15.8.08

माँ....तुझे प्रणाम...माँ तुझे सलाम


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अभिनव बिंद्रा, की कोशिश से स्वर्ण किरण ,मेरे आँगन में बिखरीं ,
और वो जो -वो पैरों से नहीं हौसलों से चलता है !"
जी हाँ वो जो तारे जमीं पर, ले आता है .....जी हाँ वो जीमज़दूर है किसान है
जी हाँ वही जो आभास -दिलाता है सुइश्मीत , सी यादें जो पलकों,की किनोरें भिगो देतीं हैं उन सबको मेरा सलाम
माँ तुझे प्रणाम माँ तुझे सलाम

13.8.08

"वो पैरों से नहीं हौसलों से चलता है !"



जीवन को लहरों से बचा लाया है ये शख्स पैरों से नहीं हौसलों से चला करता हैं। इसे आप कोई भी नाम दे सकतें है राम,रहीम,जान,कुलवंत,मैं तो उसका नाम "हौसला "रख देना चाहता हूँ ।
इस पर कोई भी निगाह पड़ती है केवल संवेदना की निगाह होती है .....मुझे उसका बाहरी मदद के लिए कहा वाक्य आज तक याद है :- भैया मुझे हर मदद एक बार और अपाहिज बना देती है.......... !
उसे जीवन को सामान्य रूप से जीने की अभिलाषा है वो पूरी शायद ही हो। मेरे कवि-मन नें पंक्तियाँ गढ़ लीं "नहीं वेदना उसको कोई पर संवेदन जीवन है "
छायाकार : संतराम चौधरी ,जबलपुर /भोपाल

12.8.08

बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी

तुम्हें मालूम है अपने शहर के पास के गाँव में डाक्टर जोगी आएं हैं । देखो सबको आराम दिलाने का वादा कर चुकें है......देखो भोलू अपनी नाड़ी जांच करा रहा है .......... भोलू को दवा के रूप में मिलेगी भभूत जिसका असर होगा की नहीं मुझे नहीं मालूम पर इत्ता जानती हूँ की बाबा के डेरे में फोटो वाली भगवानों में से कोई-न-कोई फोटो वाले भगवान का आशीर्वाद ज़रूर असर करेगा

अरी लाली तू ये सब मुझे कान में ऐसे बता रही है जैसे की किसी सी डी के बारे में बता रही हो........!
लाली :-अरे ,मैं कहना चाहतीं हूँ की हमको संतान चाहिए चलें डाक्टर जोगी के पास ?
अरे तू भी बे वजह बखेडा खडा करती है चल ग्वारी घाट जहाँ साक्षात शंकर भगवान की मान नर्मदा की कृपा से कितनों का भला हो रहा है ...........!

इन माँ-बेटी को देखो
ये कितनी सुखी दम्पति है



और ये खुशहाल कुटुंब .................!
जी हाँ ये बात तुमको कानाफूसी केज़रिए इस लिए बता रही हूँ प्रियतम क्योंकि बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी, बेहतर है की हम तुम .............से काम चलाएं
{सभी फोटो:संतराम चौधरी जबलपुर,भोपाल ,}

9.8.08

"पुत्री वती भव: कहने में डर कैसा"




