27.7.19

तालीम और इंसानियत के पैरोकार थे डा. कलाम... ज़हीर अंसारी

कलाकार : अविनाश कश्यप

आज़ाद हिंदुस्तान की तवारीख में अब तक सिर्फ़ एपीजे अब्दुल कलाम ऐसे मुस्लिम हुए हैं जिनका पूरा हिंदुस्तान एहतेराम करता था और करता है। जब तक वो इस दुनिया-ए-फ़ानी में थे, उनको पूरा मुल्क अपनी आँखों का सितारा बनाए हुए था और उनके इस जहां से रुख़्सत हो जाने के बाद पूरी शिद्दत से याद करता है और बड़े अदब से उनका नाम लेता है।

आख़िर उनमें ऐसा क्या था जिसकी वजह से उन्हें इतना आला मुक़ाम मिला। पद्म भूषण फिर पद्म विभूषण और फिर भारत रत्न से नवाज़ा गया। भारत जैसे विशाल देश के राष्ट्रपति बने। यह सब एक दिव्य स्वप्न सा लगता है, मगर कलाम साहब ने अपनी और सिर्फ़ अपनी सादगी, इंसानियत, दीनदार किरदार, वैज्ञानिक सोच और राष्ट्रप्रेम से वशीभूत भाव से इस दिव्य स्वप्न को साकार कर दिखाया।

मिसाइल मैन के नाम से उनके बारे बहुत कुछ लिखा जा चुका है। बचपन से लेकर आख़री सफ़र तक मज़मून सबके सामने खुली किताब जैसा है। लेकिन उन्होंने जिस तरह की दीनदार ज़िन्दगी जी थी वह उनको महान बनाती है। बेशक वे मुस्लिम थे लेकिन उन मुस्लिमों की तरह नहीं जो सिर्फ़ अपनी क़ौम, अपने मज़हब और अपने दीन तक महदूद (सीमित) रहते हैं। कलाम साहब ने न सिर्फ़ अपनी सरज़मीं की हिफ़ाज़त के लिए मिसाइलें तैयार की बल्कि दुनिया में मुल्क का नाम रोशन हो इसके लिए उन्नत तकनीक पर काम किया और प्रेरणा दी।

जहाँ तक उनके बारे में मेरा अपना नज़रिया है वो दिखावटी दीनदारी से दूर थे। रोज़े-नमाज़ के पाबंद थे। बचपन से ही नमाज़ पढ़ा करते थे। पक्के मुस्लिम होने के बावजूद उन्होंने कभी भी अपने धर्म की बड़ाई या दूसरे धर्म की निंदा नहीं की। वो पूरी ज़िंदगी इंसानियत और मुल्क परस्ती की पैरोकारी करते रहे।

उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद स.अ.व. की उस सुन्नत का पूरे जीवन पालन किया। कलाम साहब ने भी अपने पास कुछ भी संचय करके न रखा। ज़रूरतमंदों की मदद में ख़र्च करते रहे। तालीम की बहुत बड़े हिमायती रहे। तालीम देते-देते ही वे इस नश्वर संसार से बिदा हो गए। 27 जुलाई 2015 को शिलांग के आईआईएम में वो बच्चों को तालीम ही दे रहे थे जब उन्हें हार्ट अटैक आया। अब यही काम उनके विचार, उनकी लिखी किताबें और उनका कृतित्व कर रहा है

भारत के ऐसे महान सपूत डा एपीजे अब्दुल कलाम को आज पूरा हिंदुस्तान बड़ी इज़्ज़त से याद कर रहा है। ऐसी आलीशान शख़्सियत को हज़ार बार सलाम...

