हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
"......................................."
के बाद चतुर्थ पंक्ति के लिये मुझे न तो भाव मिल पा रहे थे न ही शब्द-संयोजना संभव हो पा रही थी. किंतु मेरी बात को पूरी करने वाले मित्र को यह चार पंक्तियां सादर भेंट कर दी जावेंगी इस से मेरा हक समाप्त हो जाएगा आपको भी यदि कोई पंक्ति सूझ रही हो तो देर किस बात यदि आप प्रविष्ठि न देना चाहें तो आप अपनी पसंद के कवि का नाम ज़रूर दर्ज़ कीजिए
"समस्या-पूर्ती" हेतु मिसफिट पर आयोजित प्रतियोगिता काव्य पहेली के लिए प्राप्त प्रविष्ठियों पर आपकी पसंद क्रमानुसार दर्ज़ कीजिये तब तक आता है जूरी का निर्णय
प्रतिभा जी की पंक्ति जोडने से पद को देखिये
हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
कि कुछ पग बस जीत दूर है..
____________________________________________हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
कि कुछ पग बस जीत दूर है..
समीर भाई की पंक्ति जुडते ही पद का स्वरुप ये हुआ है
हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
हरेक लश्कर है रोया रोया.
_____________________________________________ हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
हरेक लश्कर है रोया रोया.
अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी जी की पंक्ति जुडते ही
हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
''हो जायेगा पत्थर इन्सां गोया |''
_____________________________________________________हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
''हो जायेगा पत्थर इन्सां गोया |''
राजीव तनेजा जी जो कवि हो गये है इस बहाने
हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
अपना भविष्य आप बनाएँ
_____________________________________________________हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
अपना भविष्य आप बनाएँ
पहेली सम्राठ ताउ राम पुरिया उवाच
हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
परेशानी का बीज खुद ही बोया बोया.
_______________________________________________हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
परेशानी का बीज खुद ही बोया बोया.
एम. वर्मा जी की पंक्तियां जोडते ही पद हुआ यूं
हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
काटोगे वही जो बीज बोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
काटोगे वही जो बीज बोया
_______________________________________________
बवाल
हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोयाचलो जगाएं इन्हैं उठाएं.....
है गर्म पानी लहू समोया
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8 टिप्पणियां:
हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
नेकी की ज्योति जलाएं
Shukriya pandit ji
हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
मंजिल कदम के नीचे लायें.
SHUKRIYA SANGEETA JI
हम तो खुद ही दांव पर लगे हैं, क्या क्रम बनावें? आपे बताओ, महाराज!!
आदरणीय बड़े भाई, आपने जो समस्या पूर्ती दी है उसकी अंतिम पंक्ति मैं नहीं बना पा रहा हूँ....
आपने पहली पंक्ति में कहा-
" हरेक लश्कर है खोया खोया"
ये बात समझ में आयी की हर लश्कर "खोया (मावा) है ....
फिर आपने दूसरी पंक्ति में कहा-
"हरेक लश्कर है सोया सोया"
तो ये बात भी समझ में आयी की हर लश्कर "सोया (सोयाबीन से बना- जैसे "सोयामिल्क", "सोया पनीर" आदि के समान "सोया लश्कर"-!!!!!!) है.
फिर आपने तीसरी पंक्ति में कहा-
"चलो जगाएं इन्हैं उठाएं"
इसका अर्थ भी समझ में आया की "खोया लश्कर" और "सोया लश्कर" को उठाने की बात की जा रही है....... ("खोया लश्कर" से शायद गुलाब जामुन और "सोया लश्कर" से शायद कुछ पनीर आइटम टाइप का कुछ व्यंजन बनवाने की योजना समझ में आ रही है जिसके लिए "खोया लश्कर" और "सोया लश्कर" उनके विक्रेता के पास से "उठाने" का आदेश आपने दिया है......... )
तो चौथी पंक्ति मेरे हिसाब से ये बनती है-
"दुष्ट कवि" को भोज कराएँ. (कैसी रही-!!!!!!)
हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
"दुष्ट कवि" को भोज कराएँ.
बताइये- कब आना है-??????
आनंदकृष्ण, जबलपुर
मोबाइल : 09425800818
http://www.hindi-nikash.blogspot.com
हरेक लश्कर है खोया खोया
हरेक लश्कर है सोया सोया
चलो जगाएं इन्हैं उठाएं
एक नया इतिहास बनाएं ।।
अब हम क्या कहें? हमे तो इमानदारी से सारे ही जंच रहे हैं.:)
रामराम.
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