"पुत्री वती भव: कहने में डर कैसा" ताज़ातरीन समाचार एक ब्लॉग "रांचीहल्ला"से तथा समीर लाल की मज़ाहिया किंतु गहरे अर्थ वाली पोस्ट प्रेरित हो सोचता हूँ
“औरतों की दशा जितनी चिकित्सा विज्ञान ने बिगाड़ के रखी है उससे अधिक ज़िम्मेदार है मध्य वर्ग की सामाजिक विवशता यहाँ मध्यवर्ग को सरे आम अपमानित करना मेरा लक्ष्य बिलकुल नहीं है किंतु वास्तविकता यही है "पति बदलू कथानकों पे आधारित एकता कपूर छाप सीरियल देखतीं महिलाओं के ज़ेहन में घरेलू जिम्मेदारी के अलावा यह भी जिम्मेदारी है की अखबारों/संचार-माध्यमों में शाया आंकड़ों पे नज़र डाल लें किंतु जैसे ही कन्या सौभाग्यवती होती है उसे करवाचौथ,संतान सप्तमीं,वट-सावित्री जैसे व्रत वर्तूले याद रह जाते क्या महिलाओं के लिए ये सब शेष है सच यदि महिलाएं स्वयं लिंग परीक्षण के विरुद्ध एक जुट हो जाएँ तो यकीनन सारा परिदृश्य ही बदल जाएगा आप सोच रहें होंगे कि किन कारणों से ये ज़बाव देही मैं महिलाओं पे डाल रहा हूँ
जन संख्या आयुक्त और महापंजीयक जेके भाटिया का कहना है कि 1981 में लड़कियों की सं`या 1000 लड़कों के मुकाबले में 960 थी जो अब गिरकर 927 पर आ गई है। पंजाब में स्थिति तो और भी बदतर है। पंजाब के जाट सिक्खों में प्रति हज़ार पुरुषों में मात्र 527 लड़कियां ही रह गयी है। इसलिए अधिकतर पंजाबी लड़कों को अपनी बिरादरी में लड़की नही मिलती और शादी के लिए उन्हें दक्षिण भारत की ओर रुख करना पड़ता है। ऐसा इसलिए भी इन राज्यों में एक संतान की संस्कृति तेजी से फैल रही है और अधिकतर लोग इसमें पुत्र को ही प्राथमिकता देते है। भाटिया के शब्दों में `पंजाब के हाथ खून से रंगे मध्य प्रदेश के मुरैना में लड़कियों की संख्या 815, राजस्थान के धौलपुर में 859, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 789 और हरियाणा के रोहताक में 780 तक पहुंच गयी है। आंकड़े यह भी बताते है कि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में भ्रूण हत्या से संबंधित घटनाये ज्यादा देखने को मिलती है। जहां मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अवांछित गर्भपात का प्रतिशत 11.7 और वांछित गर्भपात 4 प्रतिशत है, वही शहरी क्षेत्रों में यह क्रमशः 24 और 14.9 प्रतिशत है। राजस्थान का धौलपुर भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। शहरी क्षेत्रों में यह 15.9 और 8.6 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बालिकाओं और महिलाओं को नज़रअंदाज़ करके कोई विकास नहीं हो सकता। विज्ञान और टेक्नोलोजी में प्रगति का प्रयोग इंसानियत की भलाई के लिए होना चाहिए न कि उसे अजन्मी कन्याओं की हत्या के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
{आभार:-मोनिकागुप्ता-रांची हल्ला )
कल जब महिला सशक्तिकरण पर एक कार्य शाला में मुझे महाविद्द्यालय के प्राचार्य का सवाल गहराई तक छू गया कि भारतीय बुज़ुर्ग केवल "पुत्रवती भव:" का आशीर्वाद क्यों देते हैं....? यानी पुत्र मोह हमारी संस्कृति का हिस्सा है तभी तो हम "पुत्री वती भव:"कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाते ।
चिंतन  पर मान्धाता  की पोस्ट :- बच्चा पैदा करने की मशीन समझ रखा है ...- भी इसी विषय के इर्द गिर्द है कदाचित
आजाद भारत की नारी शक्ति सच कुछ कारगर क़दम उठाए .............और आशीर्वाद देँ "पुत्री वती भव:" फ़िर देखी पुरूष प्रधान समाज के दृश्य सहजता से बदलने लगेंगें

इस पोस्ट को मत पढिए

दिल्ली की बारिश और बीजिंग को लेकर लाइव इंडिया की स्टोरी देख के लगा कि ओलम्पिक खेल से ज़्यादा भारत की इन्सल्ट तुलना करके करना ही ख़बर है .... भैया प्रोड्यूसर साहब सरकार राज़ से ऐसी क्या गलती हुई कि आप दिल्ली की लगातार बरसात के बाद सडकों गलियों में भरे पानी को दो साल बाद भारत में होने वाले खेल महा कुम्भ से जोड़ कर दिखाया जिसका न तो कोई अर्थ था और न ही ज़रूरत कि इस देश की किसी अन्य देश से तुलना कर भारत को नीचा दिखाएं ।
मेरठ में उड़नतश्तरीके बारे जानकार खुशी हुई हुई ही थी की पुण्य प्रसून बाजपेयी के आगमन की ख़बर मेल इनबाक्स से निकलने को फड़फड़ा रही थी ।मैनें आनन् फानन बाजपेयी जी का स्वागत कर दिया और कह दिया है कि उडन तश्तरी .... की तरह औरों ब्लॉग को टिप्पणी तिलक ज़रूर कीजिए । अब ये कोई बात है जो ब्लॉग पर लिखूं .....तो फ़िर ब्लॉग पे लिखने के लिए क्या विषय चुक गए हैं कटाई नहीं विषय के चुक जाने का संकट अपुन को कतई नहीं अपन यानी "अपुन जेक ऑफ़ आल मास्टर ऑफ़ नन" जो ठहरे....ठेल देंगें कछु भी । यदि कुछ न सूझा तो कट पेस्ट थेरेपी जिंदाबाद ..... !
चीन में ओलोम्पिक की शुरुआत ,तिब्बतियों का विरोध,सिंग इज़ किंग , तो आपने बांच सुन लिया होगा तीन अट्ठे के बारे में ख़बर रटैया चेनल के ज्योतिषीयों ने खूब बता दिया है इस बीच मैं आपको बता दूँ आज अगले जनम मोहे बेटवा न कीजो... नेट पे आ चुकी उन्हीं की है जो समीर लाल है ५०-६० टिप्पणी तिलक ख़ुद तश्तरी में परसवातें है तब कहीं उनका.....सारी उनकी पोस्ट का पेट भरता है । बिग बी,वगैरा के ब्लॉग'स पर अपुन आप कम ही आजा रहें हैं .... अब भैया दोस्ती बराबरी वालों से ही होगी न......?