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जय हिन्द
ज़हीर अंसारी

खाकी वर्दी के पीछे धड़कता एस पी का नाज़ुक दिल


( जबलपुर के एसपी श्री अमित सिंह बेहद सुकोमल ह्रदय के धनी है इनका ह्रदय एक पुलिस अफसर का नहीं हो कर एक सोशल वर्कर यह दिल की तरह धड़कता है एक बार जब यह बाल भवन आए थे तब एक गरीब बच्चे को अपने गले लगाया उसे अपना कैप पहनाया और प्यार भी किया ऐसा नहीं कि ऐसा गिनी तौर पर ही है करते हैं वास्तव में यह किसी को दुखी नहीं देखना चाहते पुलिस ऑफिसर्स के लिए आपका नजरिया कैसा है मैं नहीं जानता पर इतना अवश्य जानता हूं कि अगर आप कितना भी नेगेटिव सोचेंगे इनके लिए पर एक बार एसपी जबलपुर अमित सिंह के साथ बैठेंगे या उनके बारे में जानेंगे तो आपका नजरिया एकदम बदल जाएगा यही ब्रह्म सत्य है)

पिता के हत्या के अपराध में निरूद्ध होने पर 6 वर्षिय प्रीति को पुलिस अधीक्षक जबलपुर ने पहल कर रखवाया राजकुमारी बाई बाल निकेतन में, पढाई की ली जिम्मेवारी
दिनॉक 19-7-19 को विजय नगर स्थित इंडियन कॉफी हाउस के पीछे रहने वाले अज्जू उर्फ रमेश वंशकार ने अपनी डेढ वर्षिय बेटी कु. रूपाली की पत्थर पर पटक कर हत्या कर दी थी, उक्त हत्या के प्रकरण में अज्जू उर्फ रमेश वंशकार को गिरफ्तार कर केन्द्रीय जेल जबलपुर मे निरूद्ध कराया गया है।अज्ज्ू उर्फ रमेश वंशकार की पत्नि किरण वंशकार एल्गिन अस्पताल मे उपचारार्थ भर्ती थी,  आरोपी अज्जू उर्फ रमेश वंशकार के एल्गिन अस्पताल मे होने की सूचना पर पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री अमित सिहं (भा.पु.से.) तत्काल अस्पताल पहुंचे थे जहॉ पूछताछ पर 6 वर्षिय बेटी प्रीति  मुखर होकर अपने पिता के विरूद्ध बोली थी एवं पूरी घटना बतायी थी, और जिस तरह उसने पढाई करने की इच्छा जाहिर की थी, तभी से मै कशमकश मे था, प्रीति का प्रजेन्स ऑफ माईड, कॉमनसेंस  बहुत ही स्ट्रॉग था, 5-6 साल के बच्चों में जो बहुत की कम देखने को मिलता है, तभी मैने यह निर्णय लिया था कि बच्ची को यदि किसी अच्छी संस्था मे रखा जाये एवं अच्छा एज्यूकेशन दिलाया जाये, तो जीवन मे आत्मनिर्भर होगी तथा मॉ के लिये भी अच्छा रहेगा, क्योंकि परिवार में कोई बेटा नहीं है 2 छोटी बहनें है, पतासाजी पर यह भी जानकारी मिली कि प्रीति की मॉ ने अपनी मर्जी से शादी की थी, इसलिये बच्ची के मामा भी अपने साथ नहीं रखना चाहते हैं, मॉ लोगो के घर एवं बंगलों में काम करके अपना जीवकोपार्जन करती है, पुलिस अधिकारी के तौर पर हमारा भी दायित्व बनता है कि एैसे बच्चो को सही संरक्षण एवं मार्ग दर्शन दिया जाये ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें किसी के मौहताज न रहें। इन्हीं सब बातों को ध्यान मे रखते हुये पुलिस अधीक्षक जबलपुर द्वारा चाईल्ड हैल्प लाईन से सम्पर्क कर कु. प्रीति को थाना मदनमहल अन्तर्गत शास्त्री ब्रिज के पास स्थित राजकुमारी बाई बाल निकेतन की देखरेख में रखवाया गया, एवं कहा गया कि  कु. प्रीति की स्कूल की फीस, ड्रेस किताबें मेरे द्वारा प्रोवाईड की जायेंगी l

