"वो पैरों से नहीं हौसलों से चलता है !"



जीवन को लहरों से बचा लाया है ये शख्स पैरों से नहीं हौसलों से चला करता हैं। इसे आप कोई भी नाम दे सकतें है राम,रहीम,जान,कुलवंत,मैं तो उसका नाम "हौसला "रख देना चाहता हूँ ।
इस पर कोई भी निगाह पड़ती है केवल संवेदना की निगाह होती है .....मुझे उसका बाहरी मदद के लिए कहा वाक्य आज तक याद है :- भैया मुझे हर मदद एक बार और अपाहिज बना देती है.......... !
उसे जीवन को सामान्य रूप से जीने की अभिलाषा है वो पूरी शायद ही हो। मेरे कवि-मन नें पंक्तियाँ गढ़ लीं "नहीं वेदना उसको कोई पर संवेदन जीवन है "
छायाकार : संतराम चौधरी ,जबलपुर /भोपाल

टिप्पणियाँ

Udan Tashtari ने कहा…
भैया मुझे हर मदद एक बार और अपाहिज बना देती है.......... !


-वाह! सत्य है -यही आत्म सम्मान उसे जीने की ताकत देता है.
डॉ .अनुराग ने कहा…
ऐसे हौसले को मेरा सलाम......
राज भाटिय़ा ने कहा…
भैया मुझे हर मदद एक बार और अपाहिज बना देती है.......... !
बहुत ही खुब... सलाम करता हु उसे जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम हे... इसे कहते हे.
धन्यवाद

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

क्यों लिखते हैं दीवारों पर - "आस्तिक मुनि की दुहाई है"

विमर्श

सावन के तीज त्यौहारों में छिपे सन्देश भाग 01