इन्टरनेट पर उन्माद फ़ैलाने वालों पर आई०टी० प्रतिबन्ध लगाए

                      http://flash-map-india.smartcode.com/images/sshots/flash_map_india_22916.gif                                                             राष्ट्रीय समरसता को भग्न करने की कोशिश देश के अमन चैन को क्षति ग्रस्त करने की मंशा कदापि स्वीकार्य नहीं. भारत एक बहु-धर्मीय विशेषता युक्त राष्ट्र है यहां सभी को सभी के धर्मों का सम्मान करना हमें घुट्टी में पिलाया है. किन्तु कुछ दिनों से देख रहा हूँ इंटरनेट पर  चार किताबें पड़कर उत्तेज़ना फैलाने वाले लोगों के लिए अब उपेक्षा ही एक ही  इलाज़ है जो सहजता से संभव है. मित्रों भारत-देश को भारत कहलाने के लिए किसी धर्म,वर्ग,समूह,विचारधारा की कतई ज़रुरत नहीं भारत अखंड है रहेगा क्योंकि भारत का जितना सुदृढ़ भोगौलिक अस्तित्व है उससे कहीं अधिक इसका आत्मिक जुडाव प्रभावशाली है. अस्तु अंतर जाल पर सक्रीय ऐसे तत्वों के खिलाफ उपेक्षा का भाव रखिये जी उनके आलेखों तक जाना भी देश का अपमान मानता हूँ.साथ ही भारत सरकार के मेरी आई०टी० से विनम्र अपील है ऐसे लेखकों को प्रतिबंध करने का कार्य सबसे पहले किया जाए.जो किसी भी  धर्म का खुला उपहास करते हुए समरसता के विरुद्ध वातावरण बना रहे हैं.  

टिप्पणियाँ

Mithilesh dubey ने कहा…
बिल्कुल सही कहा आपने, पुर्णतया सहमत हूँ।
आज इसी नजरिये की जरुरत है.

रामराम.
अंतरजाल ही क्यों, भारत और भारतीयों के दिलों में कहीं भी उन्मादियों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए.
- विजय तिवारी ' किसलय '

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