अनुदेशकों श्रीमती रेणु पांडे , सुश्री शिप्रा सुल्लेरे , श्री देवेन्द्र यादव, श्री पीयूष खरे आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ।  


श्री खाण्डेकर ने कहा कि बाल भवन के बच्चों को इंटैक के कार्यक्रमों से जोड़ने की दिशा में त्वरित पहल के निर्देश देते हुए कहा कि- बाल भवन के सदस्य बनने से संस्था  इंटैक की गतिविधियों एवं आयोजनों में संभागीय बालभवन की   साधिकार इंटैक के कार्यक्रमों में सहभागिता सुनिश्चित हो सकेगी  




 (स्रोत : संयुक्त संचालक, सूचना एवं जनसम्पर्क जबलपुर संभाग )  

28.1.15

जब जबलपुर के स्टेडियम में रेल चली

 प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकाससामाजिक न्याय तथा सहकारिता मंत्री श्री गोपाल
भार्गव ने 26 जनवरी 2015 को जबलपुर  जिला मुख्यालय में गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित मुख्य समारोह में  ध्वजारोहण किया और परेड की सलामी ली। इस अवसर पर कमिश्नर श्री दीपक खाण्डेकर एवं पुलिस महानिरीक्षक श्री डी. श्रीनिवास राव भी मौजूद थे।
   ध्वजारोहण के बाद समारोह के मुख्य अतिथि श्री भार्गव ने कलेक्टर श्री एस.एन. रूपला एवं पुलिस अधीक्षक श्री हरिनारायणचारी मिश्र के साथ खुली सफेद जिप्सी में परेड का निरीक्षण किया। इसके उपरांत श्री भार्गव ने
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के गणतंत्र दिवस संदेश का वाचन किया। सुरक्षा
बलों ने हर्ष फायर किए और राष्ट्रपति की जयकार की। तदुपरांत सुरक्षा बलों की
टुकड़ियों ने लयबद्ध कदम-ताल करते हुए शानदार मार्च पास्ट किया। मार्च पास्ट का
नेतृत्व उप पुलिस अधीक्षक श्री मनोज खत्री ने किया। मार्च पास्ट में
 29 वीं
वाहिनी आईटीबीपी
, 6 वीं
वाहिनी विशेष सशस्त्र बल
जिला पुलिस बल पुरूषजिला पुलिस बल महिला,रेल पुलिस बलएनसीसी तथा स्काउट एवं शौर्या-दल (प्रथम बार) शामिल थे। मार्च
पास्ट के बाद मुख्य अतिथि पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री भार्गव ने सभी
प्लाटून कमाण्डर्स से परिचय प्राप्त किया। उन्होंने तिरंगे के तीन रंगों वाले
गुब्बारे भी छोड़े । श्री भार्गव ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को शाल-श्रीफल से
सम्मानित किया।
गणतंत्र दिवस समारोह में नगर के विभिन्न शिक्षण
संस्थाओं के बच्चों ने नयनाभिराम सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। शासकीय उ.मा.
विद्यालय मेडिकल के बच्चों ने योग प्रदर्शन किया। सत्य प्रकाश विद्यालय के बच्चों
ने मां सरस्वती की आराधना पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया। सेंट नार्बर्ट स्कूल की
विविधवर्णी परिधानों में सुसज्जित छात्राओं ने बेहतरीन नृत्य प्रस्तुत किया जिसे
काफी पसंद किया गया। गुरूनानक स्कूल मढ़ाताल की छात्राओं ने बुंदेलखण्ड अंचल का
बधाई नृत्य प्रस्तुत किया। लोकशैली के इस नृत्य पर दर्शक झूम उठे। इस प्रस्तुति
में अस्वच्छता का त्याग कर रोगों से बचाव के जतन का संदेश निहित था। शासकीय नवोदय
विद्यालय बरगी नगर की छात्राओं ने भी देशभक्ति से ओत-प्रोत नृत्य-गीत प्रस्तुत
किया। कार्यक्रम की सर्वाधिक प्रशंसित प्रस्तुति मलखम्ब की थी। जिला खेल एवं युवक
कल्याण विभाग की इस प्रस्तुति में नन्हें बच्चों ने मलखम्ब पर असाधारण कौशल और गजब
का संतुलन दिखाते हुए दु:साध्य आसन प्रदर्शित किए। घूमते मलखम्ब पर अद्भुत संतुलन
के साक्षी बने दर्शकों ने करतल ध्वनि से आकाश गुंजा दिया। इस प्रस्तुति को दर्शकों
का प्रतिसाद तो मिला ही स्वयं मुख्य अतिथि ने भी बच्चों के सतत् अभ्यास से हासिल
कौशल को प्रोत्साहित करने के लिए
 11हजार रूपए बतौर पुरस्कार प्रदान किए। घूमते मलखम्ब के शिखर पर बैठे
बच्चे के कंधों पर बैठी नन्हीं बच्ची देख दर्शक विस्मित रह गए। समारोह में विभिन्न
विभागों के द्वारा तैयार की गई झांकियां भी प्रदर्शित की गई। नगर निगम की झांकी
में शहर को स्वच्छ रखने की अपील की गई थी। स्वास्थ्य विभाग की झांकी सम्पूर्ण
स्वास्थ्य सबके लिए तथा जिला शिक्षा केंद्र की झांकी स्कूल चलें हम अभियान पर
केंद्रित थी।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा तैयार झांकी में एक्सप्रेस ट्रेन के माध्यम से महिला
हिंसा पर पूर्ण विराम और सुपोषण जैसे मसलों के बारे में प्रभावी ढंग से संदेश
सम्प्रेषित किए गए थे । झांकी में बालवियास सेवाओं एवं महिला सशक्तिकरण संचालनालय
द्वारा संचालित कार्यक्रमों यथा शौर्यादल आई. सी. पी.एस.
 , लाड़ो अभियान, आंगनवाड़ी द्वारा प्रदत्त सेवाओं महिला एवं चाइल्ड  हैल्पलाइन के
नंबरों को प्रभावी तरीके से प्रदर्शित किया गया था इतना ही नहीं स्टेडियम में
प्रवेश करते ही रेलवे स्टेशन का आभास कराती उड़घोषणा का स्टेडियम में गुंजायमान
होना एक प्रभावी प्रयोग रहा है । झाकी की परिकल्पना श्री आर सी त्रिपाठी नवपदस्थ
जिला कार्यक्रम अधिकारी की थी जिसे विभाग के सहायक संचालकों क्रमश: मनीष शर्मा गिरीश
बिल्लोरे
, अखिलेश मिश्रा, पुनीत मारवाह तथा परियोजना अधिकारी श्रीमती संजना चौकसे एवं
 दीपेन्द्रसिंह बिसेन
, के मार्गदर्शन में पूर्ण किया गया । ध्वनि प्रभाव बालभवन अनुदेशिका
सुश्री  शिप्रा सुल्लेरे के निर्देशन में  मास्टर अक्षय ठाकुर एवं बेबी
ईशिता विश्वकर्मा (प्रसिद्ध बाल गायिका ) तैयार किया  निर्माण श्री राजू का
रहा है ।
 इस
झांकी के स्टेडियम में प्रवेश करते ही रेलवे स्टेशन जैसा वातावरण निर्मित करने ध्वनि
प्रभाव से स्टेडियम में मौजूद  दर्शको ने  तालियां बाजा कर स्वागत किया गया मुख्यअतिथि एवं
अन्य  अतिथिगण सहित सभी अधिकारी गण प्रभावित
हुए बिना नहीं रह सके  सभी ने इसे काफी
पसंद किया गया ।

