14 करोड़ रेड इंडियन्स का कब्रिस्तान है #अमेरिका जहाँ का राजा झूठ बोलने लगा है....! अमेरिका में ऐसा क्या है कि आप भारतीय होकर उधर बसना जीना और फिर मरना चाहते हैं ?
अमेरिका डरता है भारतीय दर्शन से विवेकानंद जी जो किताबें ले गए थे उनको विश्व धर्म संसद में नीचे रख दिया था अमेरिकी आयोजकों ने । वे सोच रहे थे कि इससे सनातन संस्कृति को बौना साबित किया जा सकता है.... विवेकानंद ठहरे जीनियस बोल पड़े- अब विश्व का हर धर्म सुरक्षित है क्योंकि उसकी बुनियाद में सनातन दर्शन जो है ।
मेरा हाल में एक चिंतन गोष्टी में जाना हुआ जीवन के सरलीकरण सुखद स्वरूप पर चिंतक ने बात रखी । तरीका रोचक था पर बात वही थी जो बूढ़े लोग जैसे नाना नानी आजी आदि ने कही थी जिस देश में सिकंदर सीमाओं केेे अंदर ही ना सका हो जिसके दिमाग में हर एक भारतीय के दार्शनिक और आध्यात्मिक होने की छवि आते ही बन गई हो अरस्तु का वह शिष्य भारत को गुरु मानने लगा हो उस भारत को अमेरिकी लोग या अमेरिकी चिंतन कैसेे हताश कर सकता है ।
हमें ध्यान रखना चाहिए कि एक ओशो से डर गया था अमेरिकी सिस्टम । बेहद ज़रूरी है अमेरिका जाओ पर अमेरिका को भारत बना दो कठिन नहीं यह कार्य । पर वहां जीने या बसने के लिए नहीं बल्कि 14 करोड़ रेड इंडियन की आत्मा की शान्ति के लिए जाओ ।
ज्ञान और बुद्धि से खून नहीं गिरता बहता सड़कों पर । वहां बौद्धिकता और ज्ञान का अभाव है स्थान रिक्त हैं उन पर हक़ जमाओ ज्ञान और बुद्धि के बूते ..... उस देश को जीत लो ओशो सफल होते तो तय था कि आज विश्व की दशा कुछ अलग होती । ये अलग बात है कि ओशो सत्ता के लिए आसक्त न थे पर वे बदलते ज़रूर अमेरिका की जनता को ।
अमेरिका डरता है भारतीय दर्शन से विवेकानंद जी जो किताबें ले गए थे उनको विश्व धर्म संसद में नीचे रख दिया था अमेरिकी आयोजकों ने । वे सोच रहे थे कि इससे सनातन संस्कृति को बौना साबित किया जा सकता है.... विवेकानंद ठहरे जीनियस बोल पड़े- अब विश्व का हर धर्म सुरक्षित है क्योंकि उसकी बुनियाद में सनातन दर्शन जो है ।
- सुकरात ने ज़हर का प्याला पीने के पूर्व कहा था कि- "मेरी आत्मा अमर है शरीर का क्या ?" यही सुकरात के पहले का भारतीय दर्शन है । जो आत्मा को मजबूत कर देता है ।
मेरा हाल में एक चिंतन गोष्टी में जाना हुआ जीवन के सरलीकरण सुखद स्वरूप पर चिंतक ने बात रखी । तरीका रोचक था पर बात वही थी जो बूढ़े लोग जैसे नाना नानी आजी आदि ने कही थी जिस देश में सिकंदर सीमाओं केेे अंदर ही ना सका हो जिसके दिमाग में हर एक भारतीय के दार्शनिक और आध्यात्मिक होने की छवि आते ही बन गई हो अरस्तु का वह शिष्य भारत को गुरु मानने लगा हो उस भारत को अमेरिकी लोग या अमेरिकी चिंतन कैसेे हताश कर सकता है ।
हमें ध्यान रखना चाहिए कि एक ओशो से डर गया था अमेरिकी सिस्टम । बेहद ज़रूरी है अमेरिका जाओ पर अमेरिका को भारत बना दो कठिन नहीं यह कार्य । पर वहां जीने या बसने के लिए नहीं बल्कि 14 करोड़ रेड इंडियन की आत्मा की शान्ति के लिए जाओ ।
ज्ञान और बुद्धि से खून नहीं गिरता बहता सड़कों पर । वहां बौद्धिकता और ज्ञान का अभाव है स्थान रिक्त हैं उन पर हक़ जमाओ ज्ञान और बुद्धि के बूते ..... उस देश को जीत लो ओशो सफल होते तो तय था कि आज विश्व की दशा कुछ अलग होती । ये अलग बात है कि ओशो सत्ता के लिए आसक्त न थे पर वे बदलते ज़रूर अमेरिका की जनता को ।