24.7.19

14_करोड़_रेड_इंडियन्स का कब्रिस्तान अमेरिका

14 करोड़ रेड इंडियन्स का कब्रिस्तान है #अमेरिका जहाँ का राजा झूठ बोलने लगा है....! अमेरिका में ऐसा क्या है कि आप भारतीय होकर उधर बसना जीना और फिर मरना चाहते हैं ?
अमेरिका डरता है भारतीय दर्शन से विवेकानंद जी जो किताबें ले गए थे उनको विश्व धर्म संसद में नीचे रख दिया था अमेरिकी आयोजकों ने । वे सोच रहे थे कि इससे सनातन संस्कृति को बौना साबित किया जा सकता है.... विवेकानंद ठहरे जीनियस बोल पड़े- अब विश्व का हर धर्म सुरक्षित है क्योंकि उसकी बुनियाद में सनातन दर्शन जो है ।

  • सुकरात ने ज़हर का प्याला पीने के पूर्व कहा था कि- "मेरी आत्मा अमर है शरीर का क्या ?" यही सुकरात के पहले का भारतीय दर्शन है । जो आत्मा को मजबूत कर देता है ।

मेरा हाल में एक चिंतन गोष्टी में जाना हुआ जीवन के सरलीकरण सुखद स्वरूप पर चिंतक ने बात रखी । तरीका रोचक था पर बात वही थी जो बूढ़े लोग जैसे नाना नानी आजी आदि ने कही थी जिस देश में सिकंदर  सीमाओं केेे अंदर ही ना सका हो जिसके दिमाग में हर एक भारतीय के दार्शनिक  और  आध्यात्मिक  होने की छवि आते ही बन गई हो अरस्तु का वह शिष्य भारत को गुरु मानने लगा हो उस भारत को अमेरिकी लोग या अमेरिकी चिंतन कैसेे हताश कर सकता है ।
  हमें ध्यान रखना चाहिए कि एक ओशो से डर गया था अमेरिकी सिस्टम । बेहद ज़रूरी है अमेरिका जाओ पर अमेरिका को भारत बना दो कठिन नहीं यह कार्य । पर वहां जीने या बसने के लिए नहीं बल्कि 14 करोड़ रेड इंडियन की आत्मा की शान्ति के लिए जाओ ।
ज्ञान और बुद्धि से खून नहीं गिरता बहता सड़कों पर । वहां बौद्धिकता और ज्ञान का अभाव है स्थान रिक्त हैं उन पर हक़ जमाओ ज्ञान और बुद्धि के बूते ..... उस देश को जीत लो ओशो सफल होते तो तय था कि आज विश्व की दशा कुछ अलग होती । ये अलग बात है कि ओशो सत्ता के लिए आसक्त न थे पर वे बदलते ज़रूर अमेरिका की जनता को ।

10.7.19

गीत गीले हुए अबके बरसात में,


गीत गीले हुए अबके बरसात में,
हाँ! ठिठुरते रहे जाड़ों की रात में।।
गीत गीले हुए, ये जो कुंठा भरे।
और ठिठुरे वही, जो रहे सिरफिरे।
उसका दावा बिखर के, सेमल बना,
कोई आगे फरेबी न दावा करे।।
राई के भाव बदले हैं इक रात में।।
कुछ सुदृढ़, कुछ प्रखर, कुछ मुखर बानियाँ।
थी, सदा ही चलाती रहीं घानियाँ।
कुछ मठों से मठा सींचते वृक्षों में-,
कुछ बजाते रहे हैं सदा तालियाँ।।
बिंब देखें सदी का मेरी बात में।।
सूत कट न सके भोंथरी धार से,
सो गले गस दिए फूलों के हार से।
बोलिए किससे जाके शिकायत करें-
घूस लेने लगे फूल कचनार के।
आँख सावन-सी झरती इसी बात में।
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*

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धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...