श्रम विभाग की झांकी में निर्माण श्रमिकों के
लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्रदर्शित की गई थी। इसके अलावा जिला
व्यापार एवं उद्योग केंद्र
लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभागवन विभागजिला पंचायतकृषि
विभाग
उद्यान विभागविद्युत
वितरण कम्पनी तथा आदिवासी विकास विभाग की झांकियां भी प्रदर्शित की गई। केंद्रीय
जेल की झांकी में ब्रिाटिशकालीन जेल और आधुनिक जेल के तुलनात्मक दृश्य प्रदर्शित
किए गए थे। ब्रिाटिशकालीन जेल में चक्की चलाता कैदी दिखाया गया था वहीं वर्तमान आधुनिक
जेल में योग प्रशिक्षण और कम्प्यूटर प्रशिक्षण के साथ टेलीफोन सुविधा प्रदर्शित की
गई थी। यातायात विभाग की झांकी भी काफी दिलचस्प थी। इस झांकी में वाहन चालकों के
लिए हेलमेट की जरूरत और वाहन चलाते समय शराब से परहेज को जरूरी बताया गया। झांकी
में एक दुर्घटना का दृश्य और पुलिस कार्यवाही प्रदर्शित की गई। यह झांकी काफी
सराही गई।
परेड में विशेष सशस्त्र बल की छठीं वाहिनी को
प्रथम
, 29 वीं
वाहिनी आईटीबीपी को द्वितीय तथा जिला पुलिस बल (पुरूष) को तृतीय स्थान प्राप्त
हुआ। झांकियों में महिला एवं बाल विकास विभाग को प्रथम
केंद्रीय जेल को द्वितीय तथा यातायात विभाग को तृतीय स्थान मिला।
मुख्य अतिथि पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री भार्गव ने विजेताओं को पुरस्कृत
किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाली सभी शिक्षण संस्थाओं के प्रतिभागी
बच्चों को पुरस्कृत किया गया।