[इधर एक फोटो था जो निकाल दिया ]

टी आर पी के चक्कर में न जाने कितने जतन करने होते हैं अपुन भी एक बार अजमाइच्च....लेतें हैं ।

27.7.08

अनिल अम्बानी की नज़र में "केदारनाथ हो या....!!"


आपके इस चिन्ह को सब याद रखतें हैं चाहे सहवाग की माताजी हों या तीर्थ करने निकले बेटा बहू जिन्हें

जिस सत्य यानी सच का दर्शन आपके विज्ञापनों के ज़रिए हुआ वो चारों वेदों अट्ठारह पुरानों से सम्भव नहीं था


आदरणीय अनिल भाई सत्य दर्शन करानें के लिए मध्यम-वर्गीय दंपत्तियों
की ओर से आपको आभार का ट्रक कहाँ भेजना है ज़रूर बताइए भैया
अनिल भाई आपने सच माँ-की-ममता को अपने ब्रांड के साथ जोड़ कर कर जो विज्ञापन बनवाए बेजोड़ हैं।आप ने सहवाग की माताजी वाले विज्ञापन के बाद आज मातृभक्त पुत्रों और उनकी पत्नियों को जो शिक्षा दी सच कितनी उपयोगी साबित हो रही है आप इस बिन्दु से अनभिज्ञ हैं ...शायद ...!!

बूढ़ी माताजी ने रमेश को कई बार कहा था की बेटे मुझे तीरथ वरत करा करा दे बेटा । उधर रमेश की बीवी उषा ने कहा: "क्यों जी अम्मा को कहाँ बदरी नाथ ,केदार नाथ, ले जाओ गे ।"
''फ़िर मना थोड़े करूंगा ...?"
"कर सकते हो दिमाग तो लगाओ , अम्मा को समझाओ !"
"सुभगे,कैसे समझाऊं....?"
तभी स्टार प्लस पे आपका विज्ञापन दिखाया जिसमें बद्रीनाथ,के मन्दिर के द्वार पे लगे घंटे की आवाज़ आपके पवित्र फोन के ज़रिए पुत्र अपनी माता जी को सुनवाता है।
''सुनते हो अनिल भैया की कंपनी का फोन खरीदो,और "अम्माजी के लिए भी एक फोन ज़रूर ले आना,इसी कंपनी का"रमेश के ज्ञानचक्षु खुल गए अरे माताजी की तुलना में अनिल भैया की कंपनी वाला सेलफोन ले जाना सरल होगा । और रमेश चल पडा क्रेडिट कार्ड लेकर फोन खरीदने.

तुमको सोने का हार दिला दूँ










सुनो प्रिया मैं गाँव गया था
भईयाजी के साथ गया था
बनके मैं सौगात गया था
घर को हम दौनों ने मिलकर
दो भागों मैं बाँट लिया था
अपना हिस्सा छाँट लिया था
पटवारी को गाँव बुलाकर
सौ-सौ हथकंडे आजमाकर
खेत बराबर बांटे हमने
पुस्तैनी पीतल के बरतन
आपस मैं ही छांटे हमने
फ़िर खवास से ख़बर बताई
होगी खेत घर सबकी बिकवाई
अगले दिन सब बेच बांच के
हम लौटे इतिहास ताप के
हाथों में नोट हमारे
सपन भरे से नयन तुम्हारे
प्लाट कार सब आ जाएगी
मुनिया भी परिणी जाएगी
सिंटू की फीस की ख़ातिर
अब तंगी कैसे आएगी ?
अपने छोटे छोटे सपने
बाबूजी की मेहनत से पूरे
पतला खाके मोटा पहना
माँ ने कभी न पहना गहना
चलो घर में मैं खुशियाँ ला दूँ
तुमको सोने का हार दिला दूँ

=>गिरीश बिल्लोरे मुकुल

[निवेदन:इस कविता के साथ लगी फोटो पर जिस किसी को भी आपत्ति सत्व के कारण हो तो कृपया तत्काल बताइए ताकी वैकल्पिक व्यवस्था की जावे सादर:मुकुल ]

Wow.....New

विश्व का सबसे खतरनाक बुजुर्ग : जॉर्ज सोरोस

                जॉर्ज सोरोस (जॉर्ज सोरस पर आरोप है कि वह भारत में धार्मिक वैमनस्यता फैलाने में सबसे आगे है इसके लिए उसने कुछ फंड...