कार्यक्रम में पुलिस उप महानिरीक्षक श्री डी.पी.
सिंह
सीईओ जिला पंचायत श्रीमती नेहा मारव्याअपर कलेक्टर श्री छोटे सिंह एवं श्री ए.बी. सिंहआयुक्त नगर निगम श्री वेदप्रकाश एवं अन्य अधिकारी मौजूद थे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रदीप दुबे और श्रीमती संदीपा स्थापक पचौरी ने किया।

14.1.15

संतलाल पाठक एवं रोहित गुप्ता बालश्री सम्मान से अलंकृत होंगे


संतलाल पाठक
संभागीय बाल भवन जबलपुर के प्रतिभाशाली कलाकारों क्रमश:  मास्टर संतलाल पाठक वर्ष 2011 में प्रदर्शनकारी कला एवं मास्टर रोहित गुप्ता को चित्रकला के लिए वर्ष 2012 के लिए    राष्ट्रीय बालश्री अलंकरण के लिए चयनित किया है . इन बाल प्रतिभाओं को विज्ञान भवन नई दिल्ली में 29 जनवरी 2014 को  आयोजित एक  भव्य समारोह में श्रीमती स्मृति ईरानी द्वारा बालश्री अलंकरण से अलंकृत किया जावेगा । इसके पूर्व वर्ष 2010 को संभागीय बाल भवन जबलपुर को पहली बार गौरव  प्रतिभाशाली बालिका कु. खुशी पाल बालश्री अलंकरण प्राप्त कर दिलाया था.
          10 जून 1996 को सतना जिले के  सामान्य कृषक श्री सत्यनारायण पाठक एवं श्रीमती आशा पाठक के घर जन्मे मास्टर संतलाल पाठक जन्म से ही नेत्रज्योति विहीन हैं । मास्टर संतलाल ने अंध मूक विद्यालय जबलपुर में अध्ययन के साथ साथ बाल भवन में सुश्री शिप्रा सुल्लेरे  से  संगीत की शिक्षा ग्रहण की है, वर्तमान में वे बारहवीं कक्षा के विद्यार्थी हैं  । इतना ही नहीं वे विशेष बच्चों के लिए एक मोटीवेटर के रूप में जाने जाते हैं । सीमित साधनों में दृढ इच्छा शक्ति एवं आत्मिक साहस के कारण संतलाल ने बाल श्री हेतु  संभागीय , ज़ोनल एवं राष्ट्रीय स्तर की चयन की कठिन  प्रक्रिया में  सहजता से सफलताएँ हासिल कीं हैं । कवि हृदय संतलाल पाठक प्ले-बैक सिंगर बनाना चाहते हैं किन्तु उच्च शिक्षा के लिए वे बी एच  यू में दाखिले के इच्छुक हैं  । साथ ही वे उमरिया कलेक्टर श्री के जे तिवारी को अपना आदर्श मानते हुए कहते हैं कि – सफलता कड़ी मेहनत एवं लगन से ही हासिल होती है । सतत साधना किसी भी बाधा को लांघने की शक्ति देती है ।
          चित्रकला के लिए बालश्री अलंकरण  वर्ष 2012 के लिए चयनित मास्टर रोहित गुप्ता पंडित लज्जा शंकर झा उ. मा. विद्यालय में वर्तमान में बारहवीं के विद्यार्थी हैं । गढ़ाफ़ाटक निवासी श्री राजीव एवं श्रीमती अलका गुप्ता के पुत्र मास्टर रोहित का सपना है कि वे देश के ख्याति प्राप्त आर्किटेक्ट के रूप में प्रतिष्ठित हों । अपनी सफलता का श्रेय अपनी गुरु श्रीमती रेणु पांडे को देने वाले रोहित ने जिला, संभाग, एवं राज्य स्तर कई पुरस्कार अर्जित किए हैं ।
रोहित गुप्ता
          बाल भवन संचालक गिरीश बिल्लोरे ने बताया – “मेरे पूर्ववर्ती अधिकारियों क्रमश: श्रीमती शालिनी तिवारी एवं श्रीमती  मनीषा लुम्बा के उचित प्रबंधन के परिणाम स्वरूप बालश्री हेतु दो बच्चों का चयन हुआ है । वर्तमान में चार अन्य प्रतिभागी ज़ोनल-स्तर के लिए  चयनित हुए हैं उम्मीद है कि इस बार भी संस्कारधानी को अधिक सम्मान मिलेगा । बाल भवन जबलपुर नें वर्ष 2015 में बच्चों के लिए गतिविधियों में कुछ अहम बदलाव भी किए गए हैं जिसमें क्रिएटिव राइटिंग, साहित्य, काव्य, एवं गद्य लेखन, वक्तव्य कला, के साथ साथ मार्शल आर्ट, वालीबाल,  थियेटर, पर  विशेषरूप ध्यान दिया जा रहा है ।    
बालश्री अवार्ड  हेतु चयनित बच्चों को नकद राशि, स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाता है ।
            

           

13.1.15

रेलवे क्रासिंग वाला किशोर और बाइक वाला


साहेब ये  घोड़ा है
इसकी पीठ पर सवार बादशाह की रौबीली मूंछ
सुनहरी रकाब , ये देखिये घोड़े की  झबरीली पूंछ   
दस रुपये में ..... आपको घोडा तो क्या  बादशाह भी नहीं मिलेगा ....
खरीद लीजिये न ..... आपके दस रुपये बहुत काम आएंगे .......
आपकी बेटे  के चेहरे पर हंसी,
बेटी  के मुखड़े पर मुस्कान लाएँगे .....
साब दे दूँ..... दो ले लीजिये बीस रुपए बेकार नहीं जाएंगे ...
बोलो साब बोलो ..... जल्दी बोलो .....
गाड़ी आने वाली है गेट खुल जाएगा ।
आपका घोडा यहीं रह जाएगा ...
          अनचाहे विक्रेता से खीज कर आलीशान कार के काँच ऊपर चढ़ गए । शाम आसरा भी टूटता नज़र आया हताश किशोर की हताश आंखें पीछे वाले बाइक सवार नें पढ़ लीं, कार का शीशा चढ़ते हुये जो देख रहा था ...... बाइक सवार ने पचास का नोट देकर कहा ये ये मुझे दे दो
सा, छुट्टे ... बीस दीजिये न ...
नहीं है ......
कोई बात नहीं कल लौटूँगा न तब वापस ले लूँगा ..... रोज़ निकलता हूँ ।
साब आप ले जाओ ... छुट्टे कल दे देना !
          बाइक सवार युवक ने लगभग डपट कर उसे बीस की जगह पचास थमा दिये । किशोर ने बाइक का नंबर नोट किया ...........
         किशोर कई दिनों तक उस बाइक का इंतज़ार करता रहा । बाइक वहाँ से कभी भी नहीं निकली ।
       दस बरस बाद उसी  रेलक्रासिंग पर उसी  पुरानी बाइक के ठीक पीछे रुकी आलीशान कार कार से एक युवक उतरा उसने बाइक सवार प्रौढ़ को प्रणाम किया .... जेब से तीस रुपए निकाले उसके हाथ में देते हुए कहा – “मेरे पास बरसों से आपकी अमानत रखी है सर, आप मुझे फिर कभी वापस न मिले ?” वैसे उस दिन आपके दिये पैसे से मेरे घर में सबने भरपेट खाना खाया था । ये मेरा कार्ड है सर ..... आप शहर आएँ मेरे स्टूडिओ में मूर्तियां बनवाता हूँ ।
          बाइक पर सवार व्यक्ति ने मुस्कुरा कर दस रुपए रख लिए ।

             कुछ दिनों बाद सचाई समझने के गुंताड़े में  महानगर में स्टूडिओ का पता खोजते खोजते बाइक वाला प्रौढ़ जब स्टूडिओ पंहुचा तो उसकी  बाइक पर सवार मिट्टी से बनी मूर्ति वो भी उसके अपने युवा काल की देख भौंचक था